रक्त मानव शरीर रूपी वाहन में तरल ईंधन के रूप में कार्य करता है। रक्त में प्रमुखतः तीन कण पाए जाते हैं- लाल रक्त कणिका या लाल रक्त कोशिका, सफ़ेद रक्त कणिका या सफ़ेद रक्त कोशिका और प्लैटलैट्स (Platelets)। लाल रक्त कोशिकाएं चपटी और गोल आकार की होती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) नामक प्रोटीन (Protein) होता है, जो फेफड़ों से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन (Oxygen) पहुंचाने का कार्य करता है तथा कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide) को शरीर से बाहर निष्कासित करता है। लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण अस्थि मज्जा में होता है। लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिनों तक ही जीवित रहती हैं। आयरन (Iron) युक्त भोज्य पदार्थों का सेवन इन्हें निरंतर बनाने में सहायता करता है।
एनिमिया (Anemia) या रक्ताल्पता रोग हमारी लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जो शरीर में विभिन्न रोगों का कारण बनता है। अत्यधिक थकान लगना, हृदय गति तेज़ होना, त्वचा का पीला पड़ना, ठंड लगना तथा हृदय विफलता जैसे रोग एनिमिया के प्रमुख लक्षण हैं। एनिमिया के प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1) शरीर में तीव्रता से रक्त की कमी होने के कारण रक्त वाहिकाओं में पानी भरने लगता है। जिससे रक्त पतला हो जाता है। परिणामस्वरूप शरीर में पेट का अल्सर (Ulcer), कैंसर (Cancer) या ट्यूमर (Tumor) जैसे भयावह रोग हो सकते हैं।
2) ल्यूकेमिया (Leukemia) जैसी बिमारियां अस्थि मज्जा को प्रभावित करती हैं, जिससे सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का तीव्रता से निर्माण होने लगता है। यह लाल रक्त कोशिकाओं के सामान्य उत्पादन को बाधित करती हैं।
3) सिकल सेल एनिमिया (Sickle cell anemia): इससे लाल रक्त कोशिकाओं की आकृति में परिवर्तन (अर्द्धचन्द्राकार) आ जाता है। आकृति में यह परिवर्तन कोशिकाओं को रक्तवाहिनी में फंसा सकता है। जिससे शरीर में तीव्र दर्द उठ सकता है। इसके साथ ही संक्रमण या अंग क्षति भी हो सकती है। एनिमिया के कारण लाल रक्त कोशिकाएं 120 दिन के स्थान पर 10 या 20 दिनों में ही मर जाती हैं, जिस कारण इनमें तीव्रता से कमी आने लगती है।
4) नोर्मोसाइटिक एनीमिया (Normocytic anemia): यह एनिमिया तब होता है जब आपकी लाल रक्त कोशिकाओं की बनावट और आकृति तो समान होती है किंतु यह शरीर की आवश्यकता पूर्ति में सक्षम नहीं होते हैं। जिसके परिणामस्वरूप गुर्दा रोग, कैंसर या गठिया जैसे दीर्घकालीक रोग हो सकते हैं।
5) लौह या आयरन (Iron) की कमी के कारण होने वाला एनिमिया: लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी आ जाती है।
6) अस्थि मज्जा और स्टेम सेल (Stem cell) समस्याएं: स्टेम सेल की कमी या फिर अनुपलब्धता के कारण एप्लास्टिक एनीमिया (Aplastic anemia) हो जाता है। थैलासीमिया (Thalassemia) तब होता है जब लाल रक्त कोशिकाएं ठीक से विकसित और परिपक्व नहीं हो पाती हैं।
7) विटामिन की कमी से होने वाला एनीमिया: विटामिन बी -12 (Vitamin B-12) और फोलेट (Folate) दोनों लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए आवश्यक हैं। इनकी कमी के कारण लाल रक्त कोशिका का उत्पादन बहुत कम होगा। जिससे मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (Megaloblastic anemia) और घातक एनीमिया (Pernicious anemia) हो सकते हैं।
एनिमिया की रोकथाम और इलाज:
लाल रक्त कोशिकाओं को बनाए रखने के लिए आयरन मुख्य स्रोत है, जो हमें अपने दैनिक आहार के माध्यम से प्राप्त होता है। आयरन हिमोग्लोबिन के साथ-साथ मायोग्लोबिन (Myoglobin) का भी घटक है, जो मांसपेशियों में पाया जाने वाला ऑक्सीजन संग्राहक प्रोटीन है। सामान्य व्यक्ति को एक दिन में 7-18 मिलीग्राम और गर्भवती महिलाओं को 27 ग्राम तक आयरन लेना चाहिए। प्रकृति में आयरन दो रूपों में उपलब्ध है हीम (Heme) और गैर-हीम (Non-Heme)। हीम आयरन उन पशुओं के मांस में पाया जाता है जिनमें हिमोग्लोबिन होता है जैसे- मांस, मछली और मुर्गा। गैर-हीम आयरन का मुख्य स्त्रोत अनाज, सब्जियां आदि हैं। आयरन की कमी के कारण हमारा शरीर अनेक बीमारियों का घर बन जाता है।
1) आयरन की मात्रा को बनाए रखने के लिए विटामिन ए और सी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। विटामिन युक्त खाद्य पदार्थ भोजन में उपलब्ध आयरन को अवशोषित करने में सहायता करते हैं। विटामिन ए स्वस्थ दृष्टि, हड्डियों के विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2) उच्च मात्रा में फाइटेट (Phytate) युक्त खाद्य पदार्थों जैसे- साबुत अनाज, सोया, नट (Nut) और फलियां आदि का सेवन आयरन के अवशोषण में कमी कर देता है। अतः इनका आवश्यकता से अधिक सेवन करने से बचें।
3) अधिक मात्रा में कैल्शियम (Calcium) युक्त खाद्य पदार्थ भी आयरन के अवशोषण में बाधा उत्पन्न करते हैं। अतः आवश्यकता अनुसार ही कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
4) पॉलीफिनोल्स (Polyphenols) युक्त खाद्य पदार्थ (फल, कुछ अनाज, चाय, कॉफी और शराब आदि) भी शरीर में आयरन की मात्रा पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
5) किसी भी चीज़ का अत्यधिक सेवन हानिकारक होता है, यही स्थिति आयरन के साथ भी है। उच्च मात्रा में इसके सेवन से कई घातक रोग भी हो सकते हैं। अतः संतुलित मात्रा में ही इसका सेवन किया जाना चाहिए।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/32WxLIc
2. https://www.medicalnewstoday.com/articles/158800.php
3. https://www.healthline.com/nutrition/increase-iron-absorption
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.