कितना बजट आवंटित किया जाता है, भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए?

लखनऊ

 06-11-2019 01:16 PM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

स्वास्थ किसी भी राष्ट्र का सबसे अहम् मुद्दा होता है क्यूंकि कोई देश तभी तरक्की कर सकता है जब वहां के लोग स्वस्थ रहेंगे। दुनिया भर की सरकारें अपने सालाना बजट से एक निर्धारित राजस्व व्यय करती हैं। भारत एक विकासशील देश है यहाँ पर युवाओं की संख्या अन्य देशों से कहीं अधिक है ऐसे में यह जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है की भारत स्वास्थ पर कितना खर्च करता है। भारत में कुल आवंटित बजट का मात्र 2 प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ को आवंटित किया जाता है जो की अन्य कई देशों की तुलना में कहीं कम है। स्वास्थ एक ऐसी धारण है जो की किसी देश के विकास के लिए अत्यधिक जरूरी है अतः स्वास्थ में बजट की अधिकता होना अत्यंत ही आवश्यक बिंदु है।

आइये जानते है भारत के बजट में स्वास्थ- इस साल भारत का स्वास्थ बजट इस साल का 64,559 करोड़ का था जो की कुल बजट का मात्र 2.32 प्रतिशत ही था और यह सकल घरेलु उत्पाद का मात्र 0.34 प्रतिशत था। यह बजट स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय को मिलता है जो की एक सीधे स्वास्थ और परिवार कल्याण को बढाने पर केन्द्रित है और दूसरा स्वास्थ अनुसंधान पर केन्द्रित है। पूरे बजट 64,559 में से 62,659 स्वास्थ और परिवार कल्याण के लिए बाकी का बचा 1900 करोड़ शोध के लिए खर्च करने का प्रावधान है। अब इस प्रकार से देख सकते हैं की बजट का कितना हिस्सा स्वास्थ पर खर्च किया जाता है। दुनिया भर के अनेकों ऐसे देश हैं जो की स्वास्थ पर करीब 6-10 प्रतिशत का खर्च करता है। यह एक आयना है की भारत में भी स्वास्थ पर बड़ा खर्च करने की आवश्यकता है। स्वास्थ पर खर्च का पैमाना प्रति व्यक्ति आय के आधार पर होना चाहिए और इसे करीब 10 प्रतिशत तक के कुल देश के कमाई या बजट पर आधारित होने की आवश्यकता है। WHO की माने तो वह कहता है की कमसकम किसी भी देश को वहां के सकल घरेलु उत्पाद का 5 प्रतिशत का हिस्सा स्वास्थ पर खर्च करना चाहिए। साउथ अफ्रीका अपने सकल घरेलु उत्पाद का 8.5 प्रतिशत का हिस्सा स्वास्थ पर खर्च करता है।

उपरोक्त लिखित आंकड़ों के अनुसार भारत की स्वास्थ व्यवस्था ज्यादातर निजी हांथों में है जिसका प्रतिफल यह आता है की स्वास्थ पर आम व्यक्ति को अधिकतम व्यय करना पड़ता है। सरकारी आंकड़ों की माने तो यहाँ पर स्वास्थ में अत्यधिक कम डाक्टरों की संख्या भी जिम्मेवार है और डाक्टरों के साथ अस्पतालों में कम बेड भी उतने ही जिम्मेदार हैं। बजट बढ़ने से एक बात तो जरूर बढ़ेगी की डाक्टरों और सरकारी अस्पतालों की मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। ऐसा इस लिए भी संभव है क्यूंकि कम बजट के चलते कई अस्पतालों में मूलभूत सुविधाएं जैसा की एक्स रे, खून का तपास आदि की सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। इन मूलभूत सुविधाओं के लिए यदि WHO द्वारा निर्देशित मॉडल को पारित करना और यूनिवर्सल हेल्थ केयर की सुविधा पहुचाना अत्यंत ही आवश्यक है।

सन्दर्भ:
1.
https://bit.ly/2oN6PLI
2. https://bit.ly/33lCUcP
3. https://www.emergobyul.com/resources/worldwide-health-expenditures
4. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_countries_by_total_health_expenditure_per_capita
5. https://www.healthaffairs.org/doi/pdf/10.1377/hlthaff.26.4.962
चित्र सन्दर्भ:
1.
http://www.peakpx.com/643605/bless-you-drug-medical-tablets-pill-healthcare-and-medicine
2. https://www.publicdomainpictures.net/en/view-image.php?image=228972&picture=healthcare
3. https://bit.ly/2NmxNDs



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