प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन को रोकने तथा उन्हें भविष्य में सुरक्षित रखने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं जिनमें सभी वाहनों को विद्युतीकृत (Electric) करने की योजना भी शामिल है। इस योजना को शुरू करने के लिए भारत सरकार द्वारा 2013 में 'नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान - 2020 (National Electric Mobility Mission Plan-NEMMP)' का अनावरण किया गया था ताकि राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा, वाहनों के प्रदूषण और घरेलू विनिर्माण क्षमताओं के विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान दिया जा सके। पेरिस समझौते के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, भारत सरकार ने 2030 तक सभी वाहनों को विद्युतीकृत करने की योजना बनायी है।
इस योजना को अपनाने की कड़ी में उत्तर प्रदेश भी शामिल है जिसका लक्ष्य 2024 तक अपने कई शहरों में 10 लाख विद्युत वाहनों को उपयोग में लाना है। उत्तर प्रदेश के दस शहरों को एक नीति के तहत मॉडल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी सिटीज़ (Model Electric Mobility Cities) के रूप में नामित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य 2024 तक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में 40,000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करना, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माताओं के लिए आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान करना तथा क्षेत्र में 50,000 से भी अधिक रोज़गार को उपलब्ध करवाना है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर अपनी पहली नीति में राज्य ने वादा किया है कि वो इलेक्ट्रिक वाहनों के पहले 1,00,000 खरीददारों को पंजीकरण शुल्क और सड़क कर पर 100% की छूट प्रदान करेगी। इसके अतिरिक्त राज्य ने 2024 तक 2,00,000 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन (Electric charging station) स्थापित करने की योजना भी बनाई है। नीति में वाराणसी, लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, कानपुर, मथुरा, गाज़ियाबाद, मेरठ और नोएडा को 'मॉडल ईएम शहरों (Model EM cities)' के रूप में नामित किया गया है, जहां 2030 तक 70% सार्वजनिक परिवहन वाहनों को विद्युत् वाहनों में बदलने का प्रयास किया जाएगा। इन 10 शहरों में राज्य सरकार का लक्ष्य 2024 तक 50% कैब (Cab), स्कूल बस (School Bus), एम्बुलेंस (Ambulance) और सरकारी वाहनों को ईलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना है।
बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में यह योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके उपयोग से वायु प्रदूषण के स्तर को कम किया जा सकेगा। हालांकि भारत में इस प्रकार की योजना को सफल बनाने के लिए सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जिनमें बैटरी चार्ज करने की आधारभूत संरचना, बैटरी की गुणवत्ता, आपूर्ति-मांग अंतर आदि शामिल हैं। इन सभी चुनौतियों के चलते ईलेक्ट्रिक वाहनों को पूर्ण रूप से उपयोग में लाना कठिन हो सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन तुलनात्मक रूप से पेट्रोल (Petrol) वाहन से दोगुने महंगे हैं जिसका कारण इसमें लगने वाली बैटरी है जो प्रायः लिथियम-आयन (Lithium-ion) की बनी होती है। लिथियम-आयन बैटरी महंगी होती है तथा लंबी यात्रा के लिए उपयोग नहीं की जा सकती है। इसे बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति भी बहुत कम है जो भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के पूर्ण रूप से उपयोग में बाधा उत्पन्न कर सकती है।
संदर्भ:-
1. https://bit.ly/2Sqo7uH
2. https://inc42.com/features/what-is-the-future-of-electric-cars-in-india/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Electric_vehicle_industry_in_India
4. https://www.bbc.com/news/world-asia-india-48961525
5. https://bit.ly/2MoS7mT
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://pixabay.com/no/photos/elektrisk-bil-bil-elektrisk-1458836/
2. https://pixabay.com/no/photos/elektrisk-bil-auto-carsharing-smart-4381728/
3. https://www.pexels.com/photo/photo-of-man-riding-auto-rickshaw-3120046/
4. https://pxhere.com/en/photo/1057873
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