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                                            एक ब्राह्मण और अच्छी तरह से शिक्षित होने के बावजूद भी रावण को भगवान राम द्वारा उसके अधार्मिक कार्यों के कारण दंडित किया गया था। लेकिन एक ऐतिहासिक तथ्य यह भी है कि भगवान राम रावण के ज्ञान से बहुत प्रभावित थे। यही कारण था कि रावण को हराने के बाद, उन्होंने रावण की प्रशंसा की और जिस समय रावण अपनी आखिरी सांसें ले रहे थे तो उन्होंने श्री लक्ष्मण को रावण से ज्ञान लेने को कहा।
लक्ष्मण भगवान राम के आदेश का पालन करते हुए रावण के सिर के पास जा कर खड़े हो गए। लेकिन रावण ने कुछ नहीं कहा और लक्ष्मण श्री राम के पास लौट आए। श्री राम ने तब लक्ष्मण से कहा कि जब भी कोई व्यक्ति किसी से कुछ सीखना चाहता है, तो उसके सिर के पास नहीं बल्कि उसके पैरों के पास जा कर खड़ा होना चाहिए। लक्ष्मण फिर रावण के पास गए और इस बार वे उनके पैरों के पास जा कर खड़े हो गए।
 रावण ने लक्ष्मण को अपने पैरों के पास खड़े देखकर उन्हें तीन मुख्य रहस्य बताए जो किसी भी व्यक्ति के जीवन को सफल बना सकते थे:
1) पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य को जितनी जल्दी हो पूरा कर देना चाहिए और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी ‘शुभस्य शीघ्रम्’। रावण ने लक्ष्मण को बताया, ‘मैं श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी, इसी कारण मेरी यह हालत हुई’।
2) दूसरी बात जो उन्होंने लक्ष्मण को सिखाई वह यह थी कि कभी अपने शत्रु को छोटा नहीं समझना चाहिए, वह आपसे भी अधिक बलशालि हो सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने वानरों और भालुओं को खुद से कमज़ोर और अक्षम समझने की यह गलती की और वे युद्ध हार गए। उन्होंने यह भी बताया कि जब उन्होंने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई उनका वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि वे मनुष्य और वानर को तुच्छ समझते थे। यही उनकी गलती थी।
3) रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई भी राज़ हो तो उसे किसी को कभी भी नहीं बताना चाहिए। यहाँ भी रावण ने एक गलती की क्योंकि विभीषण को उसकी मृत्यु का रहस्य पता था और रावण जानता था कि यह उसके जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।
रावण ने लक्ष्मण को राजनीति और शासन कला के बारे में भी बताया:
•	अपने सारथी, अपने द्वारपाल, अपने रसोइए और अपने भाई के दुश्मन कभी मत बनो, वे चाहें तो कभी भी आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
•	यह कभी मत सोचिए कि आप विजेता हैं, भले ही आप हर समय जीत रहे हों।
•	हमेशा उस मंत्री पर भरोसा रखें, जो आपकी आलोचना करते हैं।
•	कभी मत सोचो कि तुम्हारा शत्रु छोटा या शक्तिहीन है, जैसे मैंने हनुमान के बारे में सोचा था।
•	कभी नहीं सोचें कि आप भाग्य को अपनी चतुराई से मात दे सकते हैं। आपको वही मिलेगा जो आपकी किस्मत में है।
•	भगवान से प्यार या नफरत करो तो दोनों ही अपार और मज़बूत होना चाहिए।
•	एक राजा जो हमेशा जीतने के लिए उत्सुक है, उसे लालच की भावना का सर उठते ही उसे दबा देना चाहिए।
•	एक राजा को थोड़ी सी भी शिथिलता के बिना दूसरों का भला करने के लिए छोटे-छोटे अवसरों का भी स्वागत करना चाहिए।
लक्ष्मण को राजनीति और शासन कला का ज्ञान देने के बाद रावण ने अंतिम सांस ली और श्री राम का नाम लेते हुए मृत्यु को प्राप्त हो गए। तथा लक्ष्मण रावण को नमन करके श्री राम के पास लौट गए।
संदर्भ:
1. https://www.speakingtree.in/blog/what-did-lakshman-learn-from-ravana