अहिंसा के माध्यम से विश्व भर में बनी रह सकती है शांति

लखनऊ

 02-10-2019 10:00 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

“आपको मानवता में विश्वास नहीं खोना चाहिए।
मानवता एक समुद्र है
यदि समुद्र की कुछ बूंदें सूख जाती है
तो समुद्र मैला नहीं होता”
-महात्मा गांधी

अहिंसा की नीति को अपनाने वाले महात्मा गांधी के योगदान को सराहने के लिए 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का फ़ैसला किया गया था। जनवरी 2004 में, ईरानी नोबेल पुरस्कार विजेता शिरीन एबादी ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को पढ़ाने के लिए अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस का प्रस्ताव रखा था। 15 जून, 2007 को महासभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने के प्रस्ताव को पारित करते हुए कहा गया कि- "शिक्षा के माध्यम से जनता के बीच अहिंसा का व्यापक प्रसार किया जाएगा।" प्रस्ताव इसकी भी पुष्टि करता है कि "अहिंसा के सिद्धांत की सार्वभौमिक प्रासंगिकता एवं शांति, सहिष्णुता तथा संस्कृति को अहिंसा द्वारा सुरक्षित रखा जाए।"

1930 में गांधी जी के नेत्रत्व में की गई दांडी मार्च भी पूर्ण रूप से अहिंसा के मार्ग पर की गई थी। गांधी जी का मानना था कि अहिंसा उपनिवेशवाद से आजादी की कुंजी है और हिंसा या घृणा से पूर्ण स्वतंत्रता हासिल नहीं की जा सकती। वहीं अहिंसा का सिद्धांत इस विचार को घेरता है कि भौतिक हिंसा के उपयोग के साथ सामाजिक या राजनीतिक परिवर्तन प्राप्त नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अहिंसा का मतलब निष्क्रियता नहीं है।

जैसा कि प्रोफेसर जीन शार्प बताते हैं, “एक अहिंसक अभियान निष्क्रियता और अधीनता की अस्वीकृति है।” वहीं अहिंसा शांतिवाद भी नहीं है, अधिकतर लोग अहिंसा और शांतिवाद में भ्रमित हो जाते हैं। अहिंसा विशेष रूप से हिंसा की अनुपस्थिति को संदर्भित करती है और हमेशा कोई भी नुकसान ना किये या कम से कम नुकसान करके अपने विचारों को प्रस्तुत करने को दर्शाती है, और निष्क्रियता या शांतिवाद कुछ भी नहीं करने का विकल्प है। कभी-कभी अहिंसा निष्क्रिय होती है, और कभी निष्क्रिय नहीं भी होती है।

गांधी जी द्वारा उठाया गया अहिंसा का कदम विश्व भर में व्यापक रूप से फैल गया था, विश्व स्तर पर, अहिंसा को सार्वभौमिक और वहनीय राजनीतिक तकनीकों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया गया है, लेकिन समय के साथ इसके लक्ष्य काफी बदल गए हैं। पहली पीढ़ी के कार्यकर्ताओं ने अहिंसा के माध्यम से एकजुट राज्य में नागरिक अधिकारों के आंदोलन और यूनाइटेड किंगडम में परमाणु-विरोधी विरोध को आकार दिया। गांधी जी की मूल परियोजना के मूल तत्वों को लेकर और विकसित करने वाली विरोध तकनीकों का उन्होंने सफलतापूर्वक निर्माण किया। सफल अहिंसक प्रत्यक्ष अभियान को दो प्रमुख पहलुओं द्वारा परिभाषित किया गया: विघटन और अनुशासन।

असहयोग और बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा, सामूहिक बहिष्कार जैसी रणनीति का उपयोग करके, अन्यायपूर्ण कानूनों की ओर ध्यान आकर्षित किया जाने लगा। नागरिक अधिकारों के आंदोलन के लिए बसों का बहिष्कार और भूख हड़ताल पर बैठना, जिसने अलगाव के आक्रोश को प्रभावी ढंग से उजागर किया। समय के साथ, हम सब को यह सीख मिलती है कि सशस्त्र आंदोलनों की तुलना में अहिंसा अधिक प्रभावी और कुशलता से बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी को आकर्षित करता है। अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र डाक प्रशासन ने ग्रंथिल बंदूक की छवियों की विशेषता वाले तीन नए निश्चित डाक टिकट को जारी किया है, जिन्हें आधिकारिक तौर पर गैर-हिंसा मूर्तिकला के रूप में जाना जाता है। यह गैर-हिंसा की मूर्ति 1980 में स्वीडिश कलाकार कार्ल फ्रेड्रिक रॉयटर्सवार्ड द्वारा जॉन लेनन को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाई गई थी। यह शांति और अहिंसा के लिए एक प्रतीक बन गई, और इसकी विश्व भर में रणनीतिक स्थानों में 30 से अधिक मूर्तियां पाई जाती हैं, जिसमें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, लुसाने में ओलंपिक संग्रहालय और बीजिंग में पीस पार्क शामिल हैं।

संदर्भ :-
1.
https://www.un.org/en/events/nonviolenceday/
2. https://en.wikipedia.org/wiki/International_Day_of_Non-Violence
3. https://bit.ly/2nJdtBU
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Nonviolence
5. https://www.un.int/brazil/news/new-stamps-international-day-non-violence
6. https://qz.com/1410453/pictures-to-mark-the-international-day-of-non-violence/
7. https://www.zocalopublicsquare.org/2017/02/07/indias-nonviolent-resistance-became-shifting-global-movement/ideas/nexus/



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id