कुछ दवाइयों से किया जा सकता है एचआईवी/एड्स का उपचार

लखनऊ

 02-12-2019 12:00 PM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

वर्तमान में मानव ने ज्ञान-विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में प्रगति के साथ-साथ चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं। नई-नई औषधियों और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से आज न सिर्फ लोगों को अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने में कामयाबी मिली है, बल्कि कई महामारियों पर भी बहुत हद तक काबू पा लिया गया है। लेकिन कुछ ऐसे भी रोग हैं जिनका कोई निश्चित इलाज नहीं पाया गया है, जिनमें से एक है एचआईवी/एड्स, जिसकी सर्वप्रथम पहचान संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में वर्ष 1981 में की गई थी।

हालांकि अभी तक एचआईवी का कोई इलाज मौजूद नहीं है लेकिन इसे उपचार के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है, जो लोगों को लंबा और जीवन जीने में सक्षम करता है। उपचार में एचआईवी टीके का इस्तेमाल कर के विश्व भर के लोगों को वायरस से बचाया जाता है। इस उपचार का उद्देश्य वायरस के विभिन्न उपभेदों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करना है। वैसे तो विश्व भर में लगभग 37 मिलियन लोग एचआईवी या एड्स से ग्रसित हैं और हर साल अनुमानित 1.8 मिलियन नए मामले सामने आते हैं। लेकिन एचआईवी के लिए उपचार में प्रगति के बावजूद, वायरस के लिए एक इलाज और एक टीका दोनों अभी तक वास्तविकता नहीं बनी है।

एचआईवी के उपचार में मिलने वाली दवाइयों (प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस या पीआरईपी) को टीके के तरह एक बार नहीं बल्कि नियमित रूप से लेने की आवश्यकता होती है, ताकि वायरस को नियंत्रित किया जा सके। वहीं दूसरी ओर टीके का आविष्कार वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हुई है, क्योंकि इस रोग में वायरस के बहुत सारे ऐंठन मौजूद हैं और साथ में एचआईवी के वायरस हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में माहिर है।

वहीं एचआईवी के टीकों पर पिछले प्रयास दुनिया के कुछ हिस्सों में पाए जाने वाले वायरस के विशिष्ट उपभेदों तक सीमित हैं। लेकिन "मोज़ेक (mosaic)" टीके के लिए, वैज्ञानिकों ने विभिन्न एचआईवी वायरस के टुकड़ों से बना एक उपचार विकसित किया है। जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि यह दुनिया भर में पाए जाने वाले लगभग असीमित एचआईवी उपभेदों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। एक यादृच्छिक, डबल-ब्लाइंड, प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षण में, वैज्ञानिकों ने 18 से 50 वर्ष की आयु के लोगों (जिनमें एचआईवी नहीं था और वे स्वस्थ थे) में मोज़ेक टीके के विभिन्न संयोजनों का परीक्षण किया था।
अमेरिका, रवांडा, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड के प्रतिभागियों ने 48 सप्ताह के दौरान चार टीकाकरण दिए गए थे। इस टीके के सभी संयोजनों ने एक एचआईवी-विरोधी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया को उत्पन्न करा और ये सभी सुरक्षित पाए गए। मोज़ेक टीके का संयोजन, जिसने मनुष्यों में सबसे अधिक असर दिखाया था, वह 72 बंदरों में से 67% को एचआईवी से बचाने में कामयाब हुआ।

वर्तमान में, खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा किसी भी निवारक एचआईवी टीके को मंजूरी नहीं दी गई है, लेकिन इनमें अभी भी शोध चल रहे हैं। जबकि एक निवारक एचआईवी टीका उन लोगों को दिया जाता है जिन्हें एचआईवी नहीं है, दूसरी ओर एक चिकित्सीय एचआईवी टीका उन लोगों को दिया जाता है जिनको पहले से एचआईवी है। एक चिकित्सीय एचआईवी टीके का लक्ष्य किसी व्यक्ति के शरीर में पहले से मौजूद एचआईवी के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।

वहीं एचआईवी को लेकर कई मिथक और तथ्य जुड़े हैं, ये मिथक और तथ्य निम्नलिखित हैं :-
1) मिथक:
एचआईवी के टीके लोगों को एचआईवी दे सकते हैं।
तथ्य: यह कथन गलत है: एक व्यक्ति को एचआईवी टीके के अध्ययन से एचआईवी नहीं हो सकता है क्योंकि इन अध्ययन टीकों में वास्तविक एचआईवी नहीं होता है। कुछ टीके, जैसे टाइफाइड या पोलियो के लिए, वायरस का एक कमजोर रूप हो सकता है, लेकिन एचआईवी टीके में ऐसा नहीं है।
2) मिथक: एक एचआईवी टीका पहले से मौजूद है।
तथ्य: यह भी झूठ है। एचआईवी या एड्स के खिलाफ कोई लाइसेंस प्राप्त टीका नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक एचआईवी के खिलाफ एक प्रभावी टीका विकसित करने के लिए पहले से कहीं ज्यादा करीब हो गए हैं।
3) मिथक: पश्चिमी वैज्ञानिक एचआईवी के टीकों का परीक्षण करने के लिए विकासशील देशों में लोगों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
तथ्य: सभी प्रकार के लोगों में काम करने वाले टीके को खोजने के लिए, सभी प्रकार के लोगों में उसका परीक्षण करना आवश्यक है।
4) मिथक: चूंकि दवाइयाँ (प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस या पीआरईपी के रूप में जानी जाती हैं) एचआईवी संक्रमण को रोक सकती हैं, एचआईवी टीका अब जरूरी नहीं है।
तथ्य: हालांकि दवाइयाँ मौजूद हैं, लेकिन किसी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए प्रभावी तरीके कि आवश्यकता है जो एक टीके के द्वारा ही उपलब्द करवाई जा सकती है। टीका एक प्रभावी, सस्ता और व्यावहारिक विकल्प है।
5) मिथक: जो लोग एचआईवी संक्रमित नहीं हैं, उन्हें एचआईवी टीके की आवश्यकता नहीं है।
तथ्य: एक व्यक्ति आज एचआईवी के लिए जोखिम में नहीं हो सकता है, लेकिन जीवन बदल सकता है और कुछ भी हो सकता है। इसलिए एचआईवी टीका सबके लिए आवश्यक है।

वैसे तो एचआईवी के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रभावी टीके वर्षों दूर हैं, लेकिन इसमें अब पहले से कहीं ज्यादा उम्मीद है। शोधकर्ताओं ने 2009 के परीक्षण के परिणाम पर विस्तार किया है, जिसमें सबसे पहले एक ऐसा टीका देखा गया है जो एचआईवी संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है। भारत में भी एचआईवी की दवाई उपलब्ध है, जिसे नियमित रूप से लेने पर एचआईवी संक्रमण से राहत पाई जा सकती है। भारत में एचआईवी के साथ 2.1 मिलियन लोग पीड़ित है, जो विश्व में तीसरा सबसे बड़ा एचआईवी महामारी है।

संदर्भ :-
1.
https://www.bbc.com/news/health-44738642
2. https://bit.ly/2rJyOx1
3. https://www.avac.org/prevention-option/hiv-vaccine
4. https://www.hvtn.org/en/participants/HIV-myths-facts.html
5. https://en.wikipedia.org/wiki/HIV/AIDS#History
6. https://www.avert.org/about-hiv-aids/cure
7. https://www.unaids.org/en/resources/presscentre/featurestories/2017/may/20170501_veena



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