दुर्गा पूजा और नवरात्रि को मनाए जाने के बीच जो अंतर हैं -- उन्हें अनिमेष मुखर्जी इस वीडियो में बता रहे हैं। एक बड़ा अंतर मांसाहार का है -- जहाँ नवरात्रि के दौरान मांसाहार वर्जित है, वहीं दुर्गा पूजा पंडालो के बाहर मांसाहार की दुकाने होती है और लोग खूब खाते हैं। जानिए कि क्यों महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की पूजा में लोग मांसाहार करते हैं और क्यों नवरात्रि में उपवास रखने की परम्परा है।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा
पतझड़ (शरतकाल) के समय दुर्गा की पूजा बंगाल में सबसे बड़ा हिन्दू पर्व है। दुर्गा पूजा नेपाल और भूटान में भी स्थानीय परम्पराओं और विविधताओं के अनुसार मनाया जाता है। पूजा का अर्थ "आराधना" है और दुर्गा पूजा बंगाली पंचांग के छटे माह अश्विन में बढ़ते चन्द्रमा की छटी तिथि से मनाया जाता है। तथापि कभी-कभी, सौर माह में चन्द्र चक्र के आपेक्षिक परिवर्तन के कारण इसके बाद वले माह कार्तिक में भी मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेण्डर में इससे सम्बंधित तिथियाँ सितम्बर और अक्टूबर माह में आती हैं। साल 2018 मे देश की सबसे महंगी दुर्गा पूजा कोलकाता में हुई, जँहा पद्मावत की थीम पर बना 15 करोड़ का पंडाल लगाया गया था।
रामायण में राम, रावण से युद्ध के दौरान देवी दुर्गा को आह्वान करते हैं। यद्यपि उन्हें पारम्परिक रूप से वसन्त के समय पूजा जाता था। युद्ध की आकस्मिकता के कारण, राम ने देवी दुर्गा का शीतकाल में अकाल बोधन आह्वान किया।
नवरात्रि
चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं, उनके आरंभ के लिए साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती-पूजन तथा क्षत्रिय शस्त्र-पूजन आरंभ करते हैं। विजयादशमी या दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है। अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है। यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध, परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है। क्षत्रिय/राजपूतों इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर संकल्प मंत्र लेते हैं। इसके पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि के यथाविधि पूजन की परंपरा है। नवरात्रि के दौरान कुछ भक्तों उपवास और प्रार्थना, स्वास्थ्य और समृद्धि के संरक्षण के लिए रखते हैं। भक्त इस व्रत के समय मांस, शराब, अनाज, गेहूं और प्याज नहीं खाते। नवरात्रि और मौसमी परिवर्तन के काल के दौरान अनाज आम तौर पर परहेज कर दिया जाते है क्योंकि मानते है कि अनाज नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता हैं। नवरात्रि आत्मनिरीक्षण और शुद्धि का अवधि है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरू करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय है।
सन्दर्भ:-
1. https://www.youtube.com/watch?v=uZagiuoipq8
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Durga_Puja
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Navaratri
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.