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पंडित विष्णु नारायण भातकांडे द्वारा रचित हिन्दुस्तानी पैमाने में नौवें मूल राग, थाट मारवा, कर्नाटक संगीत के पैमाने के 53 वें मेलकार्ता (मूल राग) गमनश्रम से मेल खाता है। सात नोट अनिवार्य होने के बावजूद, राग मारवा का स्वरा सिद्धांत पंचम (पा) को पूरी तरह से छोड़ देता है और इसलिए इसे हेक्साटोनिक राग (Hexatonic Raga) कहा जाता है। मध्यम (मा) तीव्र (Sharp) है, ऋषभ (री) कोमल (Flat Note) है जबकि अन्य सभी नोट शुद्ध (full) हैं। राजा नोट (वादी) वेशक ऋषभ है, जबकि रानी नोट (संवदी) शुद्ध दैवत है।
हालांकि इस मुद्दे पर परंपरावादियों के बीच थोड़ा विवाद है। मारवा में, निषद (नी) और गंधार (गा) तेज हैं, सा गृह और अंश स्वर हैं और री और धा न्यास स्वर हैं। संक्षेप में, मारवा में ‘खड़े स्वर’ (जहां सम्बन्ध (लगाव) प्रत्यक्ष और अटूट है) शामिल हैं जो कि व्यंजनों का शोक है।
मारवा का अपना एक इतिहास है।18 वीं शताब्दी के विद्वानों के अनुसार मारवा प्राचीन मालवा के समान है, और एक समान मधुर रूपरेखा साझा करता है। यह राग एक महिला राग है और संधिप्रकाश राग (सांझ) श्रेणी में आता है और आमतौर पर विषुव के दौरान, मौसमी परिवर्तन और गोधूलि (गोधूलि संधि) के मौकों के दौरान प्रस्तुत किया जाता है।
इस दौरान जिस तरह सूर्य अस्त होने की गंभीर उम्मीद की भावना पैदा करता है, वैसे ही इस राग से व्यक्त मनोदशा अक्सर चिंतनशील और आत्मनिरीक्षण होती है। मारवा थाट के अधिक लोकप्रिय व्युत्पन्न पुरिया, सोहिनी, मालीगौरा, पूर्वाकल्याण और पुरबा हैं। आज प्रारंग 4 महान कलाकारों द्वारा राग मारवा की प्रस्तुति का चलचित्र प्रदर्शित कर रहा है। तो आइये इस रविवार आनंद ले, भारतीय शास्त्रीय संगीत के इस अनमोल नगीने का।
सन्दर्भ:-
1. https://www.thehindu.com/features/friday-review/music/meditative-marwa/article3657413.ece
2. https://www.youtube.com/watch?v=u4I4KvFu9_I
3. https://www.youtube.com/watch?v=5Y9yGQU1XLw
4. https://www.youtube.com/watch?v=UNPRAgVxM9A
5. https://www.youtube.com/watch?v=2keuhykuEms