उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है। यहाँ के रोम-रोम में नवाबी पन को महसूस किया जा सकता है। इस शहर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पर तहज़ीब, नवाबियत और कबाब अत्यंत ही मशहूर हैं। लखनऊ के नवाबों ने लखनऊ को नाज़ों से सजाया था और यही कारण है कि यहाँ की वास्तुकला में हमको इसकी झलक देखने को मिलती है। लखनऊ की स्थापना के बाद से ही यहाँ पर महलों, मस्जिदों, दरगाहों, इमामबाड़ों आदि का निर्माण किया गया था। लखनऊ साहित्य और खानपान के लिए भी अत्यंत ही प्रचलित है जिसकी जीती जागती उदाहरण है ठुमरी, ख्याल और अन्य प्रकार के संगीत।
लखनऊ में स्थित इमामबाड़े की बात की जाए तो लोगों की ज़ुबान पर दो प्रमुख स्थलों का नाम आता है- पहला है छोटा इमामबाड़ा और दूसरा, बड़ा इमामबाड़ा। ये दोनों इमामबाड़े अपनी वास्तुकला के लिए अत्यंत ही प्रचलित हैं। इनको देखने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में लोग पहुँचते हैं। इन इमामबाड़ों में इस्लामी, विदेशी और भारतीय, तीनों शैलीयों का मेल देखने को मिलता है। लखनऊ में एक अन्य इमामबाड़ा भी मौजूद है जो कि इन दो इमामबाड़ों की तरह प्रचलित तो नहीं है परन्तु वह अपनी ऐतिहासिकता के लिए एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण कड़ी है। वह तीसरा इमामबाड़ा शाह नज़फ़ इमामबाड़ा के रूप में जाना जाता है जो कि गोमती नदी के किनारे मौजूद है। यह इमामबाड़ा सिकंदराबाद के नज़दीक ही स्थित है जो कि सन 1816-17 के करीब गाज़ी-उद-दीन हैदर, जो कि अवध वंश के प्रथम राजा थे, द्वारा बनवाया गया था। उन्होंने यह इमामबाड़ा हज़रत अली को समर्पित कर बनाया था जो कि पैगम्बर मुहम्मद की पसंदीदा बेटी फातिमा के शौहर थे। इस इमामबाड़े की खासियत यह है कि यह इराक में स्थित गाज़ी-उद-दीन के अपने खुद के मकबरे के प्रतिरूप के रूप में बनाया गया था।
वर्तमान काल में यह इमामबाड़ा एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है जिसका प्रमुख कारण है इस इमामबाड़े की वास्तुकला और इतिहास। गाज़ी-उद-दीन ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल के लिए एक महल की स्थापना इस इमामबाड़े के नज़दीक की थी जिसे सन 1913 में सड़क बनाने के चक्कर में तोड़ दिया गया था। इस इमामबाड़े के अन्दर गाज़ी की कब्र स्थित है जैसा कि वे खुद इस स्थान पर दफन होना चाहते थे। गाज़ी के साथ उनकी पत्नियों की कब्रें भी स्थित हैं जिनमें मुबारक महल, मुमताज़ महल, सरफ़राज़ महल आदि हैं। इस इमामबाड़े का गुम्बद अत्यंत ही मनोरम है और ये प्याज़ के आकार का है।
इस इमामबाड़े को पर्यटक आसानी से देख सकते हैं। यह इमामबाड़ा शहर के मध्य में राणा प्रताप सड़क पर स्थित है तथा यह सिकंदर बाग़ चौराहे के नज़दीक है और राष्ट्रीय वानस्पतिकी अनुसंधान केंद्र के पास में स्थित है। इस इमामबाड़े का आगे का हिस्सा सहारा गंज मॉल (Mall) की तरफ है। इसके अलावा यह इमारत हज़रत गंज बाज़ार से भी अत्यंत नज़दीक है। इस स्थान पर जाने के लिए पर्यटक सार्वजानिक परिवहन के साथ-साथ निजी वाहन का भी प्रयोग कर सकते हैं। लखनऊ में स्थित यह इमामबाड़ा अपने में एक विशेष याद और इतिहास को समेट कर आज भी अपनी शौर्यगाथा का गान करता हुआ खड़ा है।
संदर्भ:
1. https://www.tourmyindia.com/states/uttarpradesh/shah-najaf-imambara-lucknow.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Imambara_Shah_Najaf
3. https://lucknow.me/Shah-Najaf-Imambara.html
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.