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किसी भी देश के लिए भ्रष्टाचार एक चुनौती है जो विभिन्न रूपों में उस देश में रह रहे लोगों और उस देश की व्यवस्था को प्रभावित करता है। वर्तमान समय में भ्रष्टाचार ने एक भयावह रूप धारण कर लिया है जिसको नियंत्रित करने के लिए भरसक प्रयास किये जा रहे हैं किंतु कई देश इसे एक आवश्यक बुराई के रूप में देख रहे हैं अर्थात एक ऐसी बुराई जो देश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक है। इन देशों में घूस का लेन-देन रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना हुआ है जिसमें कई लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन कार्यों में शामिल होते हैं किंतु फिर भी इस बात से सहमत हैं कि भ्रष्टाचार नैतिक रूप से निंदनीय है। इन देशों में अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग भ्रष्टाचार में अधिक संलग्न होते हैं तथा मानते हैं कि भ्रष्टाचार नैतिक रूप से घृणित है, फिर भी जीवित रहने और अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उन्हें पुलिस अधिकारियों या अन्य सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देना आवश्यक है। उनके अनुसार मूलभूत आवश्यकता के लिए किया जा रहा भ्रष्टाचार उनके अस्तित्व की नैतिकता है। वे मानते हैं कि ऐसा भ्रष्टाचार कैसे बुरा हो सकता है जब इसके द्वारा वे अपने बच्चों को स्कूल भेज सकते हैं? या फिर अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। उनकी नज़रों में, जो मंत्री राज्य से लाखों की चोरी करते हैं उनकी अपेक्षा इस प्रकार का भ्रष्टाचार अधिक बुरा नहीं हैं।
इन देशों में पुलिस अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों का भी यही कहना है कि, वास्तव में इस प्रकार के भ्रष्टाचार से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि यह सभी दलों को लाभ पहुंचाता है। यदि भ्रष्टाचार को पूर्ण रूप से दूर किया जाता है तो इससे हाशिये पर रहने वाले लोग पीड़ित होंगे। तब वे सड़क विक्रेताओं के रूप में काम नहीं कर सकते या अवैध परिवहन नहीं कर सकते जो उनकी जीविका का आधार है। हालाँकि, कुछ का मानना यह भी है कि भले ही भ्रष्टाचार कुछ लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण योगदान देता है किंतु यह गरीबों के लिए एक अतिरिक्त कर भी है। भ्रष्टाचार के खात्मे से बहुसंख्यकों को बहुत फायदा होगा किंतु यह कैसे किया जा सकता है इस सवाल का जवाब देना आसान नहीं है।
इसके विपरीत कुछ अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक वैज्ञानिकों ने भी वैकल्पिक रूप से यह सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार, कम से कम कुछ मामलों में, आर्थिक विकास के पक्ष में काम कर सकता है। इनके अनुसार भ्रष्टाचार तेज़ी से विकास और अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में मदद कर सकता है। इन देशों में भ्रष्टाचार को आगे बढ़ने के अवसर के रूप में देखा जाता है। इस प्रकार भ्रष्टाचार को इन लोगों द्वारा दो रूपों में देखा जा रहा है। पहला निजी क्षेत्र का भ्रष्टाचार तथा दूसरा सार्वजनिक क्षेत्र का भ्रष्टाचार। वे लोग जो भ्रष्टाचार को आवश्यक बुराई के रूप में देखते हैं, उनके लिए निजी क्षेत्र के भ्रष्टाचार को इस श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि निजी क्षेत्र में संलग्नित सभी लोगों को इससे फायदा होता है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के भ्रष्टाचार में एक पक्ष के व्यक्ति को ही लाभ होता है तथा दूसरों को हानि उठानी पड़ती है।
भ्रष्टाचार का प्रभाव पर्यटन से सम्बंधित व्यवसायों में भी प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। पर्यटन एक वैश्विक व्यापार क्षेत्र है जो दुनिया के सभी हिस्सों में लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित करता है। वर्तमान में पर्यटन भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराध के लिए उपजाऊ क्षेत्र के रूप में काम कर रहा है। चूंकि पर्यटन आर्थिक विकास को बहुत अधिक प्रभावित करता है इसलिए इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार भी आर्थिक विकास से संलग्नित है। पर्यटक-आय वितरण और आवंटन पर भ्रष्टाचार का प्रभाव पर्यटन विकास के औचित्य के आधार को पूरी तरह से मिटा रहा है। क्लेप्टोक्रेसी टूर (Kleptocracy Tour) को भी भ्रष्टाचार के रूप में देखा जा रहा है। 'क्लेप्टोक्रेसी टूर' से तात्पर्य उन शहरों के दौरों से है जहां पर्यटन से होने वाले वित्तीय प्रवाह का उपयोग मनी-लॉन्ड्रिंग (Money-laundering) के साधन के रूप में आवासीय संपत्ति खरीदने के लिए किया जा रहा है। इस अवधारणा की स्थापना
