ग्रामीणों और किसानों के लिए संकट पैदा करता है कोसी और रामगंगा नदी का बढता जल स्तर

लखनऊ

 14-12-2019 09:48 AM
नदियाँ

नदियां एक ऐसा साधन है जो पानी से जुडी मानव की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। किंतु यदि ये अपने भयावह रूप धारण कर लें तो विनाश का कारण भी बन सकती हैं। यही हाल कुछ कोसी नदी और रामगंगा नदी का है जोकि रामपुर शहर के निकट स्थित हैं। दोनों नदियां रामपुर और आस-पास के सभी गांवों को सिंचाई व अन्य दैनिक कार्यों के लिए पानी की आपूर्ति करती हैं और इसलिए शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। किंतु यह अवस्था हर समय बरकरार नहीं रहती। नदियां विनाश का कारण भी बनती है, विशेषकर बारिश के मौसम में। दरअसल लगातार बारिश और रामनगर बैराज से पानी छोड़े जाने पर कोसी नदी का जल स्तर बहुत अधिक बढ जाता है जिससे बाढ आने की सम्भावना बढ जाती है। नदी के जलस्तर का इस प्रकार बढ़ना ग्रामीणों और किसानों के लिए एक संकट पैदा करता है क्योंकि जलस्तर बढ़ने से फसल-पालेज भी कोसी नदी की चपेट में आनी शुरू हो जाती है। कोसी नदी का पानी कई किसानों के खेतों में घुस जाता है जिससे उनकी पालेज की फसल जलमग्न हो जाती है। इन फसलों में मुख्य रूप से लौकी, तोरई, भिंडी, करेला, खीरा आदि की फसलें शामिल हैं। नदी का जलस्तर बढ़ने से किसानों के सामने पशुओं के लिए चारा लाने की परेशानी भी बढ़ जाती है।

हालांकि यह कारण बाढ आने का मुख्य कारण है किंतु बाढ आने के पीछे अन्य कारण भी निहित हैं जैसे रेत खनन, पत्थरों को अवैध रूप से तोडना और अन्य अतिक्रमण। ये सभी कारक मृदा अपरदन का कारण बनती है। क्योंकि मिट्टी या रेत नदी के बहाव को नियंत्रित करने का कार्य करती है इसलिए इनका दुरूपयोग एक गम्भीर समस्या को उत्पन्न करता है जिनमें से बाढ भी एक है। इन सभी गतिविधियों के कोसी नदी के किनारे एकत्रित रेत और पत्थर दिन प्रतिदिन गायब होते जा रहे हैं और किनारों पर नदी का विस्तार अनियंत्रित होता जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal- NGT) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रामपुर जिले में हो रहे इस अवैध रेत खनन के कारण पर्यावरणीय नुकसान पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इस रिपोर्ट में कहा गया कि कोसी नदी में अवैध रेत खनन के कारण गहरी कटाई और खाई का निर्माण हुआ है और यह पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

यह समस्या केवल यहीं तक सीमित नहीं होती। एक तरफ पानी की अधिकता बाढ का कारण बनती है तो दूसरी तरफ इसका दुरूपयोग और अत्यधिक दोहन एक अन्य गम्भीर समस्या उत्पन्न करता है। सिंचाई और दैनिक कार्यों के लिए भूमिगत जल का बहुत अधिक उपयोग किया जाता है जिस वजह से भूमिगत जल की गुणवत्ता खराब हो रही है और जल स्तर कम होता जा रहा है। इसके मुख्य कारणों में असंख्य निजी नलकूप और राज्य नलकूप भी हैं।
रामपुर जिले के गतिशील भू-जल संसाधन के अनुसार 2004 में शुद्ध वार्षिक भूजल उपलब्धता 88848.97 ham तथा भूजल विकास की अवस्था 77% थी। भूमिगत जल की विद्युत चालकता 250 C पर 232 से लेकर 900 µs/cm थी। भू-जल में फ्लोराइड (Fluoride) की मात्रा बहुत कम पायी गयी जबकि नाइट्रेट (Nitrate) की मात्रा 1.7 से 48 मिलीग्राम/लीटर थी। कृषि रामपुर की जनसंख्या का मुख्य स्रोत है। यहां का शुद्ध सिंचित क्षेत्र 186905 हेक्टेयर है जो शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 96% है। शुद्ध सिंचित क्षेत्र का 98% हिस्सा 327 राजकीय नलकूप, 49 रहट (Rahat) 73618 पंपसेट (pumpsets) की सहायता से भू-जल द्वारा सिंचा जाता है। यहां भूजल विकास की अवस्था 77% है।

बाढ तथा भू-जल में कमी से सम्बंधित समस्या को हल करने के लिए UTFI (Underground Taming of Floods for Irrigation) ने एक परियोजना शुरू की है जिसकी सहायता से जहां बाढ पर नियंत्रण पाया जा सकता है तो वहीं भूमिगत जल को भी नियंत्रित किया जा सकता है। रामगंगा उप-बेसिन के लिए प्रस्तुत एक विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 1,741 m3 ha-1 को डायवर्ट (divert) करने और रिचार्ज करने से 50% तक बाढ़ की घटनाओं में कमी आएगी।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/34jWwgZ
2. https://bit.ly/2smo87S
3. http://cgwb.gov.in/District_Profile/UP/Rampur.pdf
4. https://www.indiatoday.in/india/story/ngt-azam-khan-rampur-1612528-2019-10-24
5. http://www.iwmi.cgiar.org/Publications/IWMI_Research_Reports/PDF/pub165/rr165.pdf



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id