वन प्रकृति को संतुलित रूप देने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वनों के बिना जीवों के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। खाद्य पदार्थों से लेकर जानवरों के लिए निवास स्थान तक सभी हमें वनों से प्राप्त होता है। इसके अलावा जीवन के लिए आवश्यक जल के संरक्षण में भी वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन मिट्टी के क्षरण को रोकते हैं तथा वायु गुणवत्ता को भी बेहतर बनाते हैं। कोई भी ऐसी वस्तु संसार में नहीं है जो वनों से सम्बंधित न हो। पृथ्वी पर लगभग 2 बिलियन से भी अधिक लोग वनों पर निर्भर हैं। वन हमें आश्रय, आजीविका, पानी, भोजन, ईंधन सुरक्षा आदि प्रदान करते हैं। हमारी सारी गतिविधियों में वन प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। इसके उत्पादों द्वारा दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन और भी दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। विश्व की 80% स्थलीय जैव विविधता को आवास वन ही उपलब्ध करवाते हैं तथा ये मानव के लिए आजीविका का स्रोत भी बनते हैं। लखनऊ में वन आच्छादन लगभग 11.91% है, जबकि पूरे उत्तर प्रदेश की यदि बात करें तो वन आच्छादन केवल 6% है जिस कारण यह भारत का चौथा ऐसा राज्य है जहां वन आच्छादन सबसे कम है।
उपरोक्त सभी बातों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि मानव जीवन में वनों की कितनी अधिक उपयोगिता है। और इसलिए इन्हें संरक्षण प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय उद्यान (National parks) बनाए गये हैं। राष्ट्रीय उद्यान एक प्रकार से संरक्षित क्षेत्र हैं जो एक साथ मिलकर मानव के आर्थिक और सामाजिक कल्याण का आधार बनते हैं। सालाना लाखों आगंतुकों को आकर्षित करके राष्ट्रीय उद्यान पर्यटन को भी बढावा देते हैं। सबसे मूल बात यह है कि राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता के संरक्षण में सहायक हैं। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आदि सभी दृष्टिकोण से देखा जाये तो राष्ट्रीय उद्यान हर प्रकार से मानव जीवन को लाभांवित करते हैं। प्राकृतिक मूल्यों की यदि बात करें तो राष्ट्रीय उद्यान एक ऐसा सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं जिसमें जानवर और पौधे भली प्रकार से जीवित रह सकते हैं और अपना विकास कर सकते हैं। 1000 संकटग्रस्त प्रजातियों में से लगभग 70% प्रजातियां राष्ट्रीय उद्यानों में निवास करती हैं जहां उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता है। राष्ट्रीय उद्यान पर्यटन को बढावा देते हैं तथा रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान हमारे शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। ऐसे कई महत्वपूर्ण अभयारण्य हैं जहां लोग आनंद की प्राप्ति के लिए जाते हैं तथा अपने मन की स्थिति को पुन: जीवित करते हैं। प्रकृति की अंतर्निहित सुंदरता कलात्मक, रचनात्मक और आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत होती है जिससे व्यक्ति अपने तनाव, क्रोध, हताशा और आक्रामकता को कम कर सकता है। राष्ट्रीय उद्यान जलवायु को नियंत्रित करने, स्वच्छ पानी प्रदान करने, खाद्य सुरक्षा में सुधार करने तथा विभिन्न औषधियों की प्राप्ति में भी सहायक हैं।
भारत में भी कई ऐसे राष्ट्रीय उद्यान मौजूद हैं जो मनुष्यों और जंतुओं के जीवन को हर प्रकार से लाभांवित करते हैं. लखनऊ का कुकरैल संरक्षित वन भी इन्हीं राष्ट्रीय अभयारण्यों में से एक है। कुकरैल में हिरण पार्क और मगरमच्छों की लुप्तप्राय प्रजातियों को आसानी से देखा जा सकता है। यह लखनऊ के पसंदीदा पिकनिक स्थलों में से एक है जहां चिल्ड्रन पार्क (Children's Park,) कैफेटेरिया (Cafeteria) और रेस्ट हाउस (Rest House) भी बनाए गये हैं। यह मुख्य रूप से मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुओं का अभयारण्य हैं जिसकी स्थापना वर्ष 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सहयोग से की गई थी।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Kukrail_Reserve_Forest
2. http://www.uptourism.gov.in/post/-kukrail-reserve-forest
3. https://npansw.org/what-we-do/why-are-national-parks-important/
4. https://wwf.panda.org/our_work/forests/importance_forests/
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