लखनऊ का नज़दीकी कुकरैल अभयारण्य है मगरमच्छ का घर

लखनऊ

 02-09-2019 02:41 PM
रेंगने वाले जीव

सरीसृप इस पृथ्वी पर सबसे प्राचीन जीवों में से एक हैं। पृथ्वी पर हुए अनेकों परिवर्तनों एवं वायुमंडल में हुए अनेकों बदलावों के बावजूद भी इन जीवों ने पृथ्वी पर निवास कर लिया। इन जीवों में मगरमच्छ, घड़ियाल, गोह आदि आते हैं। पिछले कुछ दशकों से इनकी संख्या में अभूतपूर्व गिरावट दर्ज की गयी है जिसका मूल कारण है मानव आबादी का बढ़ना और इनका शिकार करना। इन जीवों का शिकार खाने, महंगे वस्त्र आभूषण बनाने, आदि के लिए किया जाता है। सरकार की अनेकों योजनाओं और कई संस्थाओं द्वारा किये गए अथक कार्यों के कारण इनके शिकार और खरीद फरोख्ती पर शिकंजा लगा हुआ है तथा वर्तमान में इनकी संख्या में वृद्धि हो रही है।

लखनऊ में स्थित कुकरैल वन्य अभयारण्य में किये जा रहे प्रयासों के कारण मगर की संख्या में यहाँ पर निरंतर रूप से वृद्धि देखी जा रही है। लखनऊ का कुकरैल आज मगर के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं सिद्ध हो रहा है। कुकरैल अभयारण्य लखनऊ से मात्र 9 किलोमीटर दूर स्थित है। इसकी स्थापना सन 1978 में कराई गयी थी।

यह वन्याभ्यारण उत्तर प्रदेश वन विभाग और वन मंत्रालय, भारत सरकार के संयोग से वित्त पोषित है। जिस समय इस अभयारण्य की स्थापना की गयी थी उस समय उत्तर प्रदेश में मगरों की संख्या मात्र 300 थी। मगरों का भारतीय संस्कृति से एक गहरा रिश्ता है, इनका विवरण विभिन्न हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों और चित्रों में देखा जा सकता है।

पाषाणकाल में मगरों की कुल 7 प्रजातियाँ पायी जाती थीं, परन्तु वर्तमान काल में इनकी संख्या घट कर मात्र 3 पर आ गई है। ये तीन प्रजातियाँ हैं मीठे पानी के मगर, खारे पानी के मगर और घड़ियाल। मीठे पानी के मगर पूरे देश भर में मीठे पानी में पाए जाते हैं जैसे कि नदियाँ, तालाब आदि। खारे पानी का मगर पूर्वी समुद्री तट पर और निकोबार और अंडमान महासागर में पाया जाता है। इसके अलावा घड़ियाल नदियों में पाया जाता है।

मगर भारत में पाया जाने वाला सबसे आम प्रजाति का सरीसृप है। इनका आकार खारे पानी के मगरों से छोटा होता है। आकार की बात की जाए तो ये करीब 13-14 फुट के होते हैं। जब तक ब्रिटिश भारत में नहीं आये थे तब तक मगरों की प्रजाति को किसी भी प्रकार से दिक्कतें नहीं आई थीं और वे विलुप्तता की कगार से काफी ऊपर थे। कालान्तर में मद्रास मगर बैंक की स्थापना की गयी और आज वहां पर हज़ारों की संख्या में मगर पाए जाते हैं।

यही नहीं, ऐसे ही अथक प्रयत्नों से आज वर्तमान में पूरे भारत में मगरों की संख्या में इज़ाफा हुआ है। मीठे पानी के मगर के बाद आता है खारे पानी का मगर जो कि ओड़िसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में पाए जाते हैं। भारत में पाए जाने वाले अब तक के सबसे बड़े खारे पानी के मगर का आकार 23 फुट था। वर्तमान काल में इनकी संख्या कुल 1742 है। ये मगर सदाबहार के जंगलों में निवास करते हैं।

खारे पानी के मगर के संरक्षण का पहला कार्य सन 1975 में ओड़िसा में शुरू किया गया था। मगर तीव्र तैराक होने के साथ-साथ सभी प्रकार के जीवों और मृत जीवों का शिकार कर लेते हैं।

लखनऊ में स्थित कुकरैल वन्य अभ्यारण्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए प्रारंग का निम्न लेख पड़ें - https://bit.ly/2lVAgJV

संदर्भ:-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Kukrail_Reserve_Forest
2. en.wikipedia.org/wiki/Crocodilia_in_India
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Mugger_crocodile
4. https://www.insightsonindia.com/2019/01/15/crocodile-census/
चित्र संदर्भ:-
1.
https://www.flickr.com/photos/pauljill/2155269175



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id