भारत एक ऐसा देश है जहां के लोग कई धार्मिक मान्यताओं का अनुसरण करते हैं। और यही कारण है कि भारत भर में जितने भी आस्था केंद्र या मंदिर दिखाई देते हैं उनकी स्थापना या मौजूदगी के पीछे कोई न कोई धार्मिक मान्यता अवश्य जुड़ी होती है। ऐसा ही एक मंदिर लखनऊ में भी स्थित है जिसे पुराना हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। देश भर में कई हनुमान मंदिर स्थापित हैं जिनकी अपनी-अपनी किवदंतियां और मान्यताएं हैं। इसी प्रकार की मान्यता पुराने हनुमान मंदिर से भी जुड़ी हुई है। माना जाता है कि अलीगंज स्थित यह पुराना हनुमान मंदिर त्रेतायुग का है। इसके संदर्भ में यह मान्यता है कि सीता माता को वनवास ले जाते समय लक्ष्मण और हनुमान इसी स्थान पर रुके थे।
जब अवध के तत्कालीन नवाब मुहम्मद अली शाह की बेगम रबिया को कई वर्षों तक कोई संतान नहीं हुई तथा नामी हकीम-वैद्यों की दवाइयों और पीर-फकीरों की दुआएं भी काम न आईं तो कुछ लोगों ने उन्हें इस्लामाबाड़ी के बाबा के पास जाकर दुआ माँगने का सुझाव दिया। बेगम वहां गयी और उसकी अभिलाषा पूरी हुई। माना जाता है कि जब बेगम गर्भवती थी, तब उसे एक सपना आया जिसमें उनके गर्भस्थ पुत्र ने उनसे कहा कि इस्लामाबाड़ी में उसी जगह हनुमान जी की एक मूर्ति गड़ी है। उस मूर्ति को निकलवाकर किसी मन्दिर में प्रतिष्ठित किया जाये। जब बच्चे का जन्म हुआ तो रबिया बेगम वहाँ गयीं और उस स्थान को खुदवाया जिसके नीचे से हनुमान जी की मूर्ति निकाल ली गयी। बाद में मूर्ति को साफ करके तथा सोने-चाँदी और हीरे-जवाहरात से सजाकर एक हाथी पर बिठाया गया ताकि इमामबाड़े के पास मूर्ति को प्रतिस्थापित करके मन्दिर बनवाया जा सके। फिर जब बेगम को स्वप्न में हनुमानजी ने दर्शन दिए तो उन्होंने मंदिर बनवाकर मूर्ति स्थापित करवाई और उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने मंगत राय फिरोज़ शाह रखा। कई हनुमान भक्तों के लिए यह लखनऊ का लोकप्रिय स्थान है जहां वे एक-दूसरे से मिलते हैं।
रामायण की महाकाव्य कहानी पूरे दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिसके कई अलग-अलग संस्करण मौजूद हैं। 20,000 से अधिक छंदों के इस महाकाव्य में हिंदू समाज द्वारा कई आदर्श पात्रों को दर्शाया गया है जिनमें से भगवान हनुमान भी एक हैं जिन्हें कई नामों जैसे हनुमान, मारुति, पवनकुमार, वायु-तनया, अंजनेय आदि नाम से जाना जाता है। भगवान हनुमान की दिव्यता मानव और पशु राज्यों के भीतर परमात्मा का प्रतिनिधित्व करती है। हनुमान वफादारी, सेवादार और पवित्रता के विशेष उदाहरण हैं, जो भगवान विष्णु के अवतार राम के साथ उनके भक्ति संबंध द्वारा रामायण में प्रदर्शित किए गए हैं। हनुमान भगवान वायु और अंजनी (बंदर रूप) के पुत्र हैं जिस कारण उनका शरीर मानव की भांति किंतु मुख बंदर की भांति है। उन्हें अविश्वसनीय महाशक्तियों का धनी माना जाता है। उनके पास कई रहस्यमय क्षमताएं हैं जिस कारण उन्हें अत्यधिक ताकतवर माना जाता है।
केवल भारत में ही नहीं बल्कि अन्य कई देशों के लोग भी भगवान हनुमान से प्रभावित हैं और इस कारण उनको एक आदर्श के रूप में देखते हैं। उदाहरण के लिए कम्बोडिया के ख्मेर (Khmer) इतिहास में हनुमान को एक वीर व्यक्ति माना जाता था। उन्हें मुख्य रूप से रीमकर (Reamker- रामायण महाकाव्य पर आधारित एक कंबोडियन महाकाव्य कविता) में दर्शाया गया है। कंबोडिया और दक्षिण पूर्व एशिया के कई अन्य हिस्सों में, मुखौटा नृत्य और छाया थिएटर (Theatre) कलाएं हनुमान को रीम (Ream-भारत के राम के समान) के साथ दर्शाती हैं जिसमें हनुमान को एक सफेद मुखौटे से दर्शाया जाता है। इसी प्रकार से इंडोनेशिया के जावानीस (Javanese) संस्कृति में पाए जाने वाले वायांग वोंग (Wayang Wong) जैसे कई ऐतिहासिक नृत्य और नाटक कला कृतियों में हनुमान केंद्रीय पात्र हैं। इन प्रदर्शन कलाओं को कम से कम 10वीं शताब्दी से दर्शाया जा रहा है। इंडोनेशियाई और मलय द्वीपों में खोजे गये प्रमुख मध्ययुगीन हिंदू मंदिरों, पुरातत्व स्थलों और पांडुलिपियों में प्रमुख रूप से राम, सीता, लक्ष्मण, विश्वामित्र, सुग्रीव के साथ हनुमान के साक्ष्य भी शामिल हैं।
संदर्भ:
1. https://www.amarujala.com/lucknow/miracalous-temple-of-lord-hanuman-in-lucknow-hindi-news?pageId=5
2. http://www.mahavidya.ca/2008/04/15/iconography-of-hanuman/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Hanuman#Hanuman_in_Southeast_Asia
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