हमारे जीवन के लिए पानी जितना आवश्यक है उतना ही पोषण भी आवश्यक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व हमें विभिन्न पेड़, पौधों और फसलों से प्राप्त होते हैं जोकि विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगते हैं। इसलिए धरती पर जीवों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जितना पोषण आवश्यक है उतना ही मिट्टी का भी महत्व है। मिट्टी दोमट, रेतीली, बलुई, चिकनी आदि प्रकार की होती है किंतु इन्हें भी संरचना, आकारिकी आदि के आधार पर उप-विभाजित किया गया है।
हमारे लखनऊ में भी मिट्टियों की बहुत अधिक विविधता पायी जाती है जिनका अपना-अपना विशेष महत्व है। तो चलिए आज जानते हैं यहां पायी जाने वाली इन मिट्टियों के बारे में।बलुई मिट्टी: इस मिट्टी की प्रकृति मध्यवर्ती होती है जिसमें वायु संचरण अच्छा होता है। इस मिट्टी की जल धारण क्षमता कुछ ज़्यादा अच्छी नहीं होती है और इसमें जैविक पदार्थों की मात्रा भी कम पायी जाती है। लखनऊ में यह मिट्टी 17,304 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
रेतीली दोमट मिट्टी: इस मिट्टी की बनावट मोटी होती है जिस कारण इसकी जल धारण क्षमता भी खराब होती है। इसमें जैविक पदार्थों की मात्रा कम होती है जिसमें वायु संचरण अच्छा होता है। इस मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा कम होती है तथा यह लखनऊ के 22,970 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
सिल्टी दोमट मिट्टी (Silty loam): इस मिट्टी की प्रकृति मध्यवर्ती होती है जिसमें अच्छा वायु संचरण होता है। इसमें जैविक पदार्थों की मात्रा कम होती है तथा यह पोषक तत्वों को अच्छी तरह से खुद में समाहित कर लेती है। यह मिट्टी लखनऊ में 99,301 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
सिल्ट दोमट मिट्टी (Silt loam): इसकी प्रकृति मध्यवर्ती है जिसमें वायु संचरण अच्छा होता है। यह पौधों के पोषक तत्वों को अच्छी तरह से अवशोषित कर लेती है तथा लखनऊ के 28,352 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
सिल्टी चिकनी दोमट मिट्टी: इस मिट्टी की प्रकृति मध्यवर्ती है जिसकी नमी उच्च होती है। पोषक तत्वों को बनाए रखने की भरपूर क्षमता इस मिट्टी में होती है। गीला होने पर इस मिट्टी के कण चिपचिपे हो जाते हैं। यह मिट्टी लखनऊ के 18,357 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।चिकनी दोमट मिट्टी: चिकनी दोमट मिट्टी बहुत बारीक होती है जिसका वायु संचरण न तो ज्यादा उच्च होता है और न ही बहुत कम होता है। इस मिट्टी की नमी उच्च होती है तथा यह पोषक तत्वों को बनाए रखने में सक्षम है। गीला होने पर मिट्टी के कण चिपचिपे होते हैं जो बाद में धीरे-धीरे सूख जाते हैं। ऐसा होने पर मिट्टी गुच्छेदार बन जाती है जिसमें वायु संचरण मध्यवर्ती होने लगता है। यह मिट्टी 8,725 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
सिल्टी दोमट मिट्टी (Silty clay): सिल्टी दोमट मिट्टी की प्रकृति मध्यवर्ती होती है जिसमें वायु संचरण भी मध्यवर्ती होता है। इस मिट्टी में उच्च नमी और पोषक तत्वों को बनाए रखने की क्षमता भी अधिक होती है। लखनऊ में यह मिट्टी 4,526 हेक्टेयर क्षेत्र को आवरित करती है।
लखनऊ क्षेत्र में जो मिट्टी सबसे अधिक पायी जाती है वह है दोमट मिट्टी। यह मिट्टी रेत, गाद और चिकनी मिट्टी के संयोजन से मिलकर बनी होती है। इस प्रकार यह मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए उपयुक्त है जो उपजाऊ उद्यान की नींव बनती है। आकार के आधार पर इस मिट्टी को रेतीली दोमट मिट्टी, चिकनी दोमट मिट्टी तथा सिल्टी दोमट मिट्टी में उप-विभाजित किया जाता है। यह मिट्टी विभिन्न प्रजातियों वाले पौधों की वृद्धि और पोषण के लिए उपयुक्त होती है। दोमट मिट्टी में पौधों के लिए जीवन आरामदायक होता है क्योंकि यह उपजाऊ मिट्टी है। इसमें उगने वाले पौधों को अन्य मिट्टियों की अपेक्षा अधिक पानी की आवश्यकता होती है तथा इसमें जैविक पदार्थों की मात्रा पर्याप्त होती है। दोमट मिट्टी में पौधों की वे प्रजातियां उगती हैं जो विशेष रूप से ढीली और उपजाऊ मिट्टी को पसंद करती हैं। इनमें घास, बांस, आर्द्रभूमि और जलीय पौधे, सब्जियां, फलों के पेड़, बेरी की झाड़ियां और फ़र्न (Fern) आदि शामिल हैं।
इन मिट्टियों का सही उपयोग करने के लिए इनकी सही पहचान करना आवश्यक है। हर मिट्टी में कुछ ना कुछ अंतर होते हैं जिससे इनमें विभेद किया जा सकता है। उदाहरण के लिए चिकनी मिट्टी के कण महीन होते हैं और यह पानी और पोषक तत्वों की आवाजाही पर रोक लगाती है। इसी प्रकार रेत में ऐसे कणों की उपस्थिति होती है जो पानी और पोषक तत्वों को बहुत तेज़ी से रिसने देते हैं। इनके अतिरिक्त एक अन्य प्रकर की मिट्टी भी है जिसे सिल्ट (Silt) या गाद कहा जाता है तथा यह रेत और चिकनी मिट्टी के संयोजन से मिलकर बनी होती है।
संदर्भ:
1. http://lucknow.kvk4.in/district-profile.html
2. https://homeguides.sfgate.com/grows-silty-loam-94228.html
3. https://www.quora.com/What-is-the-difference-between-sand-silt-clay-loam-and-humus
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