जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या बढ़ने को कहा जाता है। पूरी दुनिया में मनुष्य की जनसंख्या हर साल लगभग 8.3 करोड़ या 1.1% की दर से बढ़ती जा रही है। वर्ष 1800 में पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग एक अरब थी, जो 2017 तक बढ़ कर 7.6 अरब हो गई। आगे भी इसकी संख्या में बढ़ाव की ही उम्मीद है और ये अंदाज़ा लगाया गया है कि 2030 के मध्य तक ये आबादी लगभग 8.6 अरब हो जाएगी और 2050 तक लगभग 9.8 अरब तक हो जाएगी। अगर कुछ ठोस कदम न उठाये गये तो 2100 तक विश्व की आबादी लगभग 11.2 अरब तक हो सकती है।
भारत में जनसंख्या विस्फोट का असर अब दिखाई देने लगा है। हमारी सुविधाएँ सिकुड़ने लगी हैं और दैनिक जीवन मुश्किल में पड़ने लगा है। भारत की राजधानी जनसंख्या विस्फोट से उबलने लगी है। देश के मेट्रो (Metro) शहरों का हाल भी बहुत खराब है। दिल्ली में आये दिन लगने वाले ट्रैफिक (Traffic) जाम ने जीना हराम कर दिया है। वाहन रेंगने की स्थिति में पहुँच गए हैं। लोगों को पैदल चलना अधिक मुनासिब लग रहा है। बहरहाल बढ़ती जनसंख्या की दुश्वारियां सिर चढ़कर बोलने लगी हैं। भूखों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विकास कार्य सिकुड़ रहे हैं। रोटी, कपड़ा और मकान की बुनियादी सुविधाओं की बात करना बेमानी हो गया है। विकास का स्थान विनाश ने ले लिया है। आज विश्व की जनसंख्या सात अरब से ज्यादा है। अकेले भारत की जनसंख्या लगभग 1 अरब 35 करोड़ के आसपास है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। आज़ादी के समय भारत की जनसंख्या 33 करोड़ थी जो आज चार गुना तक बढ़ गयी है। परिवार नियोजन के कमज़ोर तरीकों, अशिक्षा, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव, अंधविश्वास और विकासात्मक असंतुलन के चलते आबादी तेज़ी से बढ़ी है। संभावना है कि 2050 तक देश की जनसंख्या 1.6 अरब हो जायेगी। फिलहाल भारत की जनसंख्या विश्व जनसंख्या का 17.5% है। भूभाग के लिहाज़ से हमारे पास 2.5% ज़मीन है, 4% जल संसाधन हैं, जबकि विश्व में बीमारियों का जितना बोझ है, उसका 20% अकेले भारत पर है। वर्तमान में जिस तेज़ दर से विश्व की आबादी बढ़ रही है उसके हिसाब से विश्व की आबादी में प्रत्येक साल आठ करोड़ लोगों की वृद्धि हो रही है और इसका दबाव प्राकृतिक संसाधनों पर स्पष्ट रूप से पड़ रहा है। इतना ही नहीं, विश्व समुदाय के समक्ष प्रवास भी एक समस्या के रूप में उभर रहा है क्योंकि बढ़ती आबादी के चलते लोग बुनियादी सुख−सुविधा के लिए दूसरे देशों में पनाह लेने को मजबूर हैं। प्रारंग आज आपके लिए लेकर आया है, जनसंख्या वृद्धि पर कटाक्ष करती यह हास्य लघु फिल्म (Short Film) जिसे ‘पॉकेट फिल्म्स’ (Pocket Films) द्वारा यूट्यूब (Youtube) पर प्रसारित किया गया है। फिल्म का शीर्षक है ‘वेकेंसी’ (Vacancy) जिसमें एक युवा आकांक्षी ‘दुर्गेश कुमार’ का एक अनोखा इंटरव्यू (Interview) दिखाया गया है। एक रिक्ति है, जिसके लिए बहुत अधिक प्रतियोगिता है। वह इस इंटरव्यू में सफल होगा या उसके हाथ निराशा लगेगी, इसी भूमिका के आस-पास घूमता है यह लघु चित्र।© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.