भारत में वाणिज्यिक बकरी पालन है काफी लाभदायक व्यवसाय

लखनऊ

 20-12-2019 01:56 PM
स्तनधारी

भारत में वाणिज्यिक बकरी पालन दिन-प्रतिदिन बहुत लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि बकरी पालन को व्यवसाय के रूप में बहुत ही लाभदायक देखा गया है। यह देश के बेहतरीन और स्थापित पशुधन प्रबंधन विभाग में से एक है। वहीं बाजार की बड़ी मांग और उचित प्रसार लंबे समय के लिए इस व्यवसाय की तेज लाभप्रदता और स्थिरता को सुनिश्चित करता है। साथ ही भारत में वाणिज्यिक बकरी पालन और इसके बाजार को कुछ बड़े और प्रगतिशील उत्पादकों, उद्योगपतियों, व्यापारियों और बड़ी कंपनियों द्वारा अपनाया गया है।

इस प्रकार के निर्माता या बड़ी कंपनियां संपूर्ण बाजार के एक हिस्से को नियंत्रित करते हैं। भारत में बकरी के मांस और दूध की लगातार बढ़ती मांग के चलते इस उद्योग के व्यापक रूप से फैलाने की उम्मीद है।

मांस उत्पादन के साथ-साथ, बकरी दूध, रेशा और त्वचा उत्पादन के लिए भी बहुत उपयुक्त हैं। वे उच्च गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन भी करते हैं जो फसल के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बकरी का महान और महत्वपूर्ण योगदान है, विशेष रूप से भारत के पहाड़ी, अर्ध-शुष्क और शुष्क क्षेत्रों में। भारत में कई नस्ल की बकरियाँ मौजूद है, निम्न कुछ बकरियों की नस्लों का विवरण है:
1) जमुनपारी :- जमुनपारी नस्ल मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश राज्य में पाई जाती है। इस नस्ल की बकरियों के बालों का रंग धूमिल सफेद व गर्दन और कानों के पास काले रंग का निशान पाया जाता है। दोनों लिंगों में दाढ़ी और कूल्हों में लंबे बालों का गुच्छा देखा जा सकता है। इनके सींग छोटे और सपाट और क्षैतिज रूप से पीछे की ओर मुड़ते हैं। वहीं एक वयस्क नर की ऊंचाई 90 से 100 सेंटीमीटर तक होती है, जबकि मादा बकरी की लंबाई 70 से 80 सेंटीमीटर तक होती है। दूसरी ओर एक वयस्क मादा का वजन 45 से 60 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि एक वयस्क नर का 65 से 80 किलोग्राम के बीच होता है। इनकी प्रति दिन 2 से 2.5 किलोग्राम दूध देने की क्षमता होती है। वहीं दूध की वसा सामग्री 3 से 3.5% के बीच होती है।
2) बीटल: - इस नस्ल की बकरियाँ मुख्य रूप से पंजाब राज्य में पाई जाती हैं। दूसरी ओर इन नस्लों को मुख्य रूप से दूध और मांस के उद्देश्य पाला जाता है। वहीं यह आमतौर पर जामुनपारी की नस्ल से छोटा होता है। इसके बालों का रंग मुख्य रूप से काला होता है, या भूरे रंग के धब्बेदार आकार के धब्बे होते हैं। इस प्रजाति के नर में आमतौर पर दाढ़ी देखी जा सकती है। इनके पास प्रतिदिन एक से दो किलोग्राम दूध देने की क्षमता है। अधिकतम उपज 177 दिनों की अवधि में 591.5 किलोग्राम है।
3) बारबारी: - यह दिल्ली राज्य, उत्तर प्रदेश, गुड़गांव, करनाल, पानीपत और हरियाणा राज्य के रोहतक के शहरी इलाकों में लोकप्रिय और छोटे सींग वाले बकरे हैं। इस नस्ल का रंग हल्के भूरे रंग के पैच के साथ सफेद है। एक वयस्क मादा बकरी का वजन 25 से 35 किलोग्राम के बीच होता है, जबकि एक वयस्क नर बकरे का 35 से 45 किलोग्राम के बीच होता है। इनमें प्रति दिन 1.5 किलोग्राम से एक किलोग्राम दूध देने की क्षमता है।
4) टेलिचेरी: - टेलिचेरी नस्ल को मालाबारी नस्ल भी कहा जाता है। यह ज्यादातर केरल राज्य में पाई जाती है। आमतौर पर सफेद, बैंगनी और काले रंगों में देखा जाता है। एक वयस्क मादा का वजन 30 से 40 किलोग्राम तक होता है, जबकि एक वयस्क नर का 40 से 50 किलोग्राम के बीच होता है। ये प्रति दिन एक किलोग्राम से दो किलोग्राम दूध का उत्पादन कर सकते हैं।
5) सिरोही :- मोटे और छोटे बालों वाले इस नस्ल की बकरी का रंग भूरा, सफ़ेद और मिश्रित धब्बों वाला होता है। इनके शरीर का औसत वजन 50 (नर) और 23 (मादा) किलोग्राम होता है। साथ ही इनका औसत दूध का उत्पादन 71 किग्रा होता है। अन्य कई और नस्ल भी पाई जाती है, जैसे ओस्मानाबादी, कन्नी आडू, कोड़ी आडु, काला बंगाल, चेगु, चांगथांगी आदि उच्च नस्लें हैं। जो दूध और मीट में एक महत्वपूर्ण उत्पादन देते हैं। वहीं घरेलू या व्यावसायिक बकरी पालन के कुछ लाभ हैं।

