इस 10 अक्टूबर को पूरा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मना रहा है। मानसिक स्वस्थता मनुष्य की वह अवस्था है जिसमें उसकी मानसिक स्थिति सामान्य रहती है। किंतु मानसिक स्थिति में किसी भी प्रकार का असंतुलन मानसिक अस्वस्थता को इंगित करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो मानसिक बीमारी या अस्वस्थता, स्वास्थ्य की वह स्थिति हैं जिसमें व्यक्ति की भावना, विचार और व्यवहार में अनुचित बदलाव आ जाता है। यह प्रायः सामाजिक या पारिवारिक गतिविधियों या समस्याओं के साथ जुड़ी हुई होती है। यदि कोई मानसिक बीमारी से पीड़ित है, तो उसे शर्मिंदा होने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह हृदय रोग या मधुमेह की तरह ही एक चिकित्सीय समस्या है। पिछले कुछ वर्षों में यह बीमारी आम हो गयी है।
अमेरिका में लगभग 5 में से 1 व्यक्ति मानसिक बीमारी से ग्रसित है। तो वही 24 में से एक व्यक्ति को यह समस्या गम्भीर रूप से घेरे हुए है। यह हमारे जीवन के कई पहलुओं, जैसे कार्य, विद्यालय, रिश्ते आदि को प्रभावित करती है लेकिन इससे डरने की ज़रूरत नहीं क्योंकि समय रहते इसका ईलाज किया जा सकता है। इसके कई रूप हो सकते हैं, जैसे, यह हल्की हो सकती है जो केवल हमारी दैनिक दिनचर्या को प्रभावित करती है, किंतु कुछ परिस्थितियों में यह गम्भीर रूप भी ले लेती है जिसमें व्यक्ति को अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।
घबराहट, फ़ोबिया (Phobia) या डर, चिंता, अवसाद, व्यक्तित्व विकार, मनोवैज्ञानिक विकार आदि मानसिक बीमारियों के प्रकार हैं जो निम्नलिखित कारणों से हो सकते हैं:
• जीन (Genes) और परिवारिक इतिहास
• जीवन के अनुभव जो तनाव उत्पन्न करें
• जैविक कारक जैसे मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन
• मस्तिष्क की चोट
• गर्भवती होने पर विषाणु या ज़हरीले रसायनों के संपर्क में आना
• शराब या हानिकारक दवाओं का उपयोग
• कैंसर (Cancer) जैसी गंभीर चिकित्सीय स्थिति होना
• अकेला या अलग महसूस करना
मनोवैज्ञानिक द्वारा परिक्षण, शारीरिक परीक्षा और संभवतः प्रयोगशाला परीक्षण आदि के द्वारा मानसिक बीमारी की जांच की जा सकती है। इसके ईलाज का प्रकार मानसिक बीमारी की गम्भीरता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, अधिक गहन उपचार की आवश्यकता हो सकती है तथा मनोरोग अस्पताल ले जाने की आवश्यकता हो सकती है।
जैसा कि हम जानते ही हैं कि आज कल कई स्वास्थ्य बीमा कंपनियां (Companies) हैं जो व्यक्ति के बीमार होने पर उसके चिकित्सीय ईलाज के खर्चों में मदद करती हैं किंतु भारत में इन बीमा कंपनियों द्वारा केवल शारीरिक रूप से बीमार व्यक्ति को ही आवरित किया जाता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए इन कंपनियों द्वारा बीमा नहीं दिया जाता। जबकि विदेशों में मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह सुविधा पहले से ही उपलब्ध है। भारत में इस प्रकार के भेदभाव के लिए स्वास्थ्य बीमा कंपनियों का यह कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए बीमा को सुनिश्चित इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके ईलाज की प्रक्रिया बहुत लम्बी है जिसमें रोगी को बहुत बार अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसका ईलाज बहुत महंगा होता है तथा सफलता दर उल्लेखनीय रूप से कम है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि मानसिक विकारों का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। मानसिक विकार के लक्षण छिपे रहते हैं, जिससे निदान के लिए भी चुनौतियां पैदा होती हैं।
भारत में मानसिक बीमारियों के बढ़ने और सही ईलाज न मिलने के कारण भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने 2017 में बीमा कंपनियों को स्वास्थ्य बीमा में मानसिक रोग को भी कवर (Cover) करने का निर्देश दिया जिसे 2018 में लागू किया गया। इसके अनुसार प्रत्येक बीमा कंपनी को मानसिक स्वास्थ्य के लिए बीमा का प्रावधान सुनिश्चित करना होगा। इसके ज़रिए व्यक्ति की मानसिक स्थिति का विश्लेषण व निदान किया जा सकेगा। इस प्रकार इस कानून के तहत मानसिक रोग से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को अन्य प्रकार की बीमारियों से प्रभावित व्यक्ति के समान ही माना जाएगा। इसमें वे लोग भी शामिल हो सकेंगे जिनकी मानसिक स्थिति शराब और ड्रग्स (Drugs) के कारण प्रभावित हुई है किंतु इसमें मानसिक मंदता शामिल नहीं है। हालांकि कई बीमा कंपनियां इस सुविधा को अभी तक उपलब्ध नहीं करा पायी हैं किंतु कई कंपनियों ने इसका स्वागत किया है। इस प्रावधान के लागू होने के बाद बीमाकर्ता की मौजूदा योजनाओं को नियामक के साथ फिर से दायर करना पड़ सकता है और उनकी बीमा योजनाओं में मूल्य संशोधन भी किया जा सकता है। मानसिक बीमारी को मौजूदा योजनाओं में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 द्वारा निर्दिष्ट सीमा तक कवर किया जाएगा।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/35i5Y69
2. https://www.psychiatry.org/patients-families/what-is-mental-illness
3. https://medlineplus.gov/mentaldisorders.html
4. https://bit.ly/2d7NSre
5. https://bit.ly/33ms85I
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://bit.ly/2VDL39v
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