क्या समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित कर सकती हैं, कृत्रिम प्रवाल भित्ति?

लखनऊ

 30-11-2019 12:20 PM
समुद्री संसाधन

कोरल रीफ को प्रवाल भित्ति के नाम से भी जाना जाता है। ये समुद्र में पाए जाने वाले एक अद्भुत जीव होते हैं इस लेख में आइये जानने की कोशिश करते हैं की आखिर यह प्रवाल होता क्या है और भारत में किस प्रकार के प्रवाल पाए जाते हैं?

प्रवाल पानी के नीचे पाया जाने वाला पारिस्थितिकी तंत्र है यह प्रवाल के कई आकार प्रकार बनाता है और भित्ति अर्थात दिवार जैसा प्रतीत होता है। ये प्रवाल कैल्शियम कार्बोनेट से और पोलिप्स से मिल कर बनते हैं। अधिकाँश रूप में ये प्रवाल मूँगों आदि से निर्मित होती है जो की एक प्रकार का जंतु समूह है।

प्रवाल में पाए जाने वाले जीव फीलम सनीडारिया के एंथोज़ोआ वर्ग से सम्बंधित हैं इन जीवों में समुद्री अनिमोन और जेली फिश भी शामिल है। प्रवाल की सुरक्षा मूंगा द्वारा श्रावित कार्बोनेट अक्सोस्केलेटन से होती है। यदि इनकी ऐतिहासिकता की बात की जाए तो ये पहली बार 485 मिलियन साल पहले विकसित हुए थे इसे कैंब्रियन के मैक्रोबियल और स्पंज रीफ़ से जोड़ा जा सकता है। प्रवाल भित्ति मत्स्य पालन, तट संरक्षण आदि के लिए एक बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं।

ये पर्यटन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है विश्व स्तर पर देखा जाए तो इनकी अनुमानित कीमत करीब 9.9 ट्रिलियन डॉलर है। ये अत्यंत ही नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र भी होते हैं जो की पानी के स्थिति के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं। ये जल के विभिन्न प्रदूषणों को झेल पाने में असमर्थ होते हैं और जैसे जैसे तापमान और जल प्रदुषण बढ़ता है वैसे-वैसे ही ये खतरनाक तरीके से मृत हो जाते हैं। आइये अब भारत में प्रवाल के स्थिति के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

जैसा की हमें पता है की भारत में कुल करीब 8 हजार के करीब की तटीय सीमा है जो की इसे एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान के रूप में विकसित करती है। अब भारत के परिदृश्य में यदि बात करें तो यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जो की बंगाल की खाड़ी में उपस्थित है में बड़ी संख्या में प्रवाल पाए जाते हैं। कच्छ के खाड़ी में, मन्नार की कड़ी में, लक्श्वद्वीप और खम्बात की खाड़ी में, कर्नाटका के नेत्रानी खाड़ी आदि में बड़ी संख्या में प्रवाल पाए जाते हैं।

कच्छ की खाड़ी में पाया जाने वाला प्रवाल शंख के आकार का होता है। प्रवाल कई देशों के लिए आर्थिक स्तम्भ के रूप में कार्य करता है जैसा की यदि हम देखें तो कैरेबियन राष्ट्र बेलीज में सकल घरेलु उत्पाद में प्रवाल 10-15 फीसद का योगदान करती है इसमें मुख्य हैं मत्स्यपालन और पर्यटन। बेलीज अकेर्ला एक देश नहीं है करीब 94 ऐसे देश हैं जो की पर्यटन और मत्स्यपालन से प्रवाल से फ़ायदा लेते हैं। प्रवाल वास्तव में एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण साधन है जो की एक आर्थिक रूप से बड़ी मदद करते हैं लेकिन वर्तमान काल में ये मरने की और अग्रसर है और इसका कारण है प्रदुषण।

आज करीब 75 फीसद कोरल या प्रवाल मृत्यु की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके खतरे में मछली को खतरनाक तरीके से पकड़ने की प्रक्रिया, ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन, जलीय प्रदुषण आदि हैं। विश्व भर में इसके संरक्षण के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे। वर्तमान काल में एक और व्यवस्था का जन्म हुआ जिसे की हम कहते हैं कृत्रिम प्रवाल के निर्माण को। ये कृत्रिम प्रवाल भित्ति मुख्य रूप से समुद्री वन्यजीवन के उद्देश्य से तैयार की गयी हैं और जिनका ध्येय है तेजी से समुद्र में प्रवाल के पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना। हांलाकि यदि देखि जाए तो प्राकृतिक प्रवाल एक अलग ही महत्व रखता है जिसका स्थान शायद ही कृत्रिम प्रवाल ले सके। कृत्रिम प्रवाल को बाजारों में खरीद और बेचने का भी कार्य किया जाता है जो की समुद्र में स्थित प्रवाल को बचाने का भी कार्य करती है।

सन्दर्भ:-
1.
http://www.fao.org/3/x5627e/x5627e06.htm
2. https://bit.ly/2R5GHHU
3. https://bit.ly/2sxL4RT
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Coral_reefs_in_India
5. https://www.coralguardian.org/en/coral-reef-conservation/
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://www.pexels.com/photo/scenic-photo-of-coral-reef-3157890/
2. https://bit.ly/35Rt3MF
3. https://pixabay.com/pt/photos/subaqu%C3%A1tica-coral-recife-oceano-3250627/
4. https://bit.ly/2DwIfTe



RECENT POST

  • आइए देखें, कोरियाई नाटकों के कुछ अनोखे अंतिम दृश्यों को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     29-12-2024 09:24 AM


  • क्षेत्रीय परंपराओं, कविताओं और लोककथाओं में प्रतिबिंबित होती है लखनऊ से जुड़ी अवधी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:31 AM


  • कैसे, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, भारत के झींगा पालन उद्योग का प्रमुख केंद्र बन सकते हैं ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:32 AM


  • आनंद से भरा जीवन जीने के लिए, प्रोत्साहित करता है, इकिगाई दर्शन
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:36 AM


  • क्रिसमस विशेष: जानें रोमन सभ्यता में ईसाई धर्म की उत्पत्ति और विकास के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:35 AM


  • आइए जानें, सौहार्द की मिसाल कायम करते, लखनऊ के ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:30 AM


  • आइए समझते हैं, कैसे एग्रोफ़ॉरेस्ट्री, किसानों की आय और पर्यावरण को बेहतर बनाती है
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:32 AM


  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id