उत्तर प्रदेश का महाडा स्थल (नवपाषाण स्थल) अत्यंत पुरातात्विक महत्व को बरकरार रखता है। क्योंकि यह उन मुख्य स्थलों में से एक है जिन्होंने भारत में नवपाषाण युग की शुरुआत (7,000 ई.पू. से 1,000 ई.पू.) को चिह्नित किया था। यहाँ वर्षों से खुदाई करने के बाद बड़ी संख्या में लघुपाषाणी (माइक्रोलिथ्स (Microliths) और ब्लैक ब्लेड (Black blades) उपकरण मिले थे।
माइक्रोलिथ एक छोटा पत्थर का उपकरण है, जो आमतौर पर अग्नि पत्थर या इसके जैसे पत्थर से बना होता है और यह लंबाई में 1 सेंटीमीटर या 1/2 सेंटीमीटर चौड़ा होता है। ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में लगभग 35,000 से 3,000 साल पहले मनुष्यों द्वारा बनाए गए थे। माइक्रोलेथ का उपयोग भाले और तीर को नोकदार बनाने में किया गया था।
माइक्रोलिथ को दो वर्ग में परिभाषित किया गया है : लामिनार (Laminar) और ज्यामितीय। लामिनार माइक्रोलिथ थोड़ा बड़ा होता है और ऊपरी पैलियोलिथिक (Paleolithic) के अंत और एपिपैलियोलिथिक (Epipaleolithic) युग की शुरुआत के साथ जुड़ा हुआ है। ज्यामितीय माइक्रोलिथ, त्रिकोणीय या समलम्बाकार हो सकते हैं। माइक्रोलिथ का उत्पादन कृषि के शुरू (8000 ईसा पूर्व) होने के बाद कम हो गया था परन्तु बाद में यह शिकार प्रथा के कारण संस्कृति का एक मुख्य हिस्सा बना था। प्रारंभिक शोध भारत में माइक्रोलिथिक उद्योग को एक होलोसीन (Holocene) घटना के रूप में मानते हैं। हालांकि एक नया शोध पूरे दक्षिण एशिया उपमहाद्वीप में माइक्रोलिथ उद्योग के और पुराने होने का ठोस डेटा (Data) प्रदान करता है। यह नया शोध आनुवांशिक, पैलियो पर्यावरण और पुरातात्विक अनुसंधान के आंकड़ों को भी संश्लेषित करता है, और भारतीय उपमहाद्वीप में माइक्रोलिथ का उद्भव, जनसंख्या की वृद्धि और पर्यावरणीय गिरावट के अनुकूलन से जोड़ता है।
ब्लेड का सृजन उन पत्थरों का उपयोग करके किया जाता है जिनमें क्रिप्टोक्रिस्टलाइन (Cryptocrystalline) संरचना होती है और जिसे आसानी से तोड़ा जा सकता है। ब्लेड ऊपरी पुरापाषाण युग की पसंदीदा तकनीक थी और इसके निर्माण के लिए विभिन्न तकनीकों की भी आवश्यकता होती है, जैसे हल्की चोट या पत्थर के हथौड़े की मदद से ब्लेड के पत्थर को तोड़ना, आदि। ब्लेड का निर्माण होने के बाद, उन्हें अक्सर बड़े उपकरणों (जैसे भाला) में सम्मिलित किया जाता है।
ब्लेड को उनके आकार के आधार पर कई अलग-अलग प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। पुरातत्वविदों ने ब्लेड को विशिष्ट प्रकारों में वर्गीकृत करने के लिए लिथिक न्यूनन प्रक्रिया से बनाई गई सूक्ष्म धारियों का उपयोग किया है। पुरातत्वविद् इस जानकारी का उपयोग यह देखने के लिए कर सकते हैं कि ब्लेड का उत्पादन कैसे हुआ, इसका उत्पादन किसने किया और इसका उपयोग कैसे किया जाता था।
उपकरण बनाने और उपयोग करने की क्षमता मनुष्यों को लाखों साल पहले से ही है। चिंपैंज़ी (Chimpanzee), द्वारा भी अपने शिकार को पकड़ने के लिए लकड़ी का उपयोग करते पाया गया है। वहीं चिंपैंजी को मनुष्यों का काफी करीबी भी माना जाता है। इससे यह पता चलता है कि मनुष्यों द्वारा भी प्राचीन काल में लकड़ी के उपकरणों का उपयोग किया जाता था।
संदर्भ:
1. https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/the-neolithic-age-1430564528-1
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Microlith
3. https://www.livescience.com/7968-human-evolution-origin-tool.html
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Blade_(archaeology)
चित्र सन्दर्भ:
1. https://www.pinterest.com/pin/89931323784403082
2. https://www.indiamart.com/ss-edu-artifacts-suppliers/stone-age.html
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Microlith#/media/File:Crystal_spear_tips.jpg
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