संगीत मानव जीवन की सबसे महत्वपूर्ण रचना है। इसकी महत्ता हम पाषाणकालीन चित्रों में भी देख सकते हैं। संगीत ने मानव जीवन को एक नया आयाम दिया है जिसे हम इसके विभिन्न स्वरूपों में देख सकते हैं। संगीत आज मानव जीवन के हर पहलू से जुड़ा हुआ है, चाहे वो हर्षोल्लास का माहौल हो या शोक का। भारत के विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार के घराने हैं जैसे कि ग्वालियर घराना, सहसवान घराना, जयपुर घराना आदि। इन्हीं घरानों में से एक है रामपुर सहसवान घराना जो कि अपनी संगीत विद्या के लिए अति लोकप्रिय है। रामपुर का सहसवान घराना हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक अति महत्वपूर्ण घराना है। यह घराना उस्ताद इनायत हुसैन खान द्वारा स्थापित किया गया था। यह घराना ख़याल संगीत की विधा को मानता है तथा यदि ऐतिहासिकता की बात करें तो यह उस्ताद महबूब खान तक जाता है जो कि रामपुर राज्य के शाही दरबार के मुख्य ख़याल गायक थे। इनके उपरान्त इनके पुत्र उस्ताद इनायत हुसैन खान ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया और रामपुर घराने की नींव रखी। यह घराना सहसवान नाम से इस लिए जाना जाता है क्योंकि इस घराने के सभी गायक एक ही परिवार से जुड़े हुए थे और इनके पैत्रिक गाँव का नाम सहसवान था जो कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में उपस्थित है।
रामपुर घराना के उदय के पहले एक ऐसा घराना भारत की धरा पर मौजूद था जिसने इस घराने के अवतरण में बड़ी भूमिका निभाई। कालान्तर में यह घराना मुग़ल राजा अकबर के काल में प्रचलित हुआ और यहाँ पर संगीत के महान दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जिनमें तानसेन प्रमुख थे। यह घराना ग्वालियर घराने के रूप में जाना जाता है। ग्वालियर घराना के प्रमुख संगीतज्ञों की बात की जाए तो इसमें उस्ताद नत्थन खान, नत्थन पीर बक्श, हड्डू, हस्सू, नत्थू खान आदि थे। गायकी में इस घराने में ख़याल, ध्रुपद आदि विधा के संगीत प्रचलित हुए और यह आज भी चलायमान है।
अब यहाँ पर यह चर्चा का विषय है कि आखिर ग्वालियर और रामपुर के संगीत की विधा में क्या रिश्ता है? वास्तविकता में रामपुर सहसवान घराना को वैश्विक स्तर पर और देशज स्तर पर पहचान दिलाने का सबसे पहला कार्य उस्ताद इनायत हुसैन खान साहब ने और उनके दो दामादों, मुश्ताक़ हुसैन खान और निस्सार हुसैन खान ने किया था। अब यह जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि रामपुर घराना किसी घराने से उदित हुआ है या स्वयंभू है। कुछ गायकों द्वारा तो इस घराने का संगीत ग्वालियर घराने पर आधारित बताया गया है जो कि कालांतर में आगरा और ग्वालियर दोनों घरानों के संगीत से प्रेरणा लेने लगा। रामपुर घराने को एक अलग पहचान दिलाने का कार्य नवाब हामिद अली खान ने भी किया था, जिसे कि भातखंडे अपनी संगीत पुस्तक में बताते हैं। ग्वालियर और रामपुर में संगीत की एक मज़बूत कड़ी है जो कि संगीत के ही कारण गठित हो पायी।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Gwalior_gharana
2. https://www.itcsra.org/Gharana-Details.aspx?SubId=5&GharanaId=35&Type=V
3. https://bit.ly/2mrZgsu
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Rampur-Sahaswan_gharana
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Man_Singh_Tomar
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