वन पूरे विश्व के लिए एक आवश्यक संसाधन है। जहां मानव जीवन वनों पर निर्भर होता है वहीं अन्य जीव-जंतुओं का जीवन भी इन पर निर्भर होता है। वन विभिन्न जीव-जंतुओं को बड़े पैमाने पर आवास, पोषण तथा सुरक्षा प्रदान करते हैं जिन्हें विभिन्न पैमाने के अंतर्गत विशिष्ट श्रेणियों में बांटा गया है। उष्णकटिबंधीय वन भी वनों की इन्हीं श्रेणियों में से एक है। ये वन कांटेदार तथा झाड़ीदार भी होते हैं जो अधिक घने नहीं होते। भारत में कांटेदार और झाड़ीदार वन गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और उत्तर प्रदेश के अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन वनों की मुख्य वनस्पतियां बबूल, ताड़, यूफोर्बिया (Euphorbia), कैक्टस (Cacti) आदि हैं। यहां पाये जाने वाले जंतुओं में चूहा, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िया, बाघ, शेर, जंगली घोड़े, ऊंट आदि शामिल हैं। नमी को बनाये रखने के लिए ये वन मिट्टी में लंबे समय तक जड़ों को जमाए रखते हैं। वाष्पीकरण को रोकने या कम करने के लिए इन वनों की पत्तियां ज्यादातर मोटी और छोटी होती हैं। इन वनों की जड़ें लंबी होती हैं जो मिट्टी में गहराई तक पहुंचती हैं।
भारत में कांटेदार और झाड़ीदार वन दक्कन पठार के शुष्क भागों को भी आवरित करते हैं जो भारतीय राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से लेकर श्रीलंका के उत्तरी प्रांत तक फैला हुआ है। यहां प्राकृतिक आवास कम ही उपलब्ध हैं क्योंकि अधिकांश क्षेत्र को चराई के लिए उपयोग कर लिया गया है। इन वनों के लिए 70 से.मी. से कम वार्षिक वर्षा उपयुक्त होती है। नवंबर से अप्रैल के महीनों के दौरान इस क्षेत्र में वर्षा का अभाव रहता है तथा गर्म महीनों के दौरान तापमान 40°C से अधिक हो सकता है। ये क्षेत्र उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनों द्वारा आवरित किया गया है जहां पक्षियों की लगभग 350 प्रजातियां दर्ज की गई हैं। एक समय में यह क्षेत्र बड़ी संख्या में हाथियों और बाघों का घर था किंतु अब यहां जीव-जंतुओं की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है जिसका मुख्य कारण वन क्षेत्र का अत्यधिक दोहन है। पशु चारे के लिए इनका उपयोग निरंतर किया जा रहा है। इन प्राकृतिक वनों का एक बड़ा क्षेत्र दक्षिणी आंध्र प्रदेश में भी है जहां के 11 क्षेत्रों को संरक्षित किया गया है। आंध्र प्रदेश के कुर्नूल में नंदिकोटकुर के पास ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) के लिए सबसे बड़ा अभयारण्य रोल्लापाडु पक्षी अभयारण्य है।
उत्तरप्रदेश में मुख्य वन प्रकार उष्णकटिबंधीय अर्ध सदाबहार (0.21%), उष्णकटिबंधीय नम पर्णपाती (19.68%), उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती (50.66%), उष्णकटिबंधीय काँटेदार (4.61%) और लिटोरल (Littoral) और दलदली वन (2.35%) हैं। 1999 में उत्तराँचल और उत्तर प्रदेश के विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश में सिर्फ 16,888 वर्ग कि.मी. वन रह गए थे। इन वनों की कांटेदार जड़ी बूटियों में आर्जीमोन मैक्सीकाना (Argemone Mexicana) भी शामिल है जो हमारे लखनऊ में भी पाया जाता है। इसे सामान्य भाषा में कटेला, बरबंदा के रूप में जाना जाता है।
संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Deccan_thorn_scrub_forests
2. https://bit.ly/2HnidUz
3. https://brainly.in/question/1803826
4. https://bit.ly/2ZmjOoa
5. http://www.wealthywaste.com/forest-cover-in-uttar-pradesh-an-overview
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Jodigere.jpg
2. https://bit.ly/2ZsynXk
3. https://live.staticflickr.com/2565/4181770725_a8b61c8a72_b.jpg
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