रामपुरिया गौरव का प्रतीक है, कोठी खास बाग़

लखनऊ

 25-11-2019 11:38 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

रामपुर यहाँ के नवाबों द्वारा नाज़ों से सजाया गया शहर है। यह शहर अपनी वास्तुकला को लेकर भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में जाना जाता है। रामपुर रज़ा पुस्तकालय, जामा मस्जिद, कोठी खास बाग़ आदि यहाँ की ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास के एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण और स्वर्णिम दौर को प्रदर्शित करती हैं।

आज इस लेख में हम बात करेंगे रामपुर के प्रतिष्ठित कोठी खास बाग़ के बारे में-
कोठी खास बाग़ डब्लू सी राईट द्वारा डिज़ाइन किया गया था जो कि नवाब हामिद अली खान के कहने पर हुआ था। सन 1896 में हामिद अली के सिंहासन पर बैठने के बाद इस जगह की कल्पना की गयी थी। राईट एक इंडो सार्सैनिक (Indo Saracenic) वास्तुकला के जानकार थे अतः यह कोठी इस कला के अद्भुत नमूने के रूप में देखी जाती है। इस कोठी में करीब 200 कमरे, दरबार, कला वीथिका, संगीत कक्ष आदि मौजूद हैं। यह महल पुराने किले के अवशेषों के ऊपर बनाया गया है।

यदि इस महल के अन्दर की बात करें तो यहाँ पर रोमन (Roman) शैली के अनेकों खम्बे लगे हैं, संगमरमर की टाइलें इस महल में लगाई गयीं हैं तथा यहाँ पर 60x30 गज का तैरने का पूल (Pool) भी मौजूद है। इस कोठी के अन्दर और बाहर बड़े-बड़े फव्वारे लगाये गएँ हैं जो कि आज भी दिखाई दे जाते हैं। यह महल चारों ओर से खूबसूरत बगीचों से और क्यारियों से घिरा हुआ है जिन्हें आज भी देखा जा सकता है।

कोठी ख़ास बाग़ में कालांतर में कई चोरियां भी हुईं जिनमें यहाँ की कई बहुमूल्य वस्तुएं विदेशों में भेजी गईं जो अभी हाल ही में कुछ नीलामी में सामने आईं। विदेशियों के विवरण से यह पता चलता है कि यहाँ के कमरों आदि में रखे सोफे आदि की कुशन (Cushion) पर सोने के तारों से सजावट की गयी थी जो यहाँ की उच्च कला को और धन धान्य की पूर्णता को प्रदर्शित करती है। कोठी ख़ास बाग़ अपने महल के लिए तो जाना ही जाता है पर यह अपने यहाँ पर लगे विभिन्न किस्मों के आमों के लिए भी जाना जाता है।

आज से करीब 100 वर्ष पूर्व की यदि बात करें तो इस महल के मेहराबों के पास खड़े होने पर एक अत्यंत ही खूबसूरत छटा दिखाई देती होगी जो आज वर्तमान में कम हो गयी है लेकिन आज भी यहाँ पर आने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि व्यक्ति प्रकृति की गोद में आ गया हो। यहाँ के बाग़ को लक्खी बाग़ के नाम से भी जाना जाता है। यह नाम अर्थात ‘लक्खी’ इस लिए पड़ा क्यूंकि यहाँ पर करीब 1 लाख पौधे लगाए गए थे। यह बाग़ करीब 2 हज़ार बीघे में उपस्थित है जिसमें चौसा, लंगड़ा, दशहरी, दूधिया आदि किस्म के आम हमें देखने को मिल जाते हैं। लोगों में यह कथन मशहूर है कि जब यहाँ के आम लगाए गए थे तब उनको दूध से सींचा गया था। इस बाग़ में जामुन और लीची के पेड़ों की भी संख्या हज़ारों में है। यह कोठी रामपुर के गौरव का प्रतीक है जो आज भी यहाँ खड़ी इस शहर की शौर्यगाथा को बतलाती है।

संदर्भ:
1.
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/rampur-11471076.html
2. https://rampur.prarang.in/posts/1989/Mysterious-theft-in-Kothi-Khas-Bagh-of-Rampur-Nawab
3. http://www.bl.uk/onlinegallery/onlineex/apac/photocoll/k/019pho000430s42u00051000.html
4. https://www.exploreouting.com/attraction/kothi-khas-bagh
5. https://www.facebook.com/pages/The-Kothi-Khas-BaghRampur/132005900215859



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id