चुनावी बांड (Electoral Bonds) अभी हाल के दिनों में अत्यंत ही ज्यादा चर्चा में रहा और इसके विषय में कई बाते हुईं तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मुद्दे पर हस्तक्षेप किया था। अब इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह होता क्या है और इसे कौन खरीद या बेच सकता है। केंद्र सरकार ने 29 जनवरी 2018 को चुनावी बांड की योजना को अधुसुचित किया या यूँ कहें की लागू किया। चुनावी बांड एक वचन पत्र की तरह होता है जोकि भारतीय स्टेट बैंक की चुनिन्दा शाखाओं से भारत में स्थित किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी द्वारा खरीदा जा सकता है। यह बांड जिस किसी भी नागरिक द्वारा खरीदा गया हो वह इसे अपने पसंद के राजनितिक दल को दान कर सकता है। ये राजनैतिक बांड 1000 रूपए से लेकर 1 करोड़ रूपए तक के हो सकते हैं और ये सिर्फ राजनैतिक दलों द्वारा ही लिए और भुनाए (Encash) जा सकते हैं। चुनावी बांड से प्राप्त धनराशी को चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक खातों में जमा किया जा सकता है और इसका लेन देन उसी खाते के माध्यम से किया जा सकता है जिसे चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित किया गया हो।
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