लखनऊ के करीब मिले लौह युगीन सभ्यता के प्रमाण

लखनऊ

 21-12-2019 03:16 PM
सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

लोहे की उपलब्धता ने आज वर्तमान विश्व की रूप रेखा ही बदलकर रख दी है। लखनऊ का इतिहास अभी तक मध्यकाल या उससे पीछे जाएँ तो महाजनपद काल तक ही माना जाता था। हाल ही में हुए सरयू नदी और सई नदी के मैदानी इलाकों से अन्वेषण में कई ऐसे अवशेष प्राप्त हुए जिन्होंने पुरातत्वविदों को यहाँ पर उत्खनन करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये स्थान थे दादुपुर और लहुरदेवा। इन स्थानों का अन्वेषण और उत्खनन डॉ राकेश तिवारी द्वारा कराया गया था जो कि उत्तर प्रदेश पुरातत्त्व विभाग के निदेशक थें। इस उत्खनन के बाद जो अवशेष समीप आयें उन्होंने लखनऊ के इतिहास को कुल करीब 1500 ईसा पूर्व तक धकेल दिया।

दादुपुर जो कि यहाँ से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है से लाल मृद्भांड, चिकने लाल मृद्भांड, चमकीले काले मृद्भांड, लाल और काले मिश्रित मृद्भांड आदि की प्राप्ति हुयी। इसी के डिपाजिट में लौह के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं। यहाँ से चबाई हुयी अस्थियों के भी अवशेष बड़ी संख्या में मिले हैं जोकि ये दर्शाते हैं की यहाँ के लोग मांसाहार का प्रयोग करते थे। यहाँ से जले हुए मिट्टी के अवशेष प्राप्त होते हैं और झोपड़ियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं जो कि यहाँ के गृह निर्माण कला के उपर भी प्रकाश डालते हैं। यहाँ से अनेकों की संख्या में मिले हिरन के सींगों के औजार और हड्डियों के औजार यह साबित करते हैं की यहाँ पर अस्थियों से बने औजारों का उद्योग हुआ करता होगा। जैसा कि उत्तर प्रदेश में सोनभद्र और चंदौली में हुए उत्खनन में जहाँ से लोहे के अवशेष प्राप्त हुए उनकी तिथि 1600 ईसा पूर्व तक की आई है। लेकिन अब जब हम एक बिंदु पर चर्चा करते हैं कि चंदौली और सोनभद्र के क्षेत्र में लोहे की खदाने उपलब्ध हैं लेकिन लखनऊ में लोहे के कार्य का मिलना एक बड़ी खबर है जोकि दोमट मिटटी के क्षेत्र में बसा है।

यहाँ से प्राप्त लोहे के अवशेष करीब 1500 ईसा पूर्व के हैं अब यह इस बात पर भी जोर देता है कि हो ना हो यहाँ पर कच्चा लोहा कहीं और से मंगाया जाता रहा होगा। यह कथन प्राचीन व्यापार को भी सिद्ध करता है। दादुपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर एक अन्य पुरास्थल से 1500 ईसा पूर्व से पहले के भी मानव के बसने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। दादुपुर का पुरास्थल सई नदी के किनारे पर बसा हुआ है। ऋग्वेद में सई नदी को संडिका नदी के नाम से पुकारा गया है। अब जैसा कि यह सत्य है कि ऋग्वेद की रचना 1500 ईसा पूर्व के करीब हुयी थी तो यह सिद्ध होता है कि इस स्थान पर उस समय मनुष्य निवास करते रहे थे। इन सभी तथ्यों से यह भी बात निकल कर आई कि यह मात्र एक कैंप की तरह का बसाव या फिर सामयिक बसाव ना होकर एक स्थाई बसाव था। लाहुरदेवा से जो अवशेष प्राप्त हुए हैं उनसे सरयू नदी के पार पहली बार खेती या कृषि की बात स्वीकारी जाती है। यहीं से इंसानों द्वारा चावल की खेती किये जाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इन सभी अवशेषों की प्राप्ति से यह तो सिद्ध हो गया कि लखनऊ के आस पास का क्षेत्र लौह युग में सुचारू रूप से प्रचलित था।

सन्दर्भ:-
1.
https://www.archaeologyonline.net/artifacts/iron-ore
2. http://www.orientalthane.com/archaeology/news_7_30.htm
3. https://bit.ly/393CcE3



RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id