किसी भी देश के विकास के लिए नवाचार बहुत ही आवश्यक है। नवाचार के माध्यम से ही तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी का विकास सम्भव हो पाता है। किसी भी नवाचार पर अपना अधिकार स्थापित करने के लिए उसे पेटेंट (Patent) कराने की आवश्यकता होती है। यह वो प्रक्रिया है जिसमें किसी आविष्कारकर्ता द्वारा आविष्कार पर एकाधिकार प्राप्त किया जा सकता है। 2017 में भारत के पेटेंट कार्यालय द्वारा 12,387 नवाचारों या आविष्कारों को पेटेंट कराया गया। इसकी दूसरी ओर 2016 में 8,248 तथा 2015 में 6,022 नवाचारों को ही पेटेंट कराया गया था। इस प्रकार 2016 की अपेक्षा 2017 में 50% अधिक नवाचार पेटेंट कराये गये। पूरे विश्व की बात की जाये तो 2017 में 14 लाख नवाचार पेटेंट कराये गये।
भारत में साल दर साल नवाचारों की पेटेंट संख्या बढ़ती जा रही है। पेटेंट में वृद्धि के लिए अग्रणी परिवर्तनों के बीच 2016 में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (National Intellectual Property) अधिकार नीति की शुरूआत हुई, जो पेटेंट, ट्रेडमार्क (Trademark) और कॉपीराइट (Copyright) देने के लिए प्रक्रियाओं को सरल करके नवाचार को बढ़ावा देना चाहता है। हालांकि इस अभियान के बावजूद भी, भारत से पेटेंट का प्रतिपादन विदेशियों के लिए अधिक किया गया है। 1,712 पेटेंट भारत के निवासियों और संस्थाओं के लिए जबकि 10,675 भारत से बाहर के निवासियों के लिए प्रतिपादित किए गये थे। बौद्धिक संपदा के संरक्षण की मांग वैश्विक आर्थिक विकास की दर की तुलना में अधिक बढ़ती जा रही है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि बौद्धिक संपदा समर्थित नवाचार प्रतिस्पर्धा और वाणिज्यिक गतिविधि का महत्वपूर्ण घटक है।
2018 में भी भारत के नवोन्मेषकों और अनुसंधान संगठनों ने विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के साथ 2,013 अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन दायर किए। इस प्रकार भारत नवाचार की दौड़ में शामिल हो गया है और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट प्रणाली में अपनी भागीदारी को मज़बूत बना रहा है। हालांकि चीन और अमेरिका की तुलना में भारत अब भी पीछे है। 2017 में चीन ने 48,905 जबकि 2018 में 53,345 अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन दायर किए थे। इस प्रकार चीन नवाचार के लिए दुनिया का प्रमुख केंद्र बनने जा रहा है। पेटेंट दाखिल करना पेटेंट अधिकारों की स्वतः गारंटी (Guarantee) नहीं देता है। गारंटी या अधिकार तब दिया जाता है जब नवप्रवर्तक पेटेंट की शर्तों को पूरा कर लेता है। नवप्रवर्तक या इनोवेटर (Innovator) को दो मानदंडों को संतुष्ट करना होता है। पहला यह कि नवाचार या आविष्कार मौजूदा तकनीकी में नये ज्ञान को जोड़ता हो और दूसरा यह कि नवाचार पर्याप्त रूप से आविष्कारशील हो। पेटेंट दर्ज होने को एक देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रसार के प्रमाण या परिमाण के रूप में देखा जाता है। इसके अतिरिक्त यह आविष्कारक को अपने आविष्कार का एकाधिकार प्रदान करता है।
भारत में अब पेटेंट को सस्ता करने और उन्हें जल्द से जल्द प्रतिपादित करने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, यह आसान नहीं है। यदि भारत को आविष्कार के एक केंद्र के रूप में उभरना है तो स्टार्टअप्स (Startups), विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों सहित भारतीय कंपनियों को अधिक पेटेंट उत्पन्न करने की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी तथा उसे अनुसंधान और विकास पर किये जाने वाले खर्च में भी वृद्धि करनी होगी। 2016-17 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का सिर्फ 0.7% ही अनुसंधान और विकास पर खर्च किया था जबकि 2017 में जापान, अमेरिका और चीन ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का क्रमशः 3.2%, 2.8% और 2.1% अनुसंधान और विकास पर खर्च किया। 2022 तक भारत अपने अनुसंधान और विकास पर किये जाने वाले खर्च को कम से कम 2% से अधिक करना चाहता है।
भारत में पेटेंट दाखिल करने के प्रति जागरूकता का अभाव भी देखा गया है। जिसके चलते भारतीय अपने नए आविष्कारों को संरक्षित करने से चूक जाते हैं। भारत अभी भी बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर/IPR), विशेष रूप से पेटेंट और उनके वाणिज्यिक निहितार्थों के महत्व को पूरी तरह से नहीं जान पाया है। जिस कारण नवाचार की दौड़ में हम पीछे हैं। नवाचार के माध्यम से ही भविष्य में प्रौद्योगिकी और तकनीकी विकास सम्भव हो सकता है। यह केवल विकास दर को ही नहीं बल्कि रोज़गार को भी प्रभावित करता है क्योंकि इसका सीधा असर उद्यमशीलता पर पड़ता है।
संदर्भ:
1. https://qz.com/india/1484749/india-granted-50-more-patents-in-2017-says-un-data/
2. https://bit.ly/330RZzn
3. https://bit.ly/2Qj8UKH
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