वाहन खरीदना एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण फैसला होता है और यदि यह फैसला ऐसे समय पर लिया जा रहा हो जब पूरी अर्थ व्यवस्था धीमी हो चुकी हो, तब तो इसके बारे में चर्चा करना और भी ज़रूरी है। इस लेख के माध्यम से हम वाहनों के अर्थशास्त्र के बारे में जानते हैं और इसके साथ ही यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि सार्वजानिक परिवहन, निजी वाहन और साझा वाहनों में से कौन सा विकल्प सही और सटीक है। अभी हाल ही में इस विषय पर कई चर्चाएँ हुयी थी और यह जानना अत्यंत आवश्यक हो गया कि कोई भी वाहन खरीदने का सही समय क्या है?
पहली बिंदु जिस पर सबसे पहले हमें ध्यान देना चाहिए वह निम्नलिखित है-
1. वाहन का मूल दाम और उसके पंजीकरण का शुल्क
2. दैनिक ईंधन खपत
3. वाहन के रखरखाव आदि का खर्च
इन तीन विषयों के अध्ययन के अनुसार एक व्यक्ति निजी, सार्वजानिक या साझा परिवहन में अंदाज़ा लगा सकता है। अब एक गणित की ओर नज़र करते हैं और इसको और भी आसानी से समझने की कोशिश करते हैं। माना एक व्यक्ति ने एक निजी वाहन लिया जिसकी कीमत करीब 6 लाख रूपए है और माना कि वो गाड़ी उस व्यक्ति के पास करीब 3 साल तक रहती है और 3 साल के प्रयोग के बाद वह व्यक्ति वो गाड़ी बेच देता है और उसका 2.5 लाख रूपए उसको मिलता है। अब ऐसे में देखा जाए तो इस व्यक्ति ने 3 साल में करीब 3.5 लाख रूपए खर्च किया है। अब इस पूरी राशि को जब हम विभाजित करते हैं 3 साल की दर पर तब पता चलता है कि उस व्यक्ति ने करीब 320 रूपए प्रतिदिन वाहन पर खर्च किया। यह दिया गया आंकड़ा दैनिक ईंधन, वाहन के रखरखाव आदि से वंचित है। अब इसमें यदि इन सभी आंकड़ों को प्रेषित करते हैं तो यह आंकड़ा करीब 425-500 रूपए तक पहुँच जाता है। वाहन के ईंधन का प्रकार भी खर्च पर प्रभाव डालता है जैसे कि पेट्रोल (Petrol) और डीज़ल (Diesel) के दामों में एक अंतर देखने को मिलता है।
अब यह लिखित संविधान नहीं है कि कब अपनी गाड़ी को बदलें। इसको समझने के लिए निम्न बिन्दुओं पर ध्यान दिया जा सकता है-
1. जब वाहन अत्यधिक दिक्कत देने लगे,
2. यदि किसी का मन और महँगी और बेहतर गाड़ी ख़रीदने की ओर अग्रसर हो,
3. अधिक दूरी तक सफ़र करने वाला,
4. एक निश्चित समय पर गाड़ी बदलने वाले आदि।
उपरोक्त लिखित तमाम बिंदु गाड़ी के अर्थशास्त्र को प्रदर्शित करते हैं और यह भी समझाने की कोशिश करते हैं कि इसका दैनिक प्रभाव किस प्रकार से पड़ता है। जैसा कि वर्तमान समय में पब्लिक ट्रांसपोर्ट (Public Transport), शेयर गाड़ियां (Shared Vehicles) आदि का प्रचलन अत्यधिक है तो व्यक्ति को एक राशि का पता होता है कि उसके दैनिक जीवन में वह कितना खर्च करता है और उसकी तुलना वह नई गाड़ी के दाम से कर सकता है जो कि उपरोक्त पंक्तियों में दिया गया है। इस आधार पर व्यक्ति नयी गाड़ी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट आदि की ओर अपना निर्णय ले सकता है।
अपना पहला वाहन कब खरीदें यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण सवाल है क्यूंकि इसके अर्थशास्त्र को समझना अत्यंत आवश्यक है। गाड़ी खरीदने के और उसके खर्च को सहने आदि को समझने के लिए एक खरीदने का विचार करने वाला व्यक्ति ही इसे बेहतर समझ सकता है। इसको समझने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं को समझने की आवश्यकता है-
1. जिस पैसे में आप गाड़ी खरीदने के इच्छुक हैं, उसका कितना प्रतिशत आप अपनी जेब से देना चाहते हैं। इतनी राशी खर्च करने के बाद भी आपके पास कुछ महीनों तक के लिए अपने अन्य दैनिक खर्चों के लिया एक अच्छी बचत मौजूद होनी चाहिए। यदि लोन (Loan) के माध्यम से खरीदने के इच्छुक हैं, तो महीने का लोन कितना है और आपके बैंक के खाते में आपका राजस्व कितना है। यदि सब एकदम सही दिशा में हैं, तो आप ज़रूर गाड़ी खरीदने की तरफ अग्रसर हो सकते हैं।
2. वाहन खरीद जैसा बड़ा कदम उठाने से पहले प्राथमिकता को देखने की भी आवश्यकता होती है। वास्तविक ज़रूरत और सही मूल धन होने पर ही नयी गाड़ी खरीदने की ओर जाना चाहिए।
संदर्भ:
1. http://tsunamionroads.org/Download/Chapter/09.pdf
2. https://bit.ly/2EdFTJh
3. http://tsunamionroads.org/Download/Chapter/09.pdf
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pxhere.com/en/photo/1449441
2. https://pixabay.com/no/images/search/car%20buy/
3. https://pxhere.com/en/photo/1444397
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