भ्रष्टाचार-विरोधी प्रचारकों द्वारा की गई थी, जिसे फरवरी, 2016 में लंदन में शुरू किया गया था।
भ्रष्टाचार की इस अवस्था से भारत भी मुक्त नहीं है। भारत में निम्न स्तर के भ्रष्टाचार की व्यापकता को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने एक शोध किया और देखा कि नागरिकों ने बुनियादी और रोज़मर्रा की चीज़ों को प्राप्त करने के लिए कितनी बार और कितना भुगतान किया। परिणामों से पता चला कि सबसे आवश्यक सेवाओं के लिए हर तीन लोगों में से एक ने घूस की मांग की। दिल्ली में 1,500 घरों में किए गए "इंडिया करप्शन सर्वे" (India Corruption Survey) का अनुमान है कि वहां रहने वाले लोगों ने पिछले साल में 2 बिलियन रुपये (30.8 मिलियन डॉलर) का भुगतान घूस के रूप में किया है। पुलिस के पास शिकायत दर्ज होने से लेकर, स्कूल और अस्पताल में प्रवेश के लिए आधिकारिक दस्तावेज़ खरीदने और यहां तक कि गैस सिलेंडर से जुड़े उत्पादों जैसी बुनियादी चीज़ के लिए भी घूस का भुगतान किया गया। सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि दिल्ली में प्रत्येक परिवार ने पिछले साल औसतन 2,846 रुपये रिश्वत में दिए थे। इनमें से लगभग 45% घर निम्न-आय वर्ग के थे।
भ्रष्टाचार की व्यापकता को नोबल कॉज़ भ्रष्टाचार (Noble cause corruption) कहा जा सकता है। यह वो भ्रष्टाचार है जो एक टेलिओलॉजिकल नैतिक व्यवस्था या प्रणाली (Teleological ethical system) का अनुपालन करता है। यह सुझाव देता है कि लोग वांछनीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनैतिक या गैरकानूनी साधनों का उपयोग करेंगे जिसके परिणामस्वरूप अधिक अच्छे लाभ प्राप्त होंगे। इस प्रकार का भ्रष्टाचार तब होता है जब किसी को अपनी ईमानदारी पर पूरा भरोसा होता है और वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए वे अपनी शक्तियों के साथ कुछ भी कर सकते हैं। इस प्रकार के भ्रष्टाचार का एक उदाहरण पुलिस द्वारा किया जाने वाला अत्याचार है जो अच्छे परिणाम के नाम पर प्रतिबद्ध होते हैं। इस तरह के भ्रष्टाचार के लिए स्थितियाँ आमतौर पर वहां होती हैं जहाँ व्यक्ति कोई प्रशासनिक जवाबदेही महसूस नहीं करता और आपराधिक न्याय प्रणाली में विश्वास खो देता है। इस अवस्था में मनोबल और नेतृत्व क्षमता में कमी आ जाती है। इन स्थितियों को अहंकार और कमज़ोर पर्यवेक्षण के साथ सम्बंधित किया जा सकता है। पुलिस आचारसहिंता में अक्सर यह तर्क दिया जाता है कि कुछ सबसे अच्छे अधिकारी इस प्रकार के भ्रष्टाचार का कारण बनते हैं।
जहां भ्रष्टाचार के असंख्य हानिकारक प्रभाव हैं, तो वहीं कुछ लोगों के लिए व्यापक दृष्टिकोण का भ्रष्टाचार हमेशा बुरा नहीं है। भ्रष्टाचार आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करता है और इसलिए सामान्य मानसिकता में बदलाव लाना बहुत आवश्यक है। इसके साथ ही अधिकारियों की संस्थागत क्षमता को बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि ऐसे कई सार्वजनिक अधिकारी और नागरिक हैं जो रिश्वत देने से इनकार करते हैं और जानते हैं कि सार्वजनिक सेवा एक एहसान नहीं बल्कि एक कर्तव्य है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Noble_cause_corruption
2. https://bit.ly/36kOPsn
3. https://bit.ly/34cQRJs
4. http://harvardpolitics.com/world/greasing-wheels-secret-benefits-corruption/
5. https://www.emerald.com/insight/content/doi/10.1108/JTF-09-2017-060/full/html
6. https://plato.stanford.edu/entries/corruption/#VariCorr
7. https://on.wsj.com/2YDTIu4
8. https://bit.ly/3593tCI
9. https://en.wikipedia.org/wiki/Kleptocracy_Tour