कैंसर एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिससे शरीर के किसी भी हिस्से की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं और शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में काफी तेजी से फैलता है। कैंसर इंसानों, जानवरों और देखा जाएं तो किसी भी जीव में हो सकता है, लेकिन क्या प्रकृति के इन मनोहर पौधों में भी कैंसर हो सकता है? वास्तव में पौधों में जानवरों की कैंसर नहीं होता है।
पौधों की कोशिकाएं घूम नहीं पाती है तो जाहिर सी बात है उनमें कैंसर होने की संभावनाएं नहीं होती है उनमें आमतौर पर ट्यूमर पाया जाता है जो शरीर में फैलता नहीं है बल्कि कोशिका की दीवारों द्वारा एक ही स्थान पर रोक लिया जाता है। यदि पौधों में कई गुना अधिक ट्यूमर पाए जाते हैं तो यह आमतौर पर एक जीवाणु, वायरस या कवक के कारण होते हैं, या संरचनात्मक क्षति के परिणामस्वरूप विकसित हो सकते हैं। जीवाणु एग्रोबैक्टीरियम टूमफैसिएन्स (Agrobacterium tumefaciens) ही पौधों में ट्यूमर को उत्पन्न करता है और यही युडिकोट्स की 140 से अधिक प्रजातियों में क्राउन पित्त (crown gall) रोग का मुख्य घटक है।
एग्रोबैक्टीरियम टूमफैसिएन्स अपने टी प्लास्मिड (Ti plasmid) के माध्यम से पौधे को संक्रमित करता है। टी प्लास्मिड अपने डीएनए के एक भाग को एकीकृत करके अपने मेजबान पौधे की कोशिकाओं के गुणसूत्र डीएनए में जा मिलता है। एग्रोबैक्टीरियम टूमफैसिएन्स में कशाभ मौजूद होता है जो उसे मिट्टी के माध्यम से फोटोसिमिलेट्स (जो पौधों की जड़ों के आसपास मौजूद होते हैं) तक तैरने में मदद करता है। वहीं पित्त के गठन को बनाने के लिए टी-डीएनए आईएएम (IAM) के माध्यम से ऑक्सिन या इंडोल-3-एसिटिक एसिड के उत्पादन के लिए जीन को बदलता है।
इस बायोसिंथेटिक का उपयोग ऑक्सिन के उत्पादन के लिए हर पौधों में नहीं किया जाता है, इसलिए इसका मतलब है की पौधों के पास इसे विनियमित करने का कोई आणविक साधन नहीं है और ऑक्सिन का उत्पादन संवैधानिक रूप से किया जाता है। साइटोकिनिन के उत्पादन के लिए जीन भी छोड़े जाते हैं और यह सेल प्रसार और पित्त गठन को उत्तेजित करता है।
क्राउन पित्त वैसे तो एक पौधों में होने वाली आम बीमारी है यह विश्व भर में पाई जाती है और लकड़ी की झाड़ियों और घास से भरे हुए पौधों पर होती है जिसमें अंगूर, रास्पबेरी, ब्लैकबेरी और गुलाब शामिल हैं। क्राउन पित्त के बारे में इतना सब कुछ पड़ने के बाद यह भी तो जानना जरूरी है कि इसका पता कैसे लगाया जा सकता है। क्राउन पित्त के लक्षणों में गोल, मस्से जैसी वृद्धि जो 2 इंच या व्यास में बड़ी होती है जो मिट्टी से थोड़ा ऊपर या निचली शाखाओं या तनों पर दिखाई देती है। जिन पौधों में बहुत सारे पित्त होते हैं वे पानी और पोषक तत्वों को तने के ऊपर ले जाने में असमर्थ हो जाते हैं और कमजोर, अवरुद्ध और अनुत्पादक हो सकते हैं।क्राउन पित्त का उपचार निम्न हैं :-
1) जब संभव हो तो प्रतिरोधी कृषिजोपजाति का चयन करें और एक प्रतिष्ठित नर्सरी से पौधों की खरीद करें।
2) उन पौधों को न खरीदें जो सूजन या पित्त के लक्षण दिखाते हैं।
3) अतिसंवेदनशील पौधों की देखभाल करते समय, चोट या छंटाई वाले घावों से बचें जो मिट्टी के संपर्क में आ सकते हैं।
4) स्ट्रिंग ट्रिमर क्षति से बचाने और अपने बगीचे के उपकरण को साफ रखने के लिए पेड़ों को आवरित करें।
5) प्राकृतिक शणपण के साथ सर्दियों में पेड़ को सुरक्षा प्रदान करें ताकि छाल टूट न जाए।
6) कई मामलों में, एक तेज छंटाई वाले चाकू से मौजूदा पित्तओं को हटाया जा सकता है। संक्रमित पौधे के ऊतक को नष्ट करें और घाव को ढक कर इलाज करें। यदि पौधा तब भी ठीक नहीं होता तो उसे हटा दें।
संदर्भ :-
1. https://www.nytimes.com/2013/07/16/science/can-plants-get-cancer.html
2. https://www.sciencefocus.com/science/can-plants-get-cancer/
3. https://www.nature.com/articles/nrc2942
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Agrobacterium_tumefaciens
5. https://www.planetnatural.com/pest-problem-solver/plant-disease/crown-gall/
चित्र सन्दर्भ:
1. https://pixabay.com/photos/tree-disease-proliferation-canker-59705/
2. https://pxhere.com/en/photo/736484
3. https://pxhere.com/en/photo/611186
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