भारत में जीव-जंतुओं की बहुत अधिक विविधता है और इस विविधता का एक उदाहरण भारतीय ग्रे नेवला (Indian Grey Mongoose) भी है। इस जीव का वैज्ञानिक नाम हर्पेस्टेस एड्वर्ड्सी (Herpestes edwardsi) है तथा यह पश्चिम एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है। नेवला आमतौर पर खुले जंगलों, झाड़ियों और खेतों में पाया जाता है, जो अक्सर मानव के निवास स्थानों के करीब होता है। शिकारियों से बचने के लिए यह प्रायः चट्टानों, झाड़ियों और यहां तक कि नालियों के निचले भाग का भी आश्रय लेता है। कृन्तकों, सांपों, पक्षियों के अंडों और बच्चों, छिपकलियों और विभिन्न प्रकार के अकशेरुकियों के लिए यह एक खतरनाक शिकारी है। नेवला पूरे वर्ष भर में एक बार प्रजनन करता है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों में नेवले को आसानी से देखा जा सकता है। भारतीय ग्रे नेवला भारत के अलावा सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश में भी पाया जाता है।
कई घरों में ग्रे नेवले को पालतू पशु के रूप में पाला जाता है क्योंकि यह पूरे घर को चूहों, सांपों और अन्य कीटों से मुक्त रखता है। चंडीगढ़ में इसे राज्य पशु के रूप में भी सुशोभित किया गया है। भारत में इस प्रजाति को सुरक्षित रखने का प्रयास किया जाता है किंतु इनके बालों का उपयोग पेंट ब्रश (Paintbrush) और शेविंग ब्रश (Shaving Brush) बनाने के लिए किया जाता है तथा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इनका अवैध व्यापार जारी है। एक अध्ययन के अनुसार 155 किलो ब्रश का उत्पादन करने के लिए लगभग 3,000 नेवलों को मारा गया था। भारतीय ग्रे नेवले की लंबाई आमतौर पर 14 से 17 इंच या 36 से 45 सेंटीमीटर के बीच होती है। पूंछ की सामान्य लम्बाई शरीर की लंबाई के बराबर लगभग 17 इंच या 45 सेंटीमीटर होती है। ग्रे नेवले को एक खतरनाक शिकारी के रूप में जाना जाता है। उनके प्राथमिक शिकारियों में तेंदुए के साथ-साथ सांप भी शामिल होते हैं जिनके साथ यह अपने बचाव के लिए भयंकर लड़ाई करते हैं।
नेवले के संदर्भ में एक कहानी भी मौजूद है। जिसके अनुसार एक कस्बे में भगवान नाम का ब्राह्मण निवास करता था। ब्राह्मण के साथ उसकी पत्नी, उसका एक पुत्र और एक नेवला निवास करता था। ब्राह्मण की पत्नी नेवले को एक माँ की भांति प्रेम करती थी तथा उसकी देखभाल ठीक वैसे ही करती थी जैसे अपने बेटे की। ब्राह्मण की पत्नी नेवले से प्रेम तो करती थी लेकिन उसे उस पर भरोसा नहीं था क्योंकि उसका मानना था कि नेवला उसके बेटे को चोट पहुँचा सकता है। एक दिन उसने अपने बेटे को बिस्तर पर लिटाया तथा अपने पति से कहा कि- वह पानी लेने जा रही है तथा वे यह ध्यान रखे कि नेवला उसके बेटे को चोट न पहुंचाए। लेकिन जब वह चली गयी, तो ब्राह्मण ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और वह भिक्षा लेने घर से निकल गया। उसके जाने के बाद किसी छेद से घर में एक काला साँप निकल आया तथा बच्चे के पालने की ओर रेंगने लगा। यह देखकर नेवले ने सांप को एक दुश्मन के रूप में महसूस किया तथा बच्चे के रूप में अपने भाई की रक्षा करने के लिए सांप से लड़ने लगा।
दोनों के बीच हुए भीषण युद्ध के बाद अंततः नेवले ने सांप को मार गिराया तथा उसके टुकडे-टुकडे कर दिए। अपनी वीरता से खुश होकर, वह अपने खून भरे मुंह के साथ दौड़ा-दौड़ा अपनी माँ से मिलने गया। वह दिखाना चाहता था कि उसने क्या किया है और कैसे अपने भाई की रक्षा की है? खून से लथपथ मुंह को देखकर बच्चे की मां डर गयी और उसने बिना कुछ सोचे पानी का बर्तन नेवले पर दे मारा जिससे नेवले की मृत्यु हो गयी। क्योंकि नेवले को देखकर उसे लगा कि उसने उसके बच्चे को खा लिया है। दौड़ते-दौड़ते भयावह अवस्था में जब वह घर पहुंची तो उसने देखा कि उसका बेटा पालने में खेल रहा है तथा बगल में एक सांप के टुकड़े पड़े हैं। उसी समय वह ब्राह्मण भिक्षा लिए घर आया तथा उसकी पत्नी ज़ोर-ज़ोर से रोकर उसे कोसने लगी। क्योंकि उसके लालच के कारण उसने अपने प्यारे नेवले को मार डाला था। अगर ब्राह्मण ने उसकी बात मानी होती तो ऐसा कभी न होता।
पश्चिमी देशों में इसी कहानी में नेवले की जगह अन्य जानवरों जैसे कुत्ते को दर्शाया गया है। अन्य संस्करणों में बिल्ली, भालू, या शेर का प्रयोग भी किया गया है। कुछ संस्करणों में सांप को भेड़िये से बदल दिया गया है, हालांकि, कहानी का सार वही है जो इस कहानी का है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_grey_mongoose
2. https://bit.ly/30AoKUk
3. https://en.wikipedia.org/wiki/The_Brahmin_and_the_Mongoose
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