क्या थे पृथ्वी पर होने वाली विलोपन प्रक्रिया के विभिन्न चरण

लखनऊ

 25-10-2019 01:07 PM
शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

पृथ्वी के सृजन से लेकर आज तक कई ऐसी घटनाओं ने जन्म लिया और अपने अंजाम तक पहुंची जिन्होंने पूरी पृथ्वी के इतिहास को उलट कर रख दिया। विलुप्त शब्द तो हम आये दिन सुनते ही रहते हैं और कुछ समय से तो यह आम हो गया है। अभी हाल ही में गैंडे की एक प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो गयी, डोडो नामक पक्षी विलुप्त हो गया और ना जाने कितनी ही अन्य प्रजातियाँ विलुप्त हो गयीं लेकिन पृथ्वी पर कई बार ऐसी घटनाए हुयी हैं जिन्हें हम वृहत विलोपन कह सकते हैं। ऐसे विलोपन उनको कहते हैं जिनमे पूरी पृथ्वी पर से जीवों की एक बहुत बड़ी संख्या एक ही छड में विलुप्त हो जाए। विलुप्त होने की इसी श्रृंखला में यदि हम देखे तो डायनासोरों की विलुप्तता उन्ही घटनाओं में से एक घटना थी। तो आइये पढ़ते हैं पृथ्वी के इतिहास में होने वाली इन प्रमुख विलोपन घटनाओं को जिन्होंने पृथ्वी का इतिहास ही बदल कर रख दिया।

1982 में प्रकाशित हुए एक शोध पत्र से यह पता चलता है कि आज तक पृथ्वी के इतिहास में करीब 5 ऐसे क्षण आये हैं जिनमे सामूहिक विलोपन या वृहत विलोपन हुआ है। आइये इन पांच विलोपन घटनाओं से जुडी धारणाओं के बारे में पढ़ते हैं- ओर्डोविसियन-सिलुरियन विलोपन, यह घटना करीब 450-440 मिलियन साल पहले घटित हुयी थी। इस सामूहिक विलोपन के दौरान पृथ्वी पर उपस्थित जीवों की करीब सभी उपस्थित प्रजातियों में से 27 प्रतिशत प्रजातियों की 57 फीसद पीढ़ियों का और करीब 60-70 प्रतिशत परिवारों का विलोपन हुआ था। यह विलोपन दो दौरों में हुआ था और इनको कई वैज्ञानिकों ने दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी विलोपन घटना करार माना है।

गत डेवोनियन विलोपन- इस विलुप्तता के काल को करीब 375-360 मिलियन साल पहले का मान सकते हैं। यह डेवोनियन और कार्बोनिफेरस के मध्य के काल के दौरान हुआ था। यह घटना फ्रास्नियन काल के अंत समय में हुयी थी। इस काल में कुल जीवों के 19 फीसद परिवार, 50 फीसद पीढियां और करीब 70 प्रतिशत सभी प्रजातियों के जीव विलुप्त हो गए थे। यह विलोपन काल करीब 20 मिलियन साल तक चला था।

पर्मियन-तृतीयक विलोपन- यह विलोपन पर्मियन काल के ख़त्म होने के और तृतीयक काल के शुरू होने के साथ में हुआ था। यह करीब 252 मिलियन साल पहले हुआ था। इस काल को पृथ्वी के अब तक के सबसे बड़े विलोपन के रूप में देखा जाता है जिसमे जीवों के कुल 57 फीसद परिवारों से, 83 फीसद की पीढियां, और करीब 90-96 फीसद की कुल प्रजातियाँ में विलुप्त हो गयी थीं।

तृतीयक-जुरासिक विलोपन- यह विलोपन काल तृतीयक काल के ख़त्म होने के साथ के समय में हुआ था। इसमें 23 प्रतिशत परिवार, 48 प्रतिशत पीढियां और 70-75 फीसद की सभी प्रजातियाँ विलुप्त हो गयी थी। यह काल डाइनासोर युग के रूप में भी जाना जाता है।

क्रेटासियस-पालिओजीन विलोपन- यह क्रेटासियस काल के खात्मे के साथ में शुरू होता है और इसे के टी विलोपन के नाम से भी जाना जाता है। यह करीब 66 मिलियन साल पहले हुआ था। इस दौरान कुल 17 प्रतिशत मौजूद परिवार, 50 फीसद मौजूद पीढियां और करीब 75 फीसद की मौजूद सभी प्रजातियाँ समाप्त हो गयी थीं। इस दौरान जमीन पर रहने वाले डाइनासोर भी विलुप्त हुए थे।

1982 के उसी शोध पत्र ने एक छठें विलोपन की धारणा को बताया है जो की होलोसीन विलोपन के नाम से जाना जाता है। यह विलोपन वर्तमान समय में जारी है, शोध पत्रों की माने तो यह विलोपन दर करीब सन 1900 के बाद करीब 1000 प्रतिशत अधिक गति से शुरू है। आई बी पी बी ई एस द्वारा 2019 में हुए जैव आकलन की बात करें तो यह बताता है की वर्तमान समय में मौजूद लगभग 8 मिलियन प्रजातियों में से 1 मिलियन पर विलोपन का खतरा मंडरा रहा है। ये प्रजातियाँ जीव और वनस्पति दोनों की है।

विलोपन में वातावरण का और पर्यावरण का एक अहम् योगदान होता है और हाल में हुए पर्यावरणीय बदलाओं को यदि देखें तो यह विलोपन में एक अहम् योगदान निभा रहा है। उदाहरण के लिए ध्रुवीय भालुओं को देखा जा सकता है।

सन्दर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Cretaceous%E2%80%93Paleogene_extinction_event
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Triassic–Jurassic_extinction_event
3. https://cosmosmagazine.com/palaeontology/big-five-extinctions
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Extinction_event
5. https://bit.ly/2QssZL2
6. https://bit.ly/2tAWr9H



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id