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गोमती नदी के किनारे बसे लखनऊ का नाम जब जुबान पर आता है तब याद आता है वहाँ का शाही खाना, नवाबीपन, भीड़-भाड़ भरी सड़कें और वो कहावत कि ‘मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं’! यदि रेलगाड़ी से लखनऊ जाएं तो उतरते ही चारबाग स्टेशन अपने आप में देखने लायक है।
लखनऊ मुगलों के दौर से लेकर अंग्रेजी हुकूमत तक की धरोहर को सहेजे हुए हैं। बड़ा इमामबाड़ा हो या रूमी दरवाजा, क्राइस्टचर्च हो या जामा मस्जिद, हुसैनाबाद क्लॉक टावर हो या कैसरबाग महल, सभी लखनऊ को एक अलग ही अंदाज़ में दिखाते हैं। शहर के शोर से शांति पाने के लिए रामकृष्ण मठ से बेहतर कुछ नहीं और संध्या काल में संकट मोचन मंदिर की आरती देखते ही बनती है।
विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर एक बात पर गौर करने की जरूरत है जो है दीर्घकालिक पर्यटन की। आम भाषा में कहें, तो एक ऐसा पर्यटन जो आज को नुकसान पहुंचाए बिना भविष्य का भी ध्यान रखें। दीर्घकालिक पर्यटन आज के दौर में बेहद जरूरी है, जिसके आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और प्राकृतिक फायदे भी हैं। पर्यटन के व्यवसाय को सही तरह से किया जाए तो वह सभी क्षेत्रों को फायदा पहुंचाता है, और मेजबान देशों और वहां रहने वाले लोगों को विकास का अवसर प्रदान करता है। इसके विपरीत यदि पर्यटन को सही तरह से नहीं किया जाए तो इसके काफी हानिकारक प्रभाव (मेजबान स्थान के) प्राकृतिक संसाधनों व सामाजिक तंत्र पर पढ़ते हैं। इसलिए आज के युग में जब पर्यटन बेहद तेज गति से बढ़ रहा है तो कुछ ऐसे उपायों की जरूरत है जो पर्यटन को आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उतना ही मनोरम बनाए रखें जितना कि वह आज है। इसके लिए हमें कुछ बहुत बड़ा करने की जरूरत नहीं है बहुत छोटी छोटी बातों को यदि ध्यान में रखा जाए तो हम आप सब मिलकर के दीर्घकालिक पर्यटन की संकल्पना को साकार कर सकते हैं-
1. स्थानीय खाद्य पदार्थ खाने पर बल दें। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।
2. स्थानीय रूप से बनी वस्तुएँ ही खरीदें। आप जानकर हैरान होंगे कि ऐसा करने से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 4% से 5% की कमी आ सकती है।
3. प्लास्टिक का उपयोग ना करें। एक जिम्मेदार पर्यटक बनें। जहां भी हों साफ़ सफाई का ध्यान रखें।
4. पानी बर्बाद ना करें। आपको जानकर अचरज होगा की होटल में रुकने वाले लोग औसतन 300 लीटर पानी का इस्तेमाल हर रात करते हैं तथा पांच सितारा होटलों में यह आंकड़ा लगभग 1800 लीटर तक जाता है।
5. लोगों को जाने और उनकी सभ्यता का मजाक नहीं उड़ाएँ।
हमें यह ध्यान में रखना होगा कि सभी पर्यटन पर निर्भर नहीं रहते पर पर्यटन सभी पर निर्भर रहता है। भारत जैसे विविधता पूर्ण विकासशील देश में हालांकि पर्यटन बढ़ रहा है पर पर्यटन का यह विकास यहां की प्राकृतिक संसाधनों, दोहन के तरीकों, प्रदूषण और समाज पर भी प्रभाव डाल रहा है। क्या आप जानते हैं कि एक यूरोपीय पर्यटक एक सामान्य भारतीय नागरिक की तुलना में 14 गुना ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल करता है। बढ़ते हुए पर्यटन के कुछ फायदे हैं तो नुकसान भी । फायदे तो हम सभी जानते हैं पर अक्सर नुकसानों को नजरअंदाज कर देते हैं अक्सर पर्यटक जंगलों में जलती हुई कोई चीज छोड़ जाते हैं समुद्री किनारों को गंदा कर देते हैं राष्ट्रीय पार्कों में जानवरों को वर्जित खाद्य पदार्थ खिला देते हैं। ऐसी गलतियाँ करने से बचें और कोई आपके सामने ऐसी गलतियाँ करे तो उसे भी न करने दें, एक ज़िम्मेदार पर्यटक बनें।
सन्दर्भ:-
1. https://en.wikipedia.org/wiki/World_Tourism_Day
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Sustainable_tourism
3. https://sustainabletourism.net/
4. http://www.greentourism.eu/en/Post/Name/SustainableTourism
5. https://bit.ly/2maZvbq
6. https://www.indianmirror.com/tourism/lucknow.html
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