कोयला - ऊर्जा का गैर नवीकरणीय स्रोत

लखनऊ

 25-10-2019 01:14 PM
शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

कोयला पृथ्वी के गर्भ में पाया जाने वाला वह ऊर्जा का स्त्रोत है जो कि बिजली से लेकर ईधन आदि के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। देश में एक बड़ी आबादी इस स्त्रोत द्वारा उत्पन्न बिजली का प्रयोग करती है। कोयला सरकार के राजस्व में भी एक बड़ी अहम् भूमिका का निर्वहन करती है तथा इससे भारत की अर्थ व्यवस्था पर भी एक बड़ा प्रभाव पड़ता है और बड़ी दर पर मुद्रा राजकोष में जमा होता है। अब आइये पढ़ते हैं कि आखिर कोयला बनता कैसे है? इसका उपयोग ऊर्जा स्त्रोत में कैसे होता है और यह किस प्रकार का ईधन है तथा इसका प्रभाव पर्यावरण पर कैसे पड़ता है?

कोयला एक काले या भूरे रंग की चट्टान होटी है जो की आज से करोड़ो साल पहले पृथ्वी के गर्भं में हुई हलचल में निर्मित हुयी थी। कोयले को जीवाश्म ईधन के रूप में जाना जाता हैं। इसका कारण यह है कि पृथ्वी में हो रही उठा पटक के दौरान जो भी पेड़ पौधे प्रथ्वी के ताल के नीचे दब गए थे, वे अत्यंत गर्म तापमान के कारण जीवाश्म में बदल गए और आज वही पौधे कोयले के रूप में मौजूद हैं। कोयला ज्यादातर कार्बन और हाइड्रोकार्बन से बना हुआ है, जिस कारण से इसके जलने से असीम ऊर्जा का स्त्राव होता है। कोयला आज के इस दौर में पूरी दुनिया में बिजली पैदा करने का सबसे बड़ा स्त्रोत है।

कोयले को उर्जा का गैर-नवीकरणीय स्रोत इसलिए कहा जाता है क्यूंकि ये मानव द्वारा नहीं बनाया गया और इनकी उतनी ही मात्रा आज के इस युग में मौजूद है जितनी की पृथ्वी के गर्भ में दबी हुयी। कोयलों का निर्माण काल कर्बोनिफोरस काल के दौरान शुरू हुआ था जिसकी तिथि करीब 300 मिलियन साल है। यह वह दौर था जब पृथ्वी वनस्पतियों से गुलजार हुआ करती थी। बाढ़ और विभिन्न परिस्थितियों में पेड़ पौधे गिर जाते या फिर वे बाढ़ से दलदली जमीन में पहुँच जाते और इस तरह से ये वनस्पतियाँ पृथ्वी के गर्भ में पहुच जाती थीं। इसके अलावां विभिन्न टेक्टोनिक प्लेटों में हुयी उथल पुथल भी पृथ्वी के उपरी सतह को बदल कर रख देती थी जिससे बड़ी संख्या में वनस्पतियाँ पृथ्वी के गर्भ में दफन हो जाती थी। इन वनस्पतियों पर कीचड और अम्लीय पानी लग जाने और पृथ्वी के गर्भ में पहुच जाने के कारण इनका संपर्क ऑक्सीजन से टूट जाता था और वहां के बढ़ते हुए तापमान के कारण ये कोयले में बदल जाते थे। इस प्रक्रिया को पीट की प्रक्रिया भी कहा जाता है।

जिस जमीन में कोयला पाया जाता है उसे कोल बेड के नाम से जाना जाता है तथा इनकी मोटाई जमीन में करीब 90 फीट तक हो सकती है तथा इनका फैलाव करीब 1500 किलोमीटर तक हो सकता है। कोयला वैसे तो हर महाद्वीप में पाया जाता है परन्तु यदि सबसे अधिक कोयला पाए जाने वाले शीर्ष 5 देशों को देखे तो ये हैं अमेरिका, रूस, चीन, ऑस्ट्रेलिया और भारत। भारत में झारखण्ड, बिहार, छतीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आदि राज्यों में कोयला प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इन सभी राज्यों में कोयले की बड़ी-बड़ी खदाने उपस्थित हैं जहाँ से कोयला मात्र भारत ही नही अपितु विश्व के कई अन्य देशों के विभिन्न हिस्सों में भी भेजा जाता है। भारत में बिजली बनाने का सबसे बड़ा जरिया वर्तमान समय में कोयला ही है। कोयले के कई प्रकार होते हैं जिनमे पिट, लिग्नाईट आदि आते हैं। कोयले की मात्रा के बारे में देखें तो आज जिस हिसाब से खुदाई की जा रही है उस हिसाब से ये भविष्य में अनुमानतः 42 साल तक चलने योग्य है और उसके बाद यह पृथ्वी से एकदम से ख़त्म हो जाएगा।

जैसा की हमें अब तक पता चला है की कोयला एक सीमित संसाधन है तथा यह एक जीवाश्म ईधन है तो आइये अब पढ़ते हैं की इसके प्रयोग से हमारे जीवन और पर्यावरण पर क्या प्रभाव पढ़ता है। कई प्रयोगों से यह पता चलता है की हर साल करीब 7 मिलियन लोग जीवाश्म ईधन के प्रदूषण से मर जाते हैं। सीमित संसाधन या गैर नवीनिकरण ऊर्जा के स्त्रोतों के प्रयोग से पृथ्वी के वातावरण पर कई बुरे प्रभाव पड़ते हैं जिनमे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, पर्यावरण परिवर्तन, वायु प्रदुषण, अम्लीय वर्षा आदि प्रमुख कारक हैं। अतः मानव को अक्षय ऊर्जा की तरफ जाने की आवश्यकता है।

सन्दर्भ:-
1.
https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/coal/
2. https://bit.ly/2og9i0Z
3. https://bit.ly/2BDydPj
4. https://bit.ly/363i6bF



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id