लखनऊ की घेराबंदी में रेज़ीडेंसी की भूमिका

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
03-08-2019 12:50 PM
लखनऊ की घेराबंदी में रेज़ीडेंसी की भूमिका

स्वतंत्रता संग्राम 1857 की पहली लड़ाई का अगर कोई पहला गवाह है तो वो है लखनऊ की रेज़ीडेंसी (Residency)। यह वो स्थान है जहां 1857 में लखनऊ की घेराबंदी के समय अंग्रेजों ने शरण ली। दरअसल लखनऊ की रेज़ीडेंसी महत्‍वपूर्ण ऐतिहासिक स्‍थलों में से एक है जिसका निर्माण 1800 ई. में नवाब सआदत अली खान द्वारा पूरा करवाया गया। गोमती नदी के तट पर स्थित इस रेज़ीडेंसी को मुख्य रूप से ब्रिटिश अधिकारियों के लिए बनाया गया था। उस समय यह रेज़ीडेंसी ब्रिटिश कमीश्नर का घर बन चुकी थी जहां वे अपने परिवार और सेवकों के साथ रहते थे। यह इमारत आज भी आज़ादी की जंग की तमाम निशानियों को संजोए हुए है तथा खंडहर के रूप में सीढ़ीदार लॉन (Lawn) और बगीचों से घिरी हुई है।

1857 में लखनऊ में हुई घेराबंदी ने इस स्थान को ध्वस्त कर दिया था जिस कारण यह आज भी खंडहर बनी हुई है। आज़ादी की यह लड़ाई 1 जुलाई से शुरू होकर 17 नवम्बर 1857 तक जारी रही। दरसल उस समय ब्रिटिश सरकार द्वारा ऐसी कारतूसों को लाया गया था जिन पर सूअर और गाय के मांस की परत चढ़ी हुई थी। सैनिकों को इन्हें मुंह से खींचकर चलाना पड़ता था। इन गोलाबारूदों का उपयोग करना भारतीय सैनिकों के धर्म के विरुद्ध था फिर भी सैनिकों को इन गोलाबारूदों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्धित किया गया। जब सैनिकों ने इस बात से इनकार कर दिया तो 3 मई को उन्हें अन्य रेजिमेंटों (Regiments) द्वारा निरस्त्र कर दिया गया। इस घटना ने मेरठ में एक बहुत बड़े विद्रोह को जन्म दिया जो और स्थानों में भी फैल गया। 10 मई 1857 को मेरठ में सिपाहियों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया। इस विद्रोह में मुख्य रूप से लखनऊ की रेज़ीडेंसी को लक्षित किया गया था। जब अवध राज्य के मुख्य आयुक्त सर हेनरी लॉरेंस को यह बात पता चली तो उन्होंने रेज़ीडेंसी की रक्षा के लिए वफादार सैनिकों और सिपाहियों को बुलाया। जून 1857 में इस स्थान की सुरक्षा के लिए इसे घेराबंद कर दिया गया।

उस समय रेज़ीडेंसी में लगभग 1700 सैनिक थे जिनमें से 700 सैनिक भारतीय थे। इनके अलावा रेज़ीडेंसी में 1800 गैर-लड़ाके भी थे जिनमें 600 महिलाओं सहित बच्चे भी शामिल थे। विद्रोह में भारी मात्रा में बंदूकों, गोलाबरूदों, और कारतूसों का उपयोग किया गया था जिस कारण रेज़ीडेंसी के कई भवन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये थे। यह घेराबंदी लगभग पांच महीने तक चली तथा इस दौरान अंग्रेज़ लगभग 86 दिनों तक रेज़ीडेंसी में छुपे रहे थे। इस पूरे परिसर ने भारत की आज़ादी की पहली लड़ाई में लखनऊ की प्रसिद्ध घेराबंदी में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। रेज़ीडेंसी का प्रमुख हिस्सा अंग्रेजी बलों और भारतीय विद्रोहियों के बीच की लड़ाई में नष्‍ट हो गया था। युद्ध के बाद इसे जस का तस छोड़ दिया गया। रेज़ीडेंसी की टूटी-फूटी दीवारों में आज भी तोप के गोलों के निशान बने हुए हैं।

रेज़ीडेंसी में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनके बचे हुए खंडहरों और इमारतों पर उस दौर में हुए स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है जिनमें से कुछ निम्न हैं:

बेली गॉर्ड गेट (Bailey Guard Gate): यह रेज़ीडेंसी के प्रवेश पर स्थित है। इसका निर्माण लखनऊ के तत्कालीन रेज़ीडेंट कैप्टन बेली (Bailey) के सम्मान में कराया गया था। सैनिक इस गेट के ऊपर से दूर तक नज़र रखते थे।

ट्रेज़री (Treasury): 1857 के स्वंतत्रता संग्राम में इस ट्रेज़री का उपयोग कारतूस बनाने के लिये किया जाता था। यह एक प्रकार का कारखाना था जो विद्रोह में पूरी तरह से खोखला और धवस्त हो गया था।

बैंकेट हॉल (Banquet hall): इस हॉल को नवाब द्वारा बनाया गया था जिसके लम्बे मेहराबों, ऊंची छतों और विस्तृत हॉलों में गोला बारूदों के निशान को देखा जा सकता है। इमारत के मध्य में एक फव्वारा भी बनाया गया था।

मुख्य इमारत: इस मुख्य इमारत में अंग्रेज़ रहा करते थे। जिसके कारण पूरे परिसर का नाम रेज़ीडेंसी पड़ गया था। इस इमारत में बैठकों के लिये कई ऑफिस और लाइब्रेरियां (Libraries) भी बनायी गयी थी। यह मूल रूप से 3 मंज़िला इमारत थी। यहां एक भूमिगत कमरा भी था जिसमें घेराबंदी के दौरान अंग्रेजों ने शरण ली। इस इमारत पर कारतूसों से हमला किया गया था जिस कारण यह काफी हद तक ध्वस्त हो गया था।

इसके अतिरिक्त यहां बेगम कोठी, इमामबाड़ा की मस्जिद तथा ब्रिगेड मेस (Brigade mess) भी देखने को मिलती है। इस परिसर में एक खंडहर गिरजाघर भी है जहां एक कब्रिस्‍तान है जिसमें लगभग 2,000 अंग्रेज सैनिकों, आदमियों, औरतों और बच्‍चों की कब्र बनी हुई है। रेज़ीडेंसी परिसर में 1857 मेमोरियल म्‍यूज़ियम (Memorial museum) भी स्‍थापित किया गया है जहां 1857 में हुई भारत की आज़ादी की पहली क्रांति को बखूबी चित्रित किया गया है।

रेज़ीडेंसी अंग्रेज़ों के खिलाफ आज़ादी की कुछ पहली और अहम लड़ाईयों का प्रतीक है अतः इसे संरक्षित किया जाना अति आवश्यक है।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Siege_of_Lucknow
2. https://bit.ly/2GG60tN
3. https://thrillingtravel.in/2017/12/the-residency-lucknow.html
4. http://uptourism.gov.in/post/residency

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