मानसिक दर्द शारीरिक दर्द की तुलना में कम उत्तेजक होता है, लेकिन यह अधिक सामान्य होता है और इसे सहन करना भी कठिन है – सी.एस लुईस
सी. एस. लुइस (Clive Staples Lewis) क्लाइव स्टेपल्स लुईस एक ब्रिटिश लेखक थे। वह अपने उपन्यासों की रचनाओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं (विशेष रूप से द स्क्रैप्ट लेटर्स "The Screwtape Letters" और द क्रॉनिकल्स ऑफ नार्निया "The Chronicles of Narni")।
मानसिक स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता का मुख्य निर्धारक होने के साथ सामाजिक स्थिरता का भी आधार होता है। जिस समाज में मानसिक रोगियों की संख्या अधिक होती है, वहाँ की व्यवस्था व विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। मानसिक रोग एक ऐसी बीमारी है जिसका विचार और व्यवहार में काफी असर पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप एक रोगी, जीवन की सामान्य ज़रूरतों और दिनचर्या का सामना करने में असमर्थ होने लगता है। मानसिक बीमारी के 200 से अधिक वर्गीकृत रूप हैं। अधिक सामान्य विकारों में से कुछ अवसाद (डिप्रेशन/Depression), द्विध्रुवी विकार (बाइपोलर डिसऑर्डर/Bipolar Disorder), मनोभ्रंश, स्किज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) और चिंता विकार हैं।
मानसिक बीमारियों का कोई विशिष्ट कारण नहीं होता है। ये कुछ सामान्य कारणों से भी हो सकती हैं जैसे कि अभाव और गरीबी, अशिक्षा या सीमित शिक्षा, आजीवन विकार जैसे घबराहट, भय, सामान्यीकृत चिंता विकार, शराब निर्भरता, नशीली दवाओं का सेवन आदि। कभी-कभी, किसी व्यक्ति का जीवन परिपूर्ण होता है और फिर भी वे मानसिक विकार से पीड़ित हो सकते हैं। इसलिए मानसिक विकारों के लिए, काले और गोरे, या अमीर और गरीब के बीच भेदभाव न करके इस समस्या का हल ढूंढें और उनकी मदद करें।
वहीं हम भारतियों के मन में हमेशा इस बात की चिंता लाही रहती है कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, इस सोच को बदलने की हमें आवश्यकता है। हम में से अधिकांश लोग मानसिक बीमारियों के लक्षणों को समझ या पहचान नहीं पाते हैं। अगर किसी को पता भी चल जाता है तो उन्हें या तो यह पता नहीं होता कि इसका क्या किया जाए और या तो वे पता होने के बावजूद भी समाज के डर से कुछ नहीं करते हैं। वहीं मानसिक बीमारी के संबंध में कई आम मिथक भी जुड़े हुए हैं, जैसे मानसिक बीमारी केवल कमज़ोर व्यक्तित्व के कारण होती है; मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति का इलाज नहीं किया जा सकता है; मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बच्चों या युवाओं में नहीं हो सकती हैं आदि।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत विश्व का सबसे अधिक अवसादग्रस्त राष्ट्र है, जिसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत, चीन और अमेरिका चिंता, स्किज़ोफ्रेनिया और द्विध्रुवी विकार से सबसे अधिक प्रभावित देश हैं। निम्न विश्व में सबसे ज़्यादा अवसाद ग्रस्त देशों की सूची है:
भारत :- राष्ट्रीय चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल के लिए आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन में कहा गया है कि कम से कम 6.5% भारतीय आबादी किसी ना किसी कारणवश गंभीर मानसिक विकार से पीड़ित है, जिसमें कोई ग्रामीण-शहरी अंतर नहीं है। हालांकि प्रभावी उपाय और उपचार में कमी मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और डॉक्टरों जैसे मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की अत्यधिक कमी के कारण है। भारत में औसत आत्महत्या की दर प्रति लाख लोगों में से 10.9 है और आत्महत्या करने वाले अधिकांश लोग 44 वर्ष से कम उम्र के होते हैं।
चीन :- विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अवसाद जैसे मानसिक विकार से ग्रस्त चीन के लोगों में से 91.8% लोग कभी भी अपनी इस स्थिति के लिए मदद नहीं लेते हैं। अवसाद और चिंता से ग्रस्त रोगियों की एक बड़ी संख्या चीन में भी पाई जाती है, जहां की स्थिति भारत से काफी मिलती-जुलती है। चीन मानसिक स्वास्थ्य पर अपने बजट (Budget) का केवल 2.35% ही खर्च करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका :- मानसिक बीमारी पर राष्ट्रीय गठबंधन के अनुसार, अमेरिका में हर पांच में से एक वयस्क को प्रत्येक वर्ष मानसिक बीमारी के किसी न किसी लक्षण का अनुभव करना पड़ता है, लेकिन इससे प्रभावित केवल 41% लोग ही मानसिक स्वास्थ्य देखभाल या उससे जुड़ी सेवाओं का उपयोग करते हैं।
ब्राज़ील :- ब्राज़ील में सबसे ज़्यादा अवसादग्रस्त व्यक्ति मौजूद हैं। इस बड़ी संख्या का कारण वहाँ के कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक कारक (जैसे कि हिंसा, प्रवास और निराश्रय) हैं।
इंडोनेशिया :- इंडोनेशिया में, लगभग 3.7% आबादी या 90 लाख लोग अवसाद से पीड़ित हैं। वहीं यदि इसमें चिंता को शामिल किया जाएं तो ये संख्या 6% तक बढ़ जाती है।
रूस :- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, रूस की 5.5% आबादी अवसाद से ग्रस्त है। जैसा कि 2012 में बताया गया, देश में किशोर आत्महत्या की दर विश्व औसत से तीन गुना अधिक थी, जो स्पष्ट रूप से रूस में मानसिक स्वास्थ्य के गंभीर मुद्दे को दर्शाती है।
पाकिस्तान :- आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि 2012 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में केवल 750 प्रशिक्षित मनोचिकित्सक हैं। यहाँ अवसाद से ग्रस्त कई लोग पाए जाते हैं, लेकिन एक रूढ़िवादी समाज के चलते अवसाद से पीड़ित रोगियों की सही संख्या का पता नहीं लगाया जा सका।
मरीज़ों को यह जानने की ज़रूरत है कि उनकी भावनाएं वैध हैं, और उन्हें मदद लेनी चाहिए। वहीं समाज को इस संबंध में उनको दबाने के बजाय आगे आकर उनकी भावनाओं की कदर करनी चाहिए और इस विकार का इलाज करवाने के लिए उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिए।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2ElKZpU
2. https://www.youthkiawaaz.com/2019/01/the-issue-of-mental-health-in-india/
3. https://www.indianyouth.net/mental-illness-still-taboo-india/
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