यदि आप बकरी पालन का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आपको बकरियों को पालने के फायदे जरूर पढ़ने चाहिए, निम्न बकरी पालने के कुछ फायदे हैं :-
• बकरियां बहुउद्देश्यीय जानवर हैं जो दूध, मांस, रेशा, त्वचा का एक साथ उत्पादन करते हैं।
• गाय और अन्य पशुधन खेती की तुलना में, बकरी की खेती के लिए कम जगह और अतिरिक्त सुविधाओं की आवश्यकता होती है। उनके पास आवास और अन्य प्रबंधन की कम मांग है। छोटे पैमाने पर उत्पादन में वे अपने मालिकों और अपने अन्य पशुधन के साथ अपने घरों को साझा करने में सक्षम रहते हैं।
• इंफ्रास्ट्रक्चर, फीडिंग और इलाज जैसी उत्पादन लागत कम होती है।
• आपको अपने कृषि उत्पादों के विपणन के बारे में नहीं सोचना है। क्योंकि आपके उत्पादों के विपणन के लिए देश में पहले से ही एक स्थापित बाजार है।
• अन्य खेत जानवरों की तुलना में बकरी के खेत को बनाए रखना वास्तव में बहुत आसान है।
• बकरियां लगभग सभी प्रकार की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ खुद को अपना सकती हैं।
• वे आकार में छोटे होते हैं लेकिन तेजी से संहार की उम्र तक पहुँच जाते हैं।
• मांस और दूध जैसे बकरी उत्पादों का कोई धार्मिक निषेध नहीं है और दुनिया भर में खपत के लिए अत्यधिक स्वीकार किए जाते हैं।

जहां बकरी को पालने के कई लाभ देखे गए हैं वहीं भारत में बकरी पालन की कुछ कठिनाइयाँ भी मौजूद हैं। बकरी पालन में बाधा डालने वाली मुख्य कठिनाइयों को नीचे सूचीबद्ध किया गया है :-
• बकरी पालन के बारे में कम जानकारी के अभाव में लोग बकरी पालन व्यवसाय में आधुनिक खेती के तरीकों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
• विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए वाहनों की अनुपस्थिति जो जीवित बकरियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए बहुत उपयोगी हैं।
• बिना किसी व्यवहारिक बकरी पालन प्रशिक्षण के शुरुआती लोग पीपीआर, निमोनिया, डायरिया, टेटनस आदि जैसे घातक बकरी रोगों के कारण बकरियों में उच्च मृत्यु दर का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कई व्यवसायक पहली बार हानि होने के बाद फिर से बकरियां पालना शुरू नहीं कर पाते हैं।
• देश में सभी टीकों (विशेष रूप से पीपीआर) और पशु चिकित्सक की अनुपलब्धता।
• भारत के कुछ क्षेत्रों में उत्पादकों को उनके कृषि उत्पादों का उचित मूल्य नहीं मिलता है, जिस वजह से वे बड़ा उत्पादन करने में हतोत्साहित हो जाते हैं।
• अधिकांश लोग व्यवसाय शुरू करने के लिए पर्याप्त संख्या में (50-100) बकरियां खरीदने की क्षमता नहीं रखते हैं। 50-100 बकरियों का एक खेत निश्चित रूप से एक सुंदर आय उत्पन्न कर सकता है।

बकरी पालन व्यवसाय कुछ भारतीय लोगों के पारंपरिक व्यवसाय में से एक है। यह ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ लोगों की एकमात्र आर्थिक गतिविधि भी है। मुर्गी पालन की तरह, बकरी पालन व्यवसाय भी बहुत लाभदायक है और बड़ी संख्या में बेरोजगार शिक्षित लोगों को रोजगार दे सकता है। जो देश से बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में मदद करेगा।

संदर्भ :-
1.
http://www.agritech.tnau.ac.in/expert_system/sheepgoat/breeds.html#goatbreeds
2. https://www.roysfarm.com/goat-farming-in-india/
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Goat
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://www.pexels.com/photo/agriculture-animals-cattle-domestic-390025/
2. https://pixabay.com/no/photos/geiter-unge-beite-eng-brown-hvit-2719445/



RECENT POST

  • विश्व धरोहर दिवस पर जानें इसका महत्व व देखें लखनऊ की शान जहाज वाली कोठी व तारामंडल
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:53 AM


  • राम नवमी विशेष: एक आदर्श के रूप में स्थापित प्रभु श्री राम अंततः कहाँ गए?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:41 AM


  • चिकनकारी और ज़रदोज़ी कढ़ाई बनाती है, लखनऊ को पूरब का स्वर्ण
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:43 AM


  • क्यों मनाया जाता है 'विश्व कला दिवस', जानें इतिहास और महत्‍व
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     15-04-2024 09:40 AM


  • ये है सबसे दुर्लभ और अनोखे जीव-जानवर, जो है भारत के जंगलों की शान
    शारीरिक

     14-04-2024 10:00 AM


  • अंबेडकर जयंती विशेष: भारत के सामाजिक स्तर को ऊपर उठाने में डॉ. अंबेडकर का योगदान
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     13-04-2024 09:07 AM


  • दुनियाभर में सिख समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले बैसाखी पर्व का गौरवपूर्ण इतिहास
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-04-2024 09:40 AM


  • ईद की खुशियों पर चार चांद लगाती है लखनऊ के चौक और अमीनाबाद की रौनक
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     11-04-2024 09:41 AM


  • विश्व होम्योपैथी दिवस पर जानें इसका इतिहास एवं कैसे काम करती है ये चिकित्सा पद्धति
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     10-04-2024 09:50 AM


  • लखनऊ की सबसे पुरानी तस्वीरें खींचने वाले कैमरों का दिलचस्प इतिहास
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     09-04-2024 09:49 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id