जल हमारे अस्तित्व को बनाये रखने के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। हमारे जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक का हर एक पहलू जल से जुड़ा हुआ है। पृथ्वी सौर मंडल का अद्वितीय हिस्सा है क्योंकि पूरे ब्रह्मांड में यह ही एक मात्र ग्रह है जहां जीवन के लिये आवश्यक पानी उपलब्ध है। हम सब जानते हैं कि महासागरों का जल सूर्य के माध्यम से वाष्प बनकर बादलों का रूप ले लेता है तथा संघनित होकर वर्षा के रूप में वापस महासागरों में मिल जाता है। किंतु इससे जुड़ा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आखिर वास्तव में जल की उत्पत्ति हुई कैसे?
जल की उत्पत्ति के संदर्भ में वैज्ञानिकों द्वारा बहुत से मत दिये गये। कुछ वैज्ञानिकों का विश्वास था कि पृथ्वी के जन्म के कुछ समय बाद पृथ्वी पर, पानी से सन्तृप्त करोड़ों धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों की वर्षा हुई। इन धूमकेतुओं तथा उल्का पिंडों का पानी धरती पर एकत्रित हुआ और महासागरों का रूप लिया।
कुछ वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर पानी के आगमन का सम्बन्ध बिग-बैंग (Big Bang) घटना से भी जोड़ने का प्रयास किया। बिग-बैंग घटना के अनुसार प्रारम्भ में पृथ्वी अत्यन्त गर्म तथा बहुत अधिक भारी थी। लगभग 1370 करोड़ साल पहले अचानक पृथ्वी ने फैलना शुरू किया जिसके कारण पृथ्वी का तापमान तथा घनत्व घटा और अपार ऊर्जा उत्पन्न हुई। ऊर्जा उत्पन्न होने के कारण अन्तरिक्ष के एक बहुत बड़े इलाके के तापमान में वृद्धि होने लगी जिससे अन्तरिक्ष गर्म कणों से भर गया। इन गर्म कणों के संयोग से अनेक प्रक्रियाएँ हुईं जिसके परिणामस्वरूप अणुओं के नाभिकों की उत्पत्ति हुई। इन नाभिकों में हीलियम, लीथियम तथा हाइड्रोजन के अणु मौजूद थे जिनमें हाइड्रोजन की मात्रा बहुत अधिक थी। उस समय ऑक्सीजन जोकि पानी का निर्माण करने के लिये जरूरी है, सम्भवतः अनुपस्थित था। बिग-बैंग घटना के लगभग सौ करोड़ साल बाद, विश्व में तारों का आगमन हुआ। चूंकि तारों के अन्दरुनी भाग का तापमान बहुत अधिक होता है इसलिए उनमें विस्फोट हुआ और तत्व अन्तरिक्ष में बिखर गये। विस्फोट से उत्पन्न तापमान ने अन्तरिक्ष में मौजूद आण्विक नाभियों को जटिल तत्वों (कार्बन, नाइट्रोजन और ऑक्सीजन) में बदल दिया। इस प्रकार हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का संयोग हुआ और जल की उत्पत्ति हुई।
जल की उत्पत्ति के संदर्भ में वर्तमान में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमारी आकाशगंगा में कई क्षुद्र ग्रह पाये जाते हैं जिनमें पानी बहुत अधिक मात्रा में मौजूद है। ऐसे क्षुद्र गृह हमारे सौर मंडल में काफी ज़्यादा संख्या में पाए जाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार काफी पहले पृथ्वी बहुत सूखी और बंजर थी तथा इसकी टक्कर किसी ऐसे क्षुद्र ग्रह से हुई जिसमें पानी की मात्रा बहुत अधिक थी और इस प्रकार उस ग्रह का पानी पृथ्वी पर आ गया। हालांकि इस विषय पर शोध अभी भी जारी है।
पृथ्वी पर मौजूद तरल पानी की समयावधि का पता लगाने के लिये भू-वैज्ञानिकों ने इसुआ ग्रीनस्टोन बेल्ट (Isua Greenstone Belt) से पिलो बेसेल्ट (pillow basalt-एक प्रकार की चट्टान जिसका निर्माण अन्तर्जलीय विस्फ़ोट से हुआ) से एक नमूना प्राप्त किया तथा अनुमान लगाया कि पृथ्वी पर पानी लगभग 3.8 अरब साल पहले से ही मौजूद है।
हमारी पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा जल की ही है जो विभिन्न रूपों में मौजूद है। हालांकि पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग महासागरों द्वारा आवरित किया गया है फिर भी महासागर ग्रह के कुल द्रव्यमान का एक छोटा सा अंश मात्र हैं। पृथ्वी के महासागरों का द्रव्यमान 1.37 x 1021 किलोग्राम है जोकि पृथ्वी के कुल द्रव्यमान (6.0 x 1024 किलोग्राम) का केवल 0.023% हिस्सा है। अतिरिक्त 0.5 x 1021 किलो जल बर्फ, झीलों, नदियों, भूजल और वायुमंडलीय जल वाष्प के रूप में पृथ्वी पर सिंचित है।
जहां धरती पर जल की मात्रा बहुत अधिक है वहीं खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार एक जगह ऐसी भी है जहां जल की मात्रा और भी अधिक है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड का सबसे विशाल जलाशय इतनी अधिक दूरी पर है कि वहां पहुंच पाना असंभव है। कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अनुसार वह स्थान क्वासार (Quasar) है जोकि पानी का विशाल भंडार है। इनके अनुसार क्वासार ब्रह्मांड के सबसे चमकीले पिंडों में से एक है तथा पृथ्वी से बहुत ही अधिक दूरी पर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि बेशक इसकी दूरी बहुत अधिक है लेकिन यहां मौजूद पानी के वाष्प का द्रव्यमान पृथ्वी पर मौजूद पानी से 140 ट्रिलियन गुना (एक ट्रलियन 10 खरब के बराबर होता है) अधिक है। इतना ही नहीं इसका आकार सूर्य के आकार से एक लाख गुना ज्यादा विशाल है। खगोलविदों के अनुसार चूंकि क्वासार पृथ्वी से बहुत अधिक दूरी पर है इसलिए इसका प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में 12 अरब साल का समय लेता है। वैज्ञानिकों के अनुसार क्वासार सूर्य से 20 अरब गुना ज्यादा बड़ा तथा सूर्य से एक हजार गुना ज्यादा ऊर्जा भी उत्पन्न करता है। क्वासर के चारों ओर वातावरण अद्वितीय है जिसमें जल की बहुत बड़ी मात्रा उपलब्ध है। यह इस बात का एक और उदाहरण है कि जल पूरे ब्रह्मांड में तब भी मौजूद था जब हमारी पृथ्वी की पैदाइश भी नहीं हुई थी।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Y2oijW
2. https://bit.ly/2BvDfNl
3. https://go.nasa.gov/2gsTGSe
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