इस्लामी वास्तुकला में मीनारों का महत्त्व

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
22-10-2019 10:30 AM
इस्लामी वास्तुकला में मीनारों का महत्त्व

रामपुर अपनी वास्तुकला के लिए विश्व भर में जाना जाता है। वास्तुकला एक ऐसी बिंदु है जो किसी भी शहर या देश के इतिहास की गहराई को दर्शाती है। वास्तुकला के अनुसार ही किसी स्थान की भव्यता और उसके स्वर्णिम काल को प्रदर्शित किया जाता है। रामपुर में कई ख़ास इमारतें हैं जैसे कि रज़ा पुस्तकालय, जामा मस्जिद आदि। यदि जामा मस्जिद की बात करें तो यह रामपुर की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक है। यह तीन बड़े गुम्बदों के संयोग से बनी हुयी है जिसमें दो गुम्बद छोटे और एक मध्य गुम्बद वृहद् है। इन तीनों गुम्बदों के साथ सोने के मीनारों को बनाया गया है। इस मस्जिद के गुम्बद प्याज़ के आकार के हैं जो कि अपने काल के प्रमुख वास्तु के रूप में जाने जाते थे। यह मस्जिद रोहिल्ला नवाबों के वास्तुज्ञान और कला की समझ को प्रदर्शित करता है। इस मस्जिद में कई मीनारों का निर्माण किया गया है जो कि इस्लामी कला का एक अभिन्न अंग है। आइये मीनारों के इतिहास और इसके बारे में और विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

मीनार मुख्य रूप से इस्लामी कला का एक अंग है और यह वह स्थान है जहाँ से खुदा को बुलाने वाली प्रार्थना की जाती है। मीनार को अरबी में मनार या मनारा कहा जाता है जिसका अर्थ होता है वह स्थान जहाँ से दीपक जलाया जाता हो। मीनार जो कि काफी कुछ मनार से सम्बंधित प्रतीत होती है आरमेइक भाषा से आई है जहाँ पर इसका अर्थ होता है ‘मोमबत्ती’। मीनार से खुदा को बुलाने की परम्परा को ‘अधान’ कहते हैं।

मीनार के वास्तु की बात की जाए तो यह चार अंगों के संयोग से बनता है- आधार, लम्बी खड़ी चोटी, एक टोपी नुमा आकृति और सर। मीनारों के कई स्वरुप होते हैं जैसे कि शतकोणीय, गोल आदि। इन मीनारों में अन्दर से सीढ़ियों का निर्माण हुआ होता था जो कि ऊपर जाकर खुलती थी। हम ऐसे ही इस्लामिक कला में मीनारों की बात करें तो क़ुतुब मीनार इसकी अनुपम उदाहरण है जो कि गोलाकार है और मस्जिद के बगल में स्थित भी है। रामपुर के जामा मस्जिद में स्थित मीनार भी गोलाकार है।

विश्व के कई स्थानों पर ऐसी भी मीनारें हैं जिनकी सीढियां बाहर से बनायी जाती थीं और ये स्पाइरल (Spiral) की तरह दिखाई देते थे। शुरूआती दौर में इस्लामिक मस्जिदों में मीनारों का निर्माण नहीं होता था बल्कि उसकी जगह पर छोटे टावर (Tower) जैसा ढांचा इमारत पर होता था। पहली मीनार जिसका इतिहास में ज़िक्र है 9वीं शताब्दी में बन कर तैयार हुयी थी और इसका निर्माण अब्बासिदों के कार्यकाल में हुआ था। ये प्रचलित करीब 11वीं शताब्दी में हुयी थीं। प्राचीनतम मीनार जिसका निर्माण किया गया था वह आज भी खड़ी है और वह कैरुआन मस्जिद में स्थित है जो कि टूनीशिया नामक स्थान पर स्थित है। इसका समय काल 836 ईस्वी है। भारत में क़ुतुब मीनार को प्राचीनतम मीनार माना जाता है जो कि आज भी अपने हाल पर खड़ी है।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Minaret
2. https://www.britannica.com/art/minaret-architecture
3. https://www.ancient.eu/Minaret/