लखनऊ अपनी सुंदरता और वास्तुकला के लिये जाना जाता है। यहां पर स्थित विभिन्न स्थल इसकी शोभा को और भी अधिक बढ़ा देते हैं। इसी प्रकार यहां स्थित अंबेडकर स्मारक पार्क (Ambedkar Memorial Park) भी अब लखनऊ की पहचान बन गया है जो बाबा साहेब की याद में सामाजिक एकता और उत्थान को बढ़ावा देने के लिये बनवाया गया। हालांकि इसका निर्माण कार्य विवादित रहा किंतु आज यह स्मारक लखनऊ की धरोहर बन गया है।
अंबेडकर स्मारक पार्क भारत का एक सार्वजनिक पार्क और स्मारक है जो कि उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर में स्थित है। पार्क को अंबेडकर पार्क भी कहा जाता है। यह पार्क ज्योतिराव फुले, नारायण गुरु, बिरसा मुंडा, शाहूजी महाराज, भीमराव अंबेडकर, कांशी राम और उन सभी लोगों के जीवन और स्मृतियों का सम्मान करता है जिन्होंने मानवता, समानता और सामाजिक न्याय के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। इस स्मारक का निर्माण उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अपने प्रशासन के दौरान किया था, जब वे बहुजन समाज पार्टी का नेतृत्व कर रही थीं।
स्मारक की आधारशिला पहली बार 1995 में रखी गई थी। पहले पार्क का नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर उद्यान था जिसे 2012 में बदलकर डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक कर दिया गया। इसका विकास कार्य 2002-03 तक चलता रहा तथा 2007 में इसका और भी अधिक नवीकरण विकास किया गया। 14 अप्रैल 2008 में पार्क को तत्कालिक मुख्यमंत्री मायावती द्वारा जनता के लिये खोला गया। इस पूरे स्मारक को राजस्थान से लाए गए लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाया गया है। स्मारक की अनुमानित लागत 7 बिलियन रुपये है।
स्मारक पार्क के साथ कई अन्य आकर्षक स्थल भी हैं जोकि निम्नलिखित हैं:
अम्बेडकर स्तूप: अम्बेडकर स्तूप पूरे स्मारक का लोकप्रिय केंद्र है। यहां अम्बेडकर की जीवनी को दर्शाने वाली कई मूर्तियाँ भी स्थापित की गयी हैं। इसके विपरीत दिशाओं में चार दरवाजे हैं। इस संरचना को चार पंखुड़ियों वाले फूल के रूप में आकार दिया गया है। एक कुर्सी पर अंबेडकर की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गयी है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर समाज परिवर्तन संग्राहलय: डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक के सामने एक संग्रहालय स्थित है, जो लगभग 2.5 एकड़ (11,008 वर्गमीटर) के क्षेत्र में निर्मित है। इमारत के शीर्ष पर दो गुंबद हैं। इस संग्रहालय में महात्मा ज्योतिबा फुले, राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज, श्री नारायण गुरु, डॉ. भीमराव अंबेडकर और श्री कांशीराम की बड़ी प्रतिमाएँ हैं जो मानवता और सामाजिक एकता के लिये उनके समर्पित जीवन को दर्शाती हैं। एक अन्य इमारत में तथागत गौतम बुद्ध, संत कबीर दास, संत रविदास, गुरु घासीदास और श्री बिरसा मुंडा की 18 फुट ऊंची संगमरमर की मूर्तियाँ स्थापित की गयी हैं।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर समाजिक परिवर्तन गैलरी (Gallery): 4 एकड़ (16,207 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में निर्मित, इस जगह पर कांस्य से बने भित्ति (murals) चित्र हैं।
प्रतिबिम्ब स्थल: प्रतिबिम्ब स्थल स्मारक का मुख्य द्वार है जहां दोनों ओर से 62 हाथियों की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मारक दृश्य स्थल
यह 80 फुट के पिरामिड जैसी संरचना पर निर्मित है जिसका प्रतिबिम्ब स्थल के पीछे की ओर है। दृश्य स्थल से पार्क, मंदिर, और अन्य क्षेत्र एक साथ दिखाई देते हैं। पिरामिड के ऊपर से पानी का प्रवाह आगंतुकों का मनोरंजन करता है।
स्मारक के ये स्थल अपनी सुंदरता और भव्यता के कारण हर किसी के मन को लुभा रहे हैं और इसलिये हर दिन देश विदेशों से आगंतुकों का यहां तांता लगा रहता है अर्थात यह स्मारक पूरे वर्ष भर आगंतुकों के लिये खुला रहता है। किंतु लखनऊ में गर्मियां बहुत ही अधिक होती है, इसलिये यहां घूमने के लिये सर्दियों का समय उपयुक्त है। स्मारक में जाने के लिये प्रवेश शुल्क मात्र 10 रुपये रखा गया है। यूं तो स्मारक प्रातः 11 बजे से लेकर रात 9 बजे तक आगंतुकों के लिये खुला रहता है किंतु घूमने के लिये सूर्यास्त के बाद का समय बहुत अच्छा है क्योंकि सूर्यास्त के बाद पूरा स्मारक जगमगाता हुआ दिखाई देता है।
लखनऊ के अन्य उद्यान के विषय में हम अपनी पिछली पोस्टों में लिख चुके हैं जिन्हें आप निम्नलिखित लिंक पर जाकर देख सकते हैं
https://lucknow.prarang.in/tagcategory.php?tagid=57&name=Flowering%20Plants(Garden)
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2LmmkUx
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Ambedkar_Memorial_Park
3. https://bit.ly/2xLwm90
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.