सभी के जीवन में नये साल की बहुत अहमियत होती है क्योंकि इस दिन सभी अपने बीते हुए कल को पीछे छोड देते हैं तथा आने वाले कल का स्वागत करते हैं। सभी की यह कामना होती है कि आने वाला साल जीवन में ढेर सारी खुशियां और सफलताएं लेकर आये। जगह-जगह पर 31 दिसम्बर कि शाम को शानदार आतिशबाजी, परेड और विभिन्न परंपराओं के साथ नये साल का आगाज किया जाता है। आज 2020 का पहला दिन है तथा लोगों द्वारा जहां विभिन्न संकल्प लिए जा रहे हैं वहीं भव्य आयोजन भी देखने को मिल रहे हैं। किंतु क्या आप जानते हैं कि नववर्ष को मनाने की शुरूआत आखिर कहां से और कैसे हुई?
लगभग 4,000 साल पूर्व बेबीलोन में नए साल के आगमन पर उत्सव मनाया जाता था। पहली जनवरी को नए साल का जश्न मनाने की यह परंपरा कुछ हजार साल पहले से ही शुरू हुई है। ऐसा माना जाता है कि नए साल का जश्न मनाने की शुरूआत 2000 ई.पू. में मेसोपोटामिया से हुई थी। यह जश्न मार्च के मध्य में वसंत विषुव के आस-पास मनाया गया था। विभिन्न प्राचीन संस्कृतियों द्वारा नववर्ष का जश्न मनाने के लिए ऋतुओं से जुड़ी कई अन्य तिथियों का भी उपयोग किया गया। मिस्र और फारस के लोगों ने अपने नए साल की शुरुआत पतझड के विषुव काल के साथ की। जबकि यूनानियों ने अपना नववर्ष शीतकालीन संक्रांति को मनाया। प्रारंभिक रोमन कैलेंडर में 1 मार्च को नए साल के रूप में नामित किया गया था। मार्च से शुरू होने वाले इस कैलेंडर में सिर्फ दस ही महीने थे। 1 जनवरी को नया साल पहली बार रोम में 153 ईसा पूर्व में मनाया गया। 700 ईसा पूर्व तक जनवरी और फरवरी को कैलेंडर में नहीं जोडा गया था किंतु इसके बाद इन्हें रोम के दूसरे राजा, नुमा पोंटीलियस द्वारा कैलेंडर में जोडा गया। नये साल को मार्च से जनवरी में स्थानांतरित किया गया क्योंकि यह सिविल वर्ष की शुरूआत थी। 1 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर 46 ई.पू. में मान्यता दी गयी जब जूलियस सीजर ने एक नया, सौर-आधारित कैलेंडर पेश किया जोकि प्राचीन रोमन कैलेंडर में एक बहुत बड़ा सुधार था। प्राचीन रोमन कैलेंडर चंद्र प्रणाली पर आधारित था। मध्य युग में नये वर्ष को 1 जनवरी से स्थानांतरित किया गया तथा इसे उत्सवों के साथ जोडा गया। मध्य युग में यूरोप भर में ईसाई लोगों ने विभिन्न समय और विभिन्न स्थानों पर नया साल 25 दिसंबर, 1 मार्च, 25 मार्च, ईस्टर आदि के दिन मनाया।
1582 में, ग्रेगोरियन कैलेंडर ने पुनः 1 जनवरी को नये साल के रूप में स्थापित किया। अधिकांश कैथोलिक देशों ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को तुरंत अपनाया किंतु प्रोटेस्टेंट देशों द्वारा इसे धीरे-धीरे अपनाया गया। उदाहरण के लिए, ब्रिटिशों ने 1752 तक इस कैलेंडर को नहीं अपनाया था वे तब तक मार्च में ही अपना नया साल मनाते रहे। नए साल की शुरुआत आंशिक रूप से भगवान जानूस को सम्मानित करने के लिए की गई थी और इसलिए इस माह का नाम जनवरी रखा गया था। माना जाता है कि देवता जानूस के दो चेहरे थे। एक चेहरा अतीत के बीतने का जबकि एक भविष्य में आगे बढ़ने का प्रतिनिधित्व करता था। इस प्रकार देवता जानूस को सम्मानित करने के लिए माह का नाम जनवरी रखा गया और इसके पहले दिन को नववर्ष के रूप में मनाया जाने लगा। हालांकि आज भी कई स्थानों पर समय और ऋतु के अनुसार नववर्ष मनाया जाता है किंतु अधिकतर क्षेत्र नववर्ष के रूप में 1 जनवरी का ही समर्थन करते हैं।
संदर्भ:
1. https://www.history.com/topics/holidays/new-years
2. https://en.wikipedia.org/wiki/New_Year%27s_Day
3. https://www.infoplease.com/calendar-holidays/major-holidays/history-new-year
4. https://bit.ly/2u6unO5
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