भारत में मत्स्य पालन तटीय राज्यों में एक प्रमुख उद्योग है, जिसमें 1.4 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं। 2016-17 में, देश ने ₹37,870.90 करोड़ मूल्य के 11,34,948 मीट्रिक टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया। निर्यात में मुख्य रूप से जमे हुए झींगे मौजूद थे। भारत में 8,129 किलोमीटर समुद्री तट, 3,827 मछली पकड़ने के गांव और 1,914 पारंपरिक मछली तट केंद्र हैं। वहीं भारत के ताज़े जल संसाधनों में 1,95,210 किलोमीटर की नदियाँ और नहरें, 29 लाख हेक्टेयर छोटे और बड़े जलाशय, 24 लाख हेक्टेयर तालाब और झीलें और लगभग 8 लाख हेक्टेयर बाढ़ के मैदान आर्द्रभूमि और जल निकाय शामिल हैं।
साथ ही 2010 में, समुद्री और मीठे पानी के संसाधनों ने 4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक मछली को सतत रूप से पकड़ने की क्षमता दिखाई। इसके अलावा, 2010 में जल और प्राकृतिक संसाधन से 39 लाख मीट्रिक टन मत्स्यपालन को देखते हुए यदि भारत मछली पकड़ने के ज्ञान, नियामक सुधार और स्थिरता नीतियों को अपनाता है तो मछली में दस गुना वृद्धि होने की क्षमता है। भारत में मत्स्य पालन ने 2008 में भारत के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के 1% से अधिक का योगदान दिया था। भारत में मत्स्य पालन लगभग 1.45 करोड़ लोगों को रोज़गार देता है।
मछली पकड़ने से आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए, भारत ने विशेष आर्थिक क्षेत्र को अपनाया है। हिंद महासागर में 200 समुद्री मील (370 किमी) है, जिसमें 20 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र शामिल है। वित्तीय वर्ष 1950 में मछली उत्पादन 8,00,000 टन से बढ़कर 1990 के दशक की शुरुआत में 41 लाख टन हो गया था। कुल मछली उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि के बावजूद, भारत में एक मछली किसान का औसत वार्षिक उत्पादन केवल 2 टन प्रति व्यक्ति है, जबकि नॉर्वे में 172 टन, चिली में 72 टन और चीन में 6 टन प्रति मछुआरा है।
वैसे तो आमतौर पर मछली बाज़ार स्वच्छ और साफ नहीं होते हैं लेकिन स्वस्थ परिस्थितियों में तैयार किए गए स्वच्छ मछली के व्यंजनों को उपलब्ध कराने और बेरोज़गारों को जीवन यापन करने में मदद करने के लिए, मत्स्य विभाग द्वारा हाल ही में वाराणसी में एक मोबाइल मछली कक्ष (Mobile Fish Parlour) शुरू किया गया है। यह कानपुर और लखनऊ के बाद तीसरा मछली कक्ष है। साथ ही ये कक्ष यूपी के कस्बों और शहरों में सही कीमत पर कई तरह की स्वादिष्ट मछलियाँ प्रदान करेंगे। इस योजना का उद्देश्य उत्पादकों और छोटे मछुआरों को लाभ पहुंचाने के लिए मछली उत्पादन को आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत करना है।
सबसे पहले मत्स्य कक्ष लखनऊ में खुला था हालांकि परिचालन घाटे और बुनियादी ढांचे के समर्थन में कमी के कारण उन्हें बंद कर दिया गया था। इस कारण से ही सरकार द्वारा इन कक्षों को खोलने के लिए ऋण सुविधा प्रदान की जाएगी और यह एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करेगी। इसके अलावा, राज्य में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अन्य योजनाएं भी लागू हैं, जिसमें मछली किसानों और उत्पादकों के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना शामिल है। वहीं राज्य सरकार मछली के बीज की उच्च मांग का सामना करने के लिए निजी क्षेत्र में अधिक हैचरी (Hatchery) स्थापित करने का लक्ष्य लेकर भी चल रही है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Fishing_in_India
2. https://bit.ly/2DltO4d
3. https://bit.ly/37H1ZRW
चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2snlsab
2. https://bit.ly/2pT1vXK
3. https://www.flickr.com/photos/nithiclicks/24995513357
4. https://pxhere.com/en/photo/878937
5. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Kerala_fisherman.jpg
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