पंछियों की दुनिया एक अत्यंत ही मनमोहक दुनिया होती है इनमे लाल पीले काले हरे बैगनी आदि रंग के पंछी दिखाई देते हैं। रामपुर हिमालय के तराई में बसा हुआ एक शहर है यहाँ पर विभिन्न प्रकार के पंछी पाए जाते हैं। यहाँ पर पाए जाने वाले पंछियों में से एक पंछी ऐसा भी है जो की अपनी रूप, काया, स्वरुप और रंग के लिए अत्यंत ही प्रचलित है।इस पंछी को ग्रेट होर्नबिल की नाम से जाना जाता है। ग्रेट होर्नबिल ब्यूसरोस बाईकोर्निस के वैज्ञानिक नाम से भी जाना जाता है। यह पंछी भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है।
इसके आकार प्रकार और रंग ने इसे कई जनजातीय संस्कृतियों और अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण दर्जा दिया है। यह पंछी करीब 50 सालों तक ज़िंदा रह सकता है। यह शाकाहार तो खात ही है परन्तु छोटे स्तनधारी, शरिश्रीपों और पंछियों का भी शिकार करता है। यह एक बड़े आकार का पंछी है जो की 95 से 130 सेंटीमीटर तक का हो सकता है। इनका पंख करीब 150 सेंटीमीटर का होता है तथा आकार में ये करीब 2 से 4 किलोग्राम तक हो सकते हैं। इनमे नर पंछियों का वजन औसतन 3 किलोग्राम होता है और मादाओं का करीब 2.59 किलोग्राम तक का। मादाएं नारों की तुलना में छोटी होती हैं तथा मादाओं की आँखे लाल होने की जगह नीली और सफ़ेद होती हैं। इन पंछियों में पलकों का पाया जाना भी एक आश्चर्य का विषय है।
ग्रेट होर्नबिल का नाम इस लिए है क्यूंकि इनके चोंच के ऊपर एक विशाल शीर्ष बना होता है जो की चमकीले पीले और काले रंग का होता है। इसके शीर्ष का आकार यू आकार का होता है तथा उपरी भाग समतल होता है। शीर्ष के पीछे का भाग नरों में काला होता है जबकि मादाओं में लाल रंग का। इन सभी आधारों पर यह आराम से अंदाजा लगाया जा सकता है की कौन सी पंछी मादा है और कौन सा नर। जैसा की इनका आकार अत्यंत बड़ा होता है तो इनके उड़ने पर भाप के इंजन के पिस्टन की तरह आवाज आती है। यह पंछी वैसे तो घने जंगलों में पाय जाता है लेकिन भोजन की तलाश में यह खुले मैदानों में विचरण करता है। यह करीब 1560 मीटर तक की उंचाई पर पाया जा सकता है। इस पंछी का रंग अत्यंत ही चटखदार होता है और इसके शीर्ष पर बना आकर खोखला होता है जो की सम्भोग और रक्षा के लिए प्रयोग किया जाता है इन पंछियों के द्वारा। आम तौर पर ग्रेट होर्नबिल समूह में रहते हैं लेकिन सम्भोग के लिए एकरस जोड़ी के साथ सम्भोग करते हैं। ये संतान उत्पत्ति दिन के दौरान करते हैं और संतानों की सुरक्षा के लिए रात में करीब 100 तक की भीड़ में इकट्ठा हो जाते हैं। यह सभी क्रियाकलाप इनको एक सामाजिक प्राणी की संज्ञा में लाकर के खड़ा कर देता है।
इन पंछियों का प्रजनन काल फरवरी से मई के बीच में होता है। सम्भोग के बाद ये बड़े पेड़ के कोटर में अपना निवास बनाते हैं और मादा अपने मल से एक दिवार बनाकर कोटर का मुख बंद कर देती है। इसके द्वारा बनाए गए दिवार में एक छेड़ बानाया जाता है जिससे नर खाना कोटर में डाल सके। मादा अंडे देने के बाद 40 दिनों तक अंडे सेती है। अंडे से बच्चे निकलने के बाद 1 से 2 सप्ताह तक मादा अपने बच्चों के साथ रहती है और फिर बाद में 15 सप्ताह तक माता पिता अपने बच्चों का ख्याल करते हैं। ये तमाम खूबियाँ इस पंछी के विशेषता को प्रदर्शित करती हैं। ये पंछी पारिस्थितिकी तंत्र में एक अहम् योगदान करते हैं तथा ये फलों आदि के बीजों को तमाम स्थानों पर फैलाते हैं। इनके ख़त्म होने पर जंगल का स्वास्थ खराब हो जाता है। इनके शिकार और जंगलों के सिकुड़ने के कारण इनको आज विलुप्तप्राय प्राणी की संज्ञा मिल गयी है जो की एक सोचनीय विषय है। ग्रेट हॉर्नबिल को प्रजनन काल के दौरान गाना गाने के लिए भी जाना जाता है।
सन्दर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Great_hornbill
2. https://thewonderfulwildlifeofsamloem.wordpress.com/great-hornbill-buceros-bicornis/
3. https://www.ncf-india.org/western-ghats/hornbill-hotspots
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.