नवाबों की नगरी लखनऊ में सिर्फ यहां की ऐतिहासिक इमारतें ही नहीं बल्कि यहां का खाना भी विश्व भर में मशहूर है। अवधी व्यजंनों के बारे में अच्छे से जानने के लिए देश में लखनऊ के सिवाय और कोई जगह नहीं हो सकती। मुगल साम्राज्य के दौरान प्रसिद्ध मुगलई व्यंजन मध्यकालीन भारत में विकसित हुआ था। उत्तर भारत और मध्य एशिया की पाक शैली और विधि का मिश्रण मध्य एशिया के व्यंजनों से अत्यधिक प्रभावित है जो कि तुर्क-मंगोल मुगल साम्राज्यों के शासन के समृद्ध इतिहास से सम्बन्ध रखता है।
मुगलई व्यंजन आम तौर पर काफी मसालेदार, समृद्ध और भारी होते हैं, जिसे बहुत ही अनोखी सुगंध के साथ चिह्नित किया जाता है। यह समय के साथ पूरे भारत में सबसे लोकप्रिय और पसंदीदा व्यंजनों में से एक हैं। इसके कुछ हस्ताक्षर व्यंजनों में बिरयानी, मुगलई पराठा, मुर्ग मुसल्लम, कबाब, मलाई कोफ्ता और रेज़ाला शामिल हैं जो उत्साही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वहीं बात करें कबाब की तो यह प्रत्येक लखनऊवासी के लिए एक उत्तम भोग हैं और यह काफी आसानी से लोगों को अपने स्वाद से लुभा सकता है। लखनऊ का ‘पसंदा कबाब’ भी स्वाद के मामले में पीछे नहीं है। पसंदा कबाब एक उर्दू शब्द है जिसे ‘पसंदे’ से लिया गया है और इसका अर्थ “पसंदीदा” है, क्योंकि इसको बनाने में चुने गए मांस के बेहतरीन टुकड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। यह मुगलों के शासन काल में मुगल बादशाहों को परोसा जाने वाला एक ख़ास व्यंजन हुआ करता था। इसे आमतौर पर करी (Curry) के रूप में तैयार किया जाता है जिसमें मसालेदार चटनी में पकाए गए बकरे के गोश्त के बड़े-बड़े टुकड़े होते हैं। वर्तमान समय में कई रेस्तरां इसे कबाब के रूप में भी परोसते हैं। इस बिना हड्डी के कबाब को मटन की पतली परतों से बनाया जाता है जिसमें कच्चे पपीते, सफेद मिर्च और अदरक लहसुन के पेस्ट (Paste) मिलाये जाते हैं। इन कबाबों को कोयले की आग पर सींक से भूना जाता है। चाट मसाले के साथ खाने पर यह काफी उत्तम स्वाद देता है। इसकी तैयारी के दो मुख्य तरीके हैं: मटन के टुकड़ों को भूना या पकाया जा सकता है। लखनऊ के अधिकांश रसोइये इसे पकाना अधिक पसंद करते हैं। इस व्यंजन का इतिहास 16वीं शताब्दी से पाया जाता है। एक मुस्लिम फारसी राजवंश के तहत भारत पर शासन करने वाले तुर्क-मंगोल मूल के मुगल सम्राटों के दरबार में यह प्रसिद्ध हो गया। सर्वप्रथम 12वीं शताब्दी ईस्वी में ‘मानसोल्लास’ में पसंदा के समान एक प्रकार के पकवान का उल्लेख किया गया है। इस विधि में मांस के टुकड़ों को दही के साथ पकाने से पहले तब तक पीसा जाता है जब तक कि वे पतले नहीं हो जाते।पसंदा कबाब के अलावा भी कई और प्रसिद्ध कबाब भी हैं, तो चलिए जानते हैं इनमें क्या अंतर है :-
गलौटी कबाब :- गलौटी कबाब लखनऊ के सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है। 'गलौटी' शब्द का अर्थ है, "वह चीज़ जो मुंह में गल जाती है" और गलौटी कबाब इतने मुलायम होते हैं कि यह मुंह में डालते ही पिघल जाते हैं।
घुटवा कबाब :- इसे लंबे समय से अवधी दास्तर्खवान में एक उत्कृष्ट व्यंजन माना जाता है। अवध के शिया नवाबों द्वारा प्रस्तुत, यह मूल रूप से लगन में मटन कीमा से तैयार किया गया था। कबाब के लिए कीमा, गिलौटी कबाब की ही तरह मटन के पैर से बनाया जाता है।
शमी कबाब :- यह कबाब भारत में सर्वश्रेष्ठ कबाबों में से एक है, जो अच्छे और स्वादिष्ट मांस से बनाए जाते हैं और इन्हें चने की दाल के साथ मिश्रित किया जाता है।
सीख कबाब :- यह अवधी व्यंजनों के सबसे प्रसिद्ध व्यंजनों में से एक है और इसकी नरम बनावट और सुगंध के लिए इसे जाना जाता है। इसे कबाब की सीख की मदद से भूना जाता है और शीरमाल के साथ परोसा जाता है।
रोगन जोश :- रोगन जोश मूल रूप से एक फारसी मेमना पकवान है जिसे मुगलों द्वारा कश्मीर में लाया गया था और अब यह कश्मीरी व्यंजनों के मुख्य भोजन में से एक बन गया है। पारंपरिक रूप से यह एक ग्रेवी डिश (Gravy dish) है जिसे प्याज़, अदरक, लहसुन और दही के साथ तैयार किया जाता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2pjyAvF
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Pasanda#History
3. https://www.culturalindia.net/indian-food/mughlai.html
4. https://bit.ly/2NNDJW9
5. https://thecitybytes.com/7-types-mouthwatering-kebabs-try-lucknow/
6. https://bit.ly/354I51c
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.