कई कहानियों का संग्रह है, लखनऊ के राज्य संग्रहालय में

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
25-11-2019 11:31 AM
कई कहानियों का संग्रह है, लखनऊ के राज्य संग्रहालय में

संग्रहालय एक ऐसा स्थान होता है जो कि हमारे जीवन से जुड़ी तमाम प्राचीन और नवीन वस्तुओं को वैज्ञानिक विधि से सहेजकर रखता है। भारत में कई प्रकार के संग्रहालय पाए जाते हैं। इनमें सबसे बड़ी संख्या है भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के संग्रहालयों की। राष्ट्रीय संग्रहालय भारत के सबसे बड़े संग्रहालय हैं। ये भारत भर में अलग-अलग स्थानों पर बने हुए हैं जैसे कि दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, इलाहबाद आदि स्थानों पर। लखनऊ का राज्य संग्रहालय एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण संग्रहालय है जो कि अपनी ऐतिहासिकता और अपने संकलनों के लिए जाना जाता है।

लखनऊ के राज्य संग्रहालय की शुरुआत सन 1863 में लखनऊ के तत्कालीन कमिश्नर कर्नल अब्बोट द्वारा कैसर बैग में छोटी छतर मंजिल भवन में उपस्थित कलाकृतियों के संग्रह से की गयी थी। यह संग्रहालय शुरूआती दिनों में 1883 तक नगरपालिका संस्थान के रूप में कार्य करता था फिर बाद में इसे प्रांतीय संग्रहालय का दर्जा दिया गया। जून 1884 में इस संग्रहालय को लाल बारादरी में अवध के नवाबों के पुराने राज्याभिषेक हॉल में स्थान्तरित कर दिया गया।

लखनऊ के इस संग्रहालय के लिए एक विशेष पुरातत्त्व अनुभाग सन 1909 में कैसर बाग़ के पुराने कैनिंग कॉलेज (Canning College) के परिसर में स्थापित किया गया था और इसी वर्ष इस संग्राहलय की प्रबंधन समिति का औपचारिक गठन भी किया गया था। इस संग्रहालय के निर्माण में ए. ओ. ह्युम जो प्रबंध समिति के महत्वपूर्ण सदस्य थे और संग्रहालय के प्रथम क्यूरेटर (Curator) डॉ ए.ए. फ्ह्युरर ने इस संग्राहलय के निर्माण में प्रमुख योगदान दिया। फ्युहरर की रूचि का अंदाज़ा इस संग्राहलय में रखे उस वक्त के पुरावशेषों को देख कर लगाया जा सकता है। मथुरा के कंकाली टीला से प्राप्त, जो कि सन 1888-89, 1889-90, 1890-91 की खुदाई में प्राप्त हुए थे, को इस प्रांतीय संग्रहालय में स्थान्तरित किया गया था।

इस संग्रहालय में अहिछत्र, कसया, इदर खेड़ा, संकिसा, उंचगाँव और अष्टभुजा आदि की खुदाई में मिले पुरावशेषों को रखा गया। सन 1950 में इस संग्रहालय का नाम बदलकर राज्य संग्रहालय कर दिया गया। उस दौर में इस संग्राहलय में एक बेहतर संग्रह की आवश्यकता थी। अतः इस बात को मद्देनज़र रखते हुए इस संग्रहालय को बनारसीबाग में एक स्वतन्त्रभवन में स्थान्तरित कर दिया गया। यह भवन नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में उपस्थित है। इस नए संग्रहालय परिसर का उदघाटन तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु द्वारा सन 1963 में किया गया था।

इस संग्रहालय में पुरात्तत्व से सम्बंधित, मुद्राशास्त्र से सम्बंधित, हथियार, प्राणीशास्त्र और चित्रों आदि का संकलन किया गया है। वर्तमान काल में यह संग्रहालय अनेकों संग्रहों को लिए हुए है जिनमें पाशाणकाल के औज़ारों आदि का भी संग्रह है। यह एक चार मंज़िला इमारत है जिसमें कई वीथिकाएँ उपस्थित हैं। इन वीथिकाओं में जैन वीथिका, भारतीय मूर्तिकला वीथिका, पुरातात्विक वीथिका, नवाब कला वीथिका, मिश्र देश के पुरासम्पदाओं की वीथिका, सिक्का वीथिका, धातु वीथिका, प्राकृतिक इतिहास वीथिका और बुद्ध वीथिका आदि हैं। आज यह संग्रहालय अपने संकलनों से पूरे विश्वभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है तथा इस देश की महत्वपूर्ण वस्तुओं को प्रदर्शित करता है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/State_Museum_Lucknow
2. https://www.museumsofindia.org/museum/511/state-museum-lucknow



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