बन्दूक और आंसू गैस की जगह टेज़र गन भी है एक विकल्प

लखनऊ

 18-11-2019 01:50 PM
हथियार व खिलौने

बन्दूक एक ऐसा हथियार है जिससे निकली गोली को लगने से सामान्यतया व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह सवाल उठता है की क्या बंदूकों का प्रयोग सही है? इसको एक अन्य क्षेत्र में लेकर देखते और इसका सम्बन्ध सुरक्षाबलों से करते हैं। पुलिस या अन्य कुछ सुरक्षाबल जो की देश के अन्दर विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं और उनके पास मात्र घातक औजार हों तो ऐसे में कई बातें सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

जैसे कि देश भर में कई स्थान पर शांत और विरोधप्रदर्शन होता रहता है ऐसे स्थान पर यदि कुछ लोगों की वजह से भगदड़ हो जाए तो आंसू के गोले आदि के अलावां बंदूकों का प्रयोग यदि कर दिया जाता है तो अप्रिय घटना होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। कई बार ऐसा होता है की किसी को गिरफ्तार करने के चक्कर में भी बन्दूक का प्रयोग करना पड़ जाता है लेकिन ऐसे में गिरफ्त में लेने की वजह से व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। ऐसे कई तथ्य हैं जहाँ पर सुरक्षाबलों के ऊपर उंगली उठ जाती है अब ऐसे बिंदु पर दूसरे विकल्पों पर चर्चा करना आवश्यक है।

टेज़र बंदूक एक ऐसा ही विकल्प है जिसे की पुलिस और अन्य सुरक्षाबल प्रयोग कर सकते हैं। आइये जानते हैं इस टेज़र बन्दूक के बारे में और इसकी प्रयोग के बारे में। एक टेज़र बन्दूक बिजली के झटकों पर कार्य करता है और यह सामने वाले व्यक्ति को कुछ देर के लिए विछिप्त कर देता है। टेज़र बन्दूक जिस व्यक्ति पर चलती है वह उस व्यक्ति के न्यूरोमशल पर कार्य करता है। अभी हाल ही में भारत सरकार ने पानी की तोपों, आंसू गैस, बीन बैग, रबर गोली स्टन बन्दूक, स्टन ग्रेनेड और टेज़र बन्दूक का प्रयोग करने का फैसला किया है।

टेज़र बन्दूक की खोज नासा के वैज्ञानिक जैक कवर ने किया था। यह इलेक्ट्रो-मस्कुलर डिसकशन तकनिकी पर कार्य पर करता है। इस बन्दूक प्रयोग करने पर जिस व्यक्ति पर इसका प्रयोग किया जाता है उसका शरीर अकड़ जाता है। आइये अब इस बन्दूक के शरीर पर होने वाले प्रभावों के बारे में पढ़ते हैं। आम तौर पर 5 सेकण्ड के एक शॉट से व्यक्ति को आतंरिक रूप से किसी प्रकार से कोई दिक्कत नहीं होती ललेकिन चेतना के जाने के बाद गिरने के कारण कुछ चोटें जरूर लग सकती हैं। इसके प्रयोग से त्वचा पर घाव लग सकता है।

टेज़र बन्दूक के प्रयोग से 0.36-1.76 जूल प्रति पल्स का करंट पैदा होता है। इससे ज्यादा प्रभाव तो नहीं पड़ता परन्तु कार्डियक डिसफंक्शन का मामला हो सकता है और मिर्गी रोग आदि होने के आसार हो जाता है। कानूनन रूप से यदि पुलिस प्रशासन आदि में यदि गैर-घातक शस्त्रागार की योजना की जाए तो यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण योजना होगी। इस प्रकार से यह कहा जा सकता है की टेज़र बन्दूक के प्रयोग से न्यूनतम चिकत्सीय खतरा होता है। इसका प्रयोग संभावित हिंसक स्थितियों को प्रभावी रूप से हल करने में सक्षम है।

सन्दर्भ:
1.
http://medind.nic.in/jal/t10/i4/jalt10i4p349.pdf
2. https://nbcnews.to/2QwJ0Dp
3. https://bit.ly/32X6DYc
4. https://bit.ly/33X7rxF



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