सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले धर्मगुरु गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के मौके पर लखनऊ में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारे के बारे में जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि 1670 में, गुरु तेग बहादुर सिंह वाराणसी, अयोध्या और जौनपुर के रास्ते पटना साहिब से यात्रा करते हुए तीन दिनों तक यहियागंज गुरुद्वारा में रहे थे। वे जहां ठहरे थे, लखनऊ में उसी जगह पर उनकी याद में यहियागंज गुरुद्वारा बनाया गया था।
वहीं 1672 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी भी यहाँ दो महीने और 13 दिनों तक अपनी माँ, माता गुजरी और चाचा कृपाल चंद के साथ पंजाब के आनंदपुर साहिब से पटना साहिब जाते समय रुके थे और गुरुद्वारे में उनके द्वारा स्वयं लिखे गए दो हुक्मनामे और एक मूल मंत्र भी संग्रहित हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा इन हुक्मनामों को 1693 और 1701 में हिमाचल प्रदेश के पोंटा साहिब में रहते हुए लिखे थे और उन्होंने इन्हें लखनऊ में भक्तों को भेजा और उन्हें एक बड़ी तोप और कुछ सोना पांवटा साहिब भेजने का निर्देश दिया। हुकमनामों में 'नाम जापो', ध्यान करने और 'वाहेगुरु' का जाप करने का निर्देश दिया हुआ है।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1686 में विशेष रूप से शहर के भक्तों के लिए एक मूल मंत्र ’(भजन) भी लिखा था। यह मूल मंत्र इस गुरुद्वारे में रखे गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पहले पृष्ठ का निर्माण करता है।
गुरु नानक देव जी की जयंती के मौके पर गुरुद्वारों में लंगर और कीर्तन का आयोजन करके उनकी जयंती मनाई जाती है।
संदर्भ :-
1. https://bit.ly/2CAurXu
2. https://lucknow.prarang.in/posts/2117/two-sikh-gurus-stayed-in-this-gurudwara-of-lucknow
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.