खगोल विज्ञान से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए देश में कई स्थानों पर नक्षत्र भवन (Planetarium) बनाए गए हैं। लखनऊ में भी शनि ग्रह के आकार के समान एक अद्भुत नक्षत्र भवन (इंदिरा गांधी नक्षत्र भवन) बनाया गया है। इसकी स्थापना 28 फरवरी 1988 को की गयी थी। यहां पर कई मनोरम खगोलीय दृश्य दिखाए जाते हैं। इस इमारत की उत्कृष्ट संरचना और डिज़ाइन (Design) की विशिष्टता के लिए दुनिया भर में इसे जाना जाता है। यहां पर सूर्य, चंद्रमा, तारे, ग्रहों आदि की गति के शानदार दृश्यों का अवलोकन किया जा सकता है।
इस नक्षत्र भवन में प्रत्येक दिन चार खगोलीय प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। जिनमें खगोलीय जगत के दृश्यों को बड़े शानदार तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जो दर्शकों, विशेषकर बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ खगोलीय जानकारी भी प्रदान करते हैं। नक्षत्र भवन की गैलरी (Gallery) को एस्ट्रोनॉमी (Astronomy) और स्पेस गैलरी (Space Gallery) के नाम से जाना जाता है, जहां पर विभिन्न खगोल विज्ञान मॉडल (Model) दर्शाए गए हैं। इसके साथ ही भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के मिशनों (Missions) के विषय में जानकारी मौजूद है। सौरग्रहण और चंद्रग्रहण जैसी खगोलीय गतिविधियों के दौरान विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां पर एक प्लैनेटरी वेइंग मशीन (Planetary weighing machine) भी मौजूद है जो हमें अलग-अलग ग्रहों पर हमारे वज़न के विषय में बताती है। जैसे यदि पृथ्वी पर आपका वज़न 60 कि.ग्रा. है तो चांद पर आपका वजन 9.9 कि.ग्रा. हो जाएगा तो वहीं बृहस्पति पर 151.6 कि.ग्रा. हो जाएगा। इसी तरह अलग-अलग ग्रहों पर यह भिन्न-भिन्न होगा। बृहस्पति पृथ्वी से 318 गुना बड़ा है तथा इसकी त्रिज्या पृथ्वी से 11 गुना अधिक है, इसलिए आप केंद्र से 11 गुना आगे हैं। यह 121 के एक कारक से गुरुत्वाकर्षण खिंचाव को कम कर देता है जिसके परिणामस्वरूप आप पर पृथ्वी की तुलना में लगभग 2.53 गुना अधिक खिंचाव होता है। न्यूट्रॉन स्टार (Neutron Star) पर खड़े होने से आप वज़नदार हो जाते हैं। हम पृथ्वी की त्रिज्या को जानते हैं, अतः इसके आधार पर हम पृथ्वी की सतह पर किसी वस्तु पर गुरुत्वाकर्षण बल के संदर्भ में पृथ्वी के द्रव्यमान की गणना करने हेतु सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त का उपयोग कर सकते हैं। दूरी के रूप में पृथ्वी की त्रिज्या का उपयोग किया जा सकता है। हमें सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण के सिद्धान्त में आनुपातिकता स्थिरांक ‘G’ की भी आवश्यकता होती है। पृथ्वी के द्रव्यमान और त्रिज्या तथा सूर्य से पृथ्वी की दूरी के बारे में जानकर, हम सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त का उपयोग करके सूर्य के द्रव्यमान की गणना भी कर सकते हैं। सूर्य का द्रव्यमान प्राप्त होने के पश्चात हम किसी भी ग्रह के द्रव्यमान को खगोलीय रूप से ग्रह की कक्षीय त्रिज्या और अवधि का निर्धारण करके, आवश्यक सेंट्रिपेटल (Centripetal) बल की गणना करके, इस बल को सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त द्वारा अनुमानित बल (सूर्य के द्रव्यमान का उपयोग करके) के बराबर रखके निर्धारित कर सकते हैं। किसी ग्रह का भार (या द्रव्यमान) अन्य पिंडों पर उसके गुरुत्वाकर्षण प्रभाव से निर्धारित होता है। न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम में कहा गया है कि ब्रह्मांड में प्रत्येक पदार्थ गुरुत्वाकर्षण बल के साथ दूसरे को आकर्षित करता है जो इसके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। किसी ग्रह का द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करने हेतु, हमें किसी अन्य वस्तु पर उसके खिंचाव की क्षमता को मापना चाहिए। यदि ग्रह का कोई चंद्रमा (एक प्राकृतिक उपग्रह) है, तो उपग्रह द्वारा ग्रह की परिक्रमा करने में लगने वाले समय का अवलोकन करके, हम न्यूटन के समीकरणों का उपयोग करके अनुमान लगा सकते हैं कि ग्रह का द्रव्यमान क्या होना चाहिए। आपका वज़न गुरूत्वाकर्षण के खिंचाव पर निर्भर करता है तथा गुरुत्वाकर्षण का यह बल स्वयं कुछ चीज़ों पर निर्भर करता है। सबसे पहले, यह आपके द्रव्यमान और उस ग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर करता है जिस पर आप खड़े हैं। यदि आप अपने द्रव्यमान को दोगुना करते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण आप पर दोगुना कठोर हो जाता है। इस प्रकार द्रव्यमान और गुरूत्वाकर्षण एक दूसरे से संबंधित होते हैं।© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.