शहरीकरण में परिवर्तित होती ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था

लखनऊ

 31-08-2019 10:04 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

2011 की जनगणना के अनुसार उत्‍तर प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था तीव्रता से शहरी अर्थव्‍यवस्‍था में परिवर्तित हुयी है। जिसका प्रमुख कारण लोगों का कृषि क्षेत्र से गैर कृषि क्षेत्र की ओर रूख करना है, जिसके परिणामस्‍वरूप शहरों की संख्‍या में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुयी है। 2001 की जनगणना में भारत में शहरों की संख्‍या 1,362 थी जो 2011 में बढ़कर 3,894 हो गई। 2011 की जनगणना में 2,774 नए शहरों में से 2,532 नए जनगणना शहर थे और 242 सांविधिक शहर थे। एक सांविधिक शहर वह क्षेत्र है जिसे राज्य या केंद्रीय विधायी द्वारा स्‍थापित किया जाता है तथा शहरी स्थानीय निकायों (यू.एल.बी.) द्वारा संचालित किया जाता है। इसके साथ ही कई क्षेत्र ऐसे हैं जो शहरों की सूची में तो शामिल नहीं हैं किंतु शहरी विशेषताओं, जैसे न्‍यूनतम 5,000 आबादी, क्षेत्र के 75% कामकाजी पुरूष गैर कृषि गतिविधियों में संलग्‍न हैं तथा प्रतिवर्ग किलोमीटर में 400 व्‍यक्तियों का जनसंख्‍या घनत्‍व, के काफी निकट हैं।

प्रारंभ में भूमि का स्‍वामित्‍व कृषकों की आय का मुख्‍य स्रोत था, जिसमें विगत समय में कमी आयी है। भारत में, स्‍वामित्‍व का औसत आकार भी क्रमिक रूप से कम हो रहा है। इस प्रवृत्ति ने कई सीमांत किसानों को गैर-कृषि क्षेत्र में रोज़गार की तलाश करने के लिए मजबूर कर दिया है क्योंकि आजीविका के लिए कृषि पर निर्भरता अब लाभदायक नहीं हो रही है। 2010–11 की कृषि जनगणना के अनुसार, स्‍वामित्‍व का औसत आकार जो 2005–06 में 1.23 हेक्टेयर था वह 2010–11 में घटकर 1.15 हेक्टेयर रह गया। 0.01 हेक्टेयर से कम भूमि वाले (जिसमें भूमिहीन कृषि परिवार भी शामिल हैं) 56% कृषि परिवारों ने अपनी आय के प्रमुख स्रोत के रूप में मजदूरी/वेतनभोगी रोज़गार को चुन लिया।

नए जनगणना शहर एक बढ़ते ग्रामीण बाज़ार के लिए व्यापार और अन्य स्थानीय सेवाएं प्रदान करत रहे हैं। वे लोगों को परिवहन, निर्माण, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। ये शहर मुख्य रूप से अधिकांश कामकाजी जनसंख्या के कारण कृषि से गैर-कृषि कार्यकलापों में स्थानांतरित हो रहे हैं। सामान्‍यतः, यह देखा गया है कि जनगणना शहर जो वर्ग 1 वाले शहरों के नज़दीक हैं, वे अधिक आबादी वाले हैं। यह निकटता जनगणना शहरों की जनसंख्या को प्रभावित करती है। इनकी आबादी वर्ग 1 वाले शहरों के काफी निकट आ गयी है। उदाहरण के लिए सोनभद्र जिले में जनगणना शहर, औद्योगिक समूहों की तरह हैं। वे आसपास की बस्तियों के लिए रोज़गार के अवसर उत्‍पन्‍न करते हैं। उत्तर प्रदेश के कुछ जनगणना शहरों में कुछ विशिष्ट वस्तुओं का निर्माण इनके आर्थिक आधार की विशेषता है। उत्तर प्रदेश के 267 जनगणना शहरों में से 127 में विशिष्ट वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। इन बस्तियों में विनिर्माण इकाइयों को मज़बूत करने के विशिष्ट उद्देश्य के साथ नीतियों को इन बस्तियों और आस-पास के गांवों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए लागू किया जाना चाहिए।

संदर्भ:
1.https://www.epw.in/journal/2019/33/special-articles/census-towns-uttar-pradesh.html


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