विभिन्न देशों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है, ईद-उल-जुहा / बकरीद

लखनऊ

 12-08-2019 03:46 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

बकरीद मुस्लिम समुदाय के लोगों का प्रमुख त्यौहार है जिसे ईद-उल-जुहा के नाम से भी जाना जाता है। हज यात्रा के अंतिम चरण पर मनाये जाने वाले इस त्यौहार को कुर्बानी का त्यौहार भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अल्लाह के पैगम्बर इब्राहिम ने अल्लाह के आदेशानुसार बलि देने के लिये अपने प्रिय पुत्र इस्माइल को चुना किंतु बलि देते वक्त अल्लाह ने उस बच्चे को एक बकरी से बदल दिया। इस प्रकार बकरीद पर बलि देने की यह प्रथा तब से चली आ रही है। कुर्बानी के बाद बकरे का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा गरीबों को, दूसरा हिस्सा रिश्तेदारों को, तथा तीसरा हिस्सा परिवार को दिया जाता है। इस उत्सव को भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है। तो चलिए आज जानते हैं कि किस प्रकार विभिन्न देशों में यह त्यौहार उनके अपने तरीके से मनाया जाता है।

भारत

भारत में लखनऊ, हैदराबाद, दिल्ली और मुम्बई बकरीद के उत्सव के लिये विशेष रूप से जाने जाते हैं। नवाबों और कबाबों के शहर लखनऊ में प्रार्थना के बाद लोग प्रसिद्ध डाइनिंग स्पॉट (Dining spot) पर पहुंचते हैं और उत्सव में प्यार से पकाए गये मटन व्यंजनों को खाते हैं। पूरा हैदराबाद शहर विशेषकर सिकंदराबाद, मसाब टैंक और मदनापेट क्षेत्र को खूबसूरती से सजाया जाता है। चारमीनार में शाम को विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं। दिल्ली 6 या पुरानी दिल्ली या पूरे चांदनी चौक को भव्य तरीके से सजाया जाता है। जामा मस्जिद के आसपास के कुछ रेस्तरां शहर के सर्वश्रेष्ठ मुगलई भोजन परोसते हैं। दिल्ली के मुगल इतिहास के कारण इसे बकरीद के भव्य उत्सव के लिये शीर्ष पर रखा गया है। इस सूची में दूसरा स्थान मुम्बई का आता है। हाजी अली दरगाह के आसपास के क्षेत्र में बकरीद के दिन भक्तों की एक बड़ी कतार लगी होती है, जो यहाँ नमाज़ अदा करने आते हैं। मुस्लिम पुरूष इस दिन कुर्ता पहनते हैं और विभिन्न मस्जिदों में विशेष नमाज़ अदा करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों के लिए इस दिन चंदा भी इकठ्ठा किया जाता है। बकरीद से पूर्व बलि के लिए बहुत बड़ी संख्या में बकरियां खरीदी और बेची जाती हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप
यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में मुसलमान प्रायः नाश्ता नहीं करते तथा ईद की नमाज़ और ईद के उपदेश के लिए सीधे ही अपनी स्थानीय मस्जिदों में जाते हैं। बाद में वे परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ भोजन के लिए घर लौटते हैं। अमेरिका में स्थित इस्लामिक केंद्र और अमीर मुस्लिम इस दिन विभिन्न समारोहों को आयोजित करते हैं जहां गरीब लोगों को भोजन और उपहार दिए जाते हैं। इस उत्सव के दौरान कई विद्यालय भी बंद होते हैं। ईद के दिन, पुरुष, महिलाएं और बच्चे सुबह की प्रार्थना या दिन की विशेष प्रार्थना में भाग लेने के लिए एक निश्चित स्थान पर इकट्ठा होते हैं।

मिस्र
मिस्र में इस त्यौहार को ईद उल-किब्र कहा जाता है। यहां ईद उल-फितर के त्यौहार की तुलना में ईद उल-जुहा को अधिक मान्यता दी जाती है। दिन की शुरुआत एक बड़े पैमाने पर पारंपरिक तरीके से होती है, जिसमें प्रार्थनाएँ और उपदेश शामिल होते हैं। लोग अपने दोस्तों और प्रियजनों से मिलते हैं और एक दूसरे को “कोल सना वा इंता तायेब (kol sana wa inta tayeb)” अर्थात “मैं आशा करता हूं कि आपका हर साल अच्छा हो”, की शुभकामनाएं देते हैं। मिस्र के लोगों द्वारा कुर्बानी मांस को बड़ी उदारता के साथ गरीब लोगों को दान किया जाता है। अमीर और कई धर्मार्थ संगठन गरीब परिवारों को मांस और अन्य खाद्य पदार्थ भी भेंट करते हैं।

पाकिस्तान
पाकिस्तान में ईद उल-जुहा के लिए 4-दिवसीय धार्मिक अवकाश दिया जाता है। सभी दुकानें बंद होती हैं और लोग प्रार्थना और कुर्बानी बलिदान करने हेतु इन 4-दिवसीय अवकाशों का उपयोग करते हैं। जानवरों की कुर्बानी से मिलने वाले मांस को फिर दोस्तों, रिश्तेदारों और गरीबों में बांट दिया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के उपहार भी बांटे जाते हैं।

बांग्लादेश
इस पवित्र त्यौहार को बांग्लादेश में ‘कुर्बानिर ईद’ या ‘बकरी ईद’ के नाम से जाना जाता है। त्यौहार शुरू होने से लगभग एक महीने पहले ही मिठाई की दुकानों, उपहार की दुकानों और कपड़ा विक्रेताओं की दुकानों में विशेष आनंद और हर्ष देखने को मिलता है। बांग्लादेश में आमतौर पर गायों, बकरियों और भैंसों को बलि के लिए चुना जाता है और साथ ही साथ कई लोग ऊंटों को भी इस कार्य के लिए चुनते हैं।

मोरक्को
मिस्र के समान ईद-उल-जुहा को मोरक्को में ईद-उल-किब्र कहा जाता है। यहां आमतौर पर कुर्बानी के लिए गाय, भेड़ या बकरी का उपयोग किया जाता है और उसका मांस फिर गरीब लोगों में बांट दिया जाता है। त्यौहार के दिनों में लोग प्रार्थना और धर्मोपदेशों के लिए अपने निकटतम मस्जिदों में जाते हैं, जिसके बाद लोग एक-दूसरे के घरों में जाकर एक साथ भोजन करते हैं।

संदर्भ:
1.https://bit.ly/33lx1wy
2.https://bit.ly/31ocNAg
3.https://bit.ly/2ThcTHi
4.https://bit.ly/2OOnZ7Z
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://live.staticflickr.com/4241/35517447355_c6a6a550b2_b.jpg
2. https://bit.ly/2YWRg4q



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id