भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ का अधिकाँश भाग कृषि से होने वाली आय पर निर्भर है। किन्तु फसल उत्पादित करने वाले इन किसानों की उम्मीदें तब टूट जाती हैं जब इनके द्वारा उगाई गयी अधिकांश फसलों या अनाजों को कीटों या खरपतवारों द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। कीटों, खरपतवारों आदि के प्रभाव से भारत में प्रत्येक वर्ष 20-30% अनाजों या फसलों का नुकसान होता है। किसानों द्वारा उगाई गयी इन फसलों की कीमत लगभग 45,000 करोड़ रूपए होती है। फसलों को कीटों और खरपतवारों आदि के संक्रमण से बचाने के लिए आजकल विभिन्न कीटनाशकों का उपयोग किया जा रहा है। इन कीटनाशकों को कीटों के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है जिनमें कवकनाशी, शाकनाशी आदि शामिल हैं। इनके प्रभाव से जहाँ फसलें स्वस्थ रहती हैं वहीं उत्पादन भी अच्छा होता है। बेहतर कृषि के लिए इनका उपयोग एक प्रभावशाली उपाय है।
ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि इनका प्रयोग न किया जाए तो कृषि में दो गुना से भी अधिक नुकसान हो सकता है। कीटों और खरपतवारों के संक्रमण को रोकने के लिए आजकल बड़े पैमाने पर सिंथेटिक (Synthetic) कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है। देश की बढ़ती आबादी को पर्याप्त खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए कीटों और पौधों के रोगों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
भारत तकनीकी कीटनाशकों और उनके उत्पादन में पर्याप्त और आत्मनिर्भर है। यह कीटनाशकों का निर्यातक है। भारत में कीटनाशक उद्योग कीटनाशक अधिनियम, 1968 के प्रावधानों द्वारा शासित होता है जिसे कृषि और सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (Central Insecticides Board) और पंजीकरण समिति कीटनाशकों के निर्माण, वितरण, निर्यात, आयात, प्रतिबंध और उपयोग को विनियमित करने के लिए विभाग के अधीन एजेंसियां (Agencies) हैं। कीटनाशक अधिनियम राज्य सरकारों द्वारा लागू किया जाता है। मानव स्वास्थ्य, जानवरों और पर्यावरण को मद्देनज़र रखते हुए कीटनाशकों के निर्माण, आयात, बिक्री, वितरण आदि को कीटनाशक अधिनियम 1968 के प्रावधानों के तहत नियंत्रित किया जाता है। पहले कीटनाशकों के रूप में डीडीटी (DDT) का प्रयोग किया जाता था किन्तु अब ऐसी कई और विधियां मौजूद हैं जो फसलों को खराब होने से रोक सकती हैं। कीटनाशक गैस (Gas), द्रव या पाउडर किसी भी रूप में हो सकते हैं। वर्तमान में प्रयोग किये जा रहे कुछ कीटनाशक और उनके उपयोग निम्नलिखित हैं:
नैपसैक स्प्रेयर (Knapsack Sprayer) :
इस कीटनाशक का प्रयोग छोटे पेड़-पौधों और फसलों में वृद्धि कर रहे कीटों और खरपतवारों को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
मोटरीकृत नैपसैक मिस्ट ब्लोअर कम डस्टर (Motorized Knapsack Mist Blower Cum Duster) :
इनका उपयोग कीटों और कवकों को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है। चावल, फलों और सब्ज़ियों की अच्छी खेती के लिए यह प्रभावशाली उपाय है।
ट्रैक्टर मॉउंटेड बूम स्प्रेयर (Tractor Mounted Boom Sprayer) :
इनका उपयोग बगीचे की सब्ज़ियों, फूल वाले पौधों, गन्ने, कपास आदि के लिए किया जाता है।
एयरो ब्लास्ट स्प्रेयर (Aero Blast Sprayer) :
इनका उपयोग कपास, सूरजमुखी, गन्ना आदि जैसी फसलों या बागवानी फसलों के लिए किया जाता है।
भारत में कीटनाशकों का विकास करने वाले प्रमुख कारकों में खाद्यान्नों की अधिक मांग, फसलों का अधिक नुकसान आदि हैं। कृषि में कीटनाशकों के उपयोग का महत्त्व बहुत अधिक है क्योंकि ये फसलों की सुरक्षा और खाद्यान्न उपज बढ़ाने का एक प्रमुख उपकरण हैं।
सन्दर्भ:-
1. http://croplifeindia.org/importance-of-crop-protection-products-in-indian-agriculture/
2. https://farmech.dac.gov.in/FarmerGuide/UP/7u.htm
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:SPRAYING_PESTICIDES_-_NARA_-_544246.jpg
2. https://pixabay.com/photos/field-spray-water-fertilizer-2290743/
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