प्राचीन काल में रंगमंच को मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता था जिसकी एक विधा नाटक भी है। नाटक को अभिनय करने वाले कलाकारों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है जिसकी परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। जहां इसमें शब्दों की कला तो झलकती ही है, वहीं अभिनय की महत्त्वपूर्ण कला भी इसमें विशेष स्थान रखती है। रंगमंच पर नाटक के प्रस्तुतीकरण के लिए लेखक के साथ-साथ निर्देशक, अभिनेता, मंच-व्यवस्थापक और दर्शकों की भी आवश्यकता होती है। इन सबके सहयोग से ही नाट्यानुभूति या रंगानुभूति पैदा होती है। ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ भारत के प्रसिद्ध नाटकों में से एक है जिसे महाकवि कालिदास द्वारा लिखा गया था। यह नाटक राजा दुष्यंत और शकुंतला पर आधारित एक रोमांटिक कॉमेडी (Romantic Comedy) है जिसे वर्तमान समय में विभिन्न स्थानों पर विभिन्न रूपों में दिखाया जाता है।
नाटक की शुरुआत शकुंतला के जीवन को दिखाते हुए होती है जो ऋषि विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की बेटी थी। शकुंतला को बचपन में ही एक आश्रम में छोड़ दिया गया था जो बड़ी होकर बहुत ही सुशील और सुन्दर युवती बनी। एक दिन राजा दुष्यंत शिकार करते हुए उस आश्रम में पहुंचते हैं और वहां शकुंतला को पाते हैं। शकुंतला राजा की बहुत सेवा करती है जिससे राजा प्रसन्न हो जाता है और शकुंतला को पसंद करने लगता है। शकुंतला भी राजा को पसंद करने लगती है तथा दोनों गन्धर्व विवाह कर लेते हैं। राजा शकुंतला को जल्द ही वापस बुलाने का वचन देता है तथा एक अंगूठी भी भेंट करता। जब राजा आश्रम से चला जाता है तो वहां एक ऋषि का आगमन होता है। शकुंतला राजा की यादों में खोयी होती है जिस कारण वह ऋषि की ठीक प्रकार से सेवा नहीं कर पाती। इससे क्रोधित होकर ऋषि उसे श्राप देते हैं कि जिसकी यादों में शकुंतला खोयी हुई है वह ही उसे भुला दे। इस प्रकार ऋषि राजा दुष्यंत की याद से शकुंतला को मिटा देते हैं। परन्तु जब उन्हें पता चलता है कि शकुंतला के विचलित होने का कारण क्या था, तो वे अपने श्राप में यह जोड़ देते हैं कि यदि शकुंतला राजा को उनकी दी कोई अमानत दिखाएगी तो उन्हें सब याद आ जाएगा। जब शकुंतला अंगूठी लेकर राजा दुष्यंत के पास जाती है तो रास्ते में राजा द्वारा दी गयी अंगूठी पानी में गिर जाती है और अंगूठी न दिखा पाने की वजह से राजा उसे पहचानने से इंकार कर देते हैं। काफी सालों बाद एक मछुआरे को वो अंगूठी एक मछली के पेट में मिलती है और जब राजा दुष्यंत को इस बारे पता चलता है तब उन्हें सारी बातें याद आ जाती हैं। इस प्रकार जब वे आश्रम में शकुंतला को लेने पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनका एक पुत्र भी है। इस प्रकार वे दोनों एक हो जाते हैं तथा नाटक का सुखद अंत होता है।
इस नाटक के दौरान कई संवाद गद्य में बोले जाते हैं। नाटक में अधिकांश जगहों पर पात्रों द्वारा कविता या गीत भी बोले जाते हैं जिन्हें कालिदास द्वारा स्वयं लिखा गया है। यह नाटक अधिक काव्यात्मक और लयबद्ध रूप देता है। इस प्रकार के नाटकों का उपयोग कई टी.वी. शो (TV show) और फिल्मों में किया जाता है जिसका अंत एक सुखद घटना के साथ होता है। इस नाटक का प्रभाव केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशी फिल्मों (Films) और नाटकों में भी देखने को मिलता है जिसका एक महत्वपूर्ण उदाहरण टॉम हैंक्स और मेग रायन अभिनीत फिल्म स्लीपलेस इन सिएटल (Sleepless in Seattle) भी है।
इसी प्रकार का एक अन्य नाटक भारतीय महाकाव्य ‘महाभारत’ पर भी आधारित है जो केवल भारत को ही नहीं बल्कि अन्य देशों को भी प्रभावित करता है। इसका उदाहरण निर्देशक हिरोशी कोइके की जापानी महाभारत है जो भारतीय महाकाव्य की जापानी व्याख्या प्रस्तुत करती है। इसका मुख्य लक्ष्य एशियाई महाद्वीपों को एकजुट करना है। हिरोशी कोइके के इस संस्करण का पहला अध्याय 2013 में कम्बोडिया से शुरू हुआ था। इस नाटक को चार अध्यायों में पूरा किया गया है जो महाभारत के विभिन्न वृत्तांतों को आवरित करते हैं। बाद के वर्षों में इसे भारत, जापान और मलेशिया में प्रस्तुत किया गया। भारत में इसका दूसरा और तीसरा प्रदर्शन क्रमशः केरल के इंटरनेशनल थिएटर फेस्टिवल (International Theatre Festival) में और मुंबई में नेशनल सेंटर फॉर दी परफॉर्मिंग आर्ट्स (National Center for the Performing Arts -NCPA) में किया गया। हिरोशी के अनुसार महाभारत मानव और उनकी विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ जोड़ती है और मानव जीवन के संघर्षों को उजागर करती है।आपके लिए यह जानना रोचक होगा कि महाभारत को नाटक का रूप सबसे पहले फ्रांस में 1985 में एक ब्रिटिश नाटककार और पटकथा लेखक पीटर ब्रुक ने दिया। यह एक 9 घंटे का नाटक था जिसकी पटकथा लिखने में पीटर को 8 साल लगे। इसमें उनकी सहायता जीन-क्लौड कारियेर और मैरी हेलेन एस्टीएन ने भी की। दो साल तक यह शो (Show) फ्रांसिसी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रस्तुत किया गया। 1989 में, इसे छह घंटे की मिनी (Mini) श्रृंखला के रूप में टेलीविज़न (Television) के लिए अनुकूलित किया गया था। वर्तमान में महाभारत पर भारत की सबसे बड़ी मोशन फिल्म (Motion film) ‘दी महाभारत’ (The Mahabharata) का निर्माण किया जा रहा है जिसके निवेशक संयुक्त अरब अमीरात के एक भारतीय व्यापारी हैं जिन्होंने फिल्म के लिए 1,000 करोड़ रूपये का निवेश किया है। इस फिल्म का निर्देशन फिल्म निर्माता वी. ए. श्रीकुमार मेनन कर रहे हैं। यह फिल्म मुख्य रूप से अंग्रेज़ी, हिन्दी, मलायालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगू एवं प्रमुख विदेशी भाषाओं में बनायी जा रही है जो 2020 में रिलीज़ (Release) होगी जिसमें भारतीय सिनेमा के साथ-साथ हॉलीवुड (Hollywood) के कुछ बड़े सितारे भी नज़र आएंगे।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2jVDnRh
2. https://en.wikipedia.org/wiki/The_Mahabharata_(play)
3. https://bit.ly/2lwubDp
4. https://studymoose.com/play-analysis-shakuntala-by-kalidasa-essay
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.