किसी भी मानव के जीवन में रोजगार एक ऐसा बिंदु है जो की अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। पूरे विश्व में रोजगार के आधार पर ही देश की आर्थिक व्यवस्था का अंदाजा लगाया जाता है। रोजगार के कई रूप होते हैं जैसे की सरकारी रोजगार, निजी रोजगार, निजी कंपनियों आदि में किया जाने वाला रोजगार, औपचारिक रोजगार, अनौपचारिक रोजगार, संगठित रोजगार, असंगठित रोजगार आदि। आइये भारतीय परिपेक्ष्य में इस विषय पर चर्चा करें- 2012 के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 487 मिलियन कर्मचारी थे जो की चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या थी। दिए गए संख्या में करीब 94 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी थें जो की छोटे मोटे कर्मचारियों से लेकर हीरे माणिक चमकाने वाले तक थे।
अब आगे की बात करें तो इसी आंकड़े के अनुसार भारत में कुल 17.61 मिलियन अर्थात 1 करोड़ 76 लाख के करीब के सरकारी कर्मचारी थे। अब 2014 के रिपोर्ट की बात करें तो इस समय में भारत में श्रमशक्ति की संख्या 496 मिलियन के करीब थी और इसी तर्ज पर यदि बढ़त को देखि जाए तो सरकारी कर्मचारियों में 3.55 फीसद की बढ़त दर्ज की गयी। 2012 तक के आर बी आई के आंकड़े को देखें तो भारत में औपचारिक नौकरियों की संख्या कुल 6 फीसद थीं जो की निजी और सरकारी दोनों प्रकार के नौकरियों को लेकर चलती हैं। अब जब ऊपर दिए गए आंकड़ों को देखें तो यह जरूर पता चलता है की अनौपचारिक और औपचारिक दोनों को मिलाएं तो 100 फीसद का खाका तैयार होता है।
जैसा की इस लेख के शुरुआत में ही हमने औपचारिक, अनौपचारिक, संगठित, असंगठित आदि जैसे प्रकारों को पढ़ा तो आइये जानने की कोशिश करते हैं की आखिर ये हैं क्या- औपचारिक कार्य से तात्पर्य यह है की जिसमे एक कंपनी या सरकार किसी कर्मचारी को एक स्थापित समझौते के आधार पर काम पर रखती है। ऐसे कार्य में वेतन, स्वस्थ लाभ, व्यवस्थित कार्य दिवस आदि निर्धारित रहते हैं। इस प्रकार के रोजगार में व्यक्ति को उसके कार्य के आधार पर वेतन वृद्धि, पदोन्नति आदि मिलता है तथा यह वार्षिक मूल्यांकन को लेकर चलता है। तमाम सरकारी नौकरियां, बड़ी कंपनियों की नौकरियां या ऐसी तमाम नौकरियां जो की एक नियत पेपर पर निर्धारित कर के व्यक्ति को कर्मचारी के रूप में गृहीत करती हैं औपचारिक नौकरी के श्रेणी में आती हैं।
अब उसके उलट यदि अनौपचारिक नौकरी की बात करें तो यह एक ऐसा रोजगार जहाँ नियुक्त करने वाला किसी कर्मचारी को बिना किसी नियत समझौते के अपने यहाँ रोजगार देता है। अनौपचारिक नौकरी में कर्मचारी स्वस्थ लाभ नहीं प्राप्त कर सकते और उनके रोजगार की कोई गारंटी भी नहीं होती। इस तरह के रोजगार में महीने के तीसों दिन कार्य करना पड़ता है। ऐसे रोजगार में समय की भी कोई सीमा नहीं होती एक सप्ताह 30 घंटे तो वहीँ दूसरी सप्ताह मात्र 10 घंटे भी काम करना पड सकता है। ऐसे रोजगार में ठेकेदारी प्रथा भी समाहित होती है। अनौपचारिक रोजगार में भुगतान नगद होता है। इन दोनों के प्रभावों की यदि बात की जाए तो देश पर अनौपचारिक रोजगार से एक बड़ा भार पड़ता है जिसका कारण है करों की कमी और रोजगार प्राप्त व्यक्ति की कमाई का पता ना होना।
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2qh8Xfm
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Labour_in_India#Labour_structure_in_India
3. https://bit.ly/2qfNOSs
4. https://bit.ly/338x5PR
5. https://www.sociologygroup.com/formal-informal-sector-differences/
6. https://bit.ly/2PE13Ht
